Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 05:08 PM
पंजाब पुलिस ने आज डिजीटल प्रणाली की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए राज्य में कानून व्यवस्था के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियां का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए क्राइम व क्रिमीनल ट्रैकिंग नैटवर्क व सिस्टम्स (सी.सी.टी.एन.एस.) प्रोजैक्ट का शुभारंभ किया।
जालन्धर(धवन): पंजाब पुलिस ने आज डिजीटल प्रणाली की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए राज्य में कानून व्यवस्था के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियां का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए क्राइम व क्रिमीनल ट्रैकिंग नैटवर्क व सिस्टम्स (सी.सी.टी.एन.एस.) प्रोजैक्ट का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस प्रोजैक्ट को शुरू करते हुए कहा कि अब सी.सी.टी.एन. गो-लाइव प्रोजैक्ट के शुरू होने से पंजाब पुलिस के कामकाज को पेपरलैस बनाने में मदद मिलेगी। अब एफ.आई.आर. तथा जनरल डायरियों को पुलिस अधिकारियों द्वारा ऑन लाइन अपडेट किया जाएगा। इसके लिए भविष्य में पुलिस अधिकारियों को टैबलेट्स भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।
इस कदम से पंजाब पुलिस देश के उन राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गई जहां डिजीटल प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा कि इस प्रोजैक्ट के तहत पुलिस के 13 वर्ष पुराने आंकड़ों (एफ.आई.आर. व जनरल डायरियों) को डिजीटल कर दिया गया है। भविष्य में अब सभी आंकड़ें लाइव अपलोड किए जाएंगे। डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा व अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में इस प्रोजैक्ट को शुरू करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना तकनीक का पुलिस को बढ़चढ़ कर प्रयोग करना होगा। उन्होंने सभी पुलिस अधिकारियों व पुलिस थानों से कहा कि वह इस प्रोजैक्ट को लागू करें।
उन्होंने कहा कि इस प्रोजैक्ट के तहत अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों को इनाम भी दिए जाएं। इस प्रोजैक्ट के तहत अपराधिक घटनाओं की जांच, अपराधियों से अपराधिक घटनाओं को जोडऩे में मदद मिलेगी। इससे पुलिस को अपराधों से संबंधित अहम इंटैलीजैंस भी जनता से प्राप्त हो सकेगी। पुलिस थानों में रिकार्ड के रख-रखाव को सरल बनाने में मदद मिलेगी। प्रोजैक्ट के लिए केंद्र ने 47 करोड़ की सहायता राशि दी थी जिसमें से 22.64 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है।
400 पुलिस थानों सहित 600 स्थान आए प्रोजैक्ट के घेरे में
डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने कहा कि इस प्रोजैक्ट के तहत 600 स्थानों को कवर किया जा रहा है जिसमें 400 पुलिस थाने भी शामिल हैं।2005 से 2017 तक की 7.6 लाख एफ.आई.आर. तथा विभिन्न जांच कार्यों से संबंधित कुल 29 लाख रिकार्ड के आंकड़े आन लाइन उपलब्ध करवा दिए गए हैं। अब यह आंकड़े रोजाना बढ़ते जाएंगे। अदालतों द्वारा जिन मामलों में केसों का निपटारा कर दिया गया है उनकी जानकारी भी आन लाइन उपलब्ध होगी। एस.टी.एफ. के आंकड़े भी महीने के अंत तक आन लाइन उपलब्ध होंगे। पुलिस थानों को 512 के.बी. कनैक्शनों से जोड़ा गया है। जिन्हें जून-जुलाई तक 26 करोड़ की लागत से आपटिकल फाइबर से जोड़ दिया जाएगा। इसके लिए 12 करोड़ की राशि रिलीज हो चुकी है। सभी संबंधित स्थानों पर कम्पूयटर हार्डवेयर व साफ्टवेयर उपकरण पहुंचा दिए गए हैं तथा रोजाना आंकड़ों को अपडेट किया जाएगा। राज्य स्तर पर डाटा सैंटर बनाया गया है। आरंभ में पुलिस थानों के आंकड़ों को आन लाइन किया गया है। सुपरवाइजरी अधिकारियों द्वारा इस प्रोजैक्ट पर पूरी नजर रखी जाएगी।