Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 09:04 AM
पंजाब विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन के सदस्य पंजाब में शिक्षा को लेकर काफी चिंतित नजर आए और विधायकों ने खुलकर शिक्षा सुधारों के लिए सुझाव सांझा किए।
चंडीगढ़ (रमनजीत सिंह): पंजाब विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन के सदस्य पंजाब में शिक्षा को लेकर काफी चिंतित नजर आए और विधायकों ने खुलकर शिक्षा सुधारों के लिए सुझाव सांझा किए। ये सुझाव शिक्षा मंत्री द्वारा विधानसभा में पेश किए गए पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (संशोधन) बिल 2017 पर चर्चा के दौरान दिए गए। शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी ने भी सदन को कैप्टन सरकार द्वारा शिक्षा सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
निजी स्कूल निर्देशों की परवाह नहीं करते
‘आप’ विधायक सबज्ञजीत कौर मानूके ने कहा कि सरकारी आदेश सिर्फ सरकारी स्कूलों तक ही सीमित रह जाते हैं जबकि निजी स्कूल इनकी परवाह नहीं करते।
आर.टी.ई. को पूरी तरह लागू करवाएं
भाजपा विधायक सोम प्रकाश ने कहा कि विभाग आर.टी.ई. को पूरी तरह लागू करवाए और 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के दाखिले
की मद पर सख्ती दिखाए ताकि पूरे समाज का भला हो सके।
निजी स्कूल उड़ा रहे नियमों की धज्जियां
कांग्रेस विधायक बलबीर सिद्धू ने कहा कि निजी स्कूलों को करोड़ों की भूमि इस शर्त पर कौडिय़ों के दाम सरकार द्वारा दी जाती है कि वे 10 प्रतिशत गरीब वर्ग के बच्चों को शिक्षा देंगे लेकिन इसका पालन नहीं किया जाता।
विधायकों ने उठाए मुद्दे
प्री-प्राइमरी क्लासें शुरू करने वाला देशभर का एकमात्र राज्य बना
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए पंजाब सरकार ने प्री-प्राइमरी क्लासें शुरू कर देशभर में ऐसी पहलकदमी कर एकमात्र राज्य का दर्जा हासिल किया है। उन्होंने कहा कि अब 3 से 6 साल तक के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे।
अकादमिक सैशन से पहले मिलेंगी किताबें, वर्दियां
शिक्षा मंत्री ने बिल पर हुई चर्चा में शामिल होते हुए विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों के विद्याॢथयों को अगले अकादमिक सैशन से पहले 28 फरवरी, 2018 तक किताबें और वर्दियां उपलब्ध करवाई जाएंगी।
20 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों को किया जा रहा मर्ज
800 स्कूलों को बंद किए जाने की बात पर स्थिति स्पष्ट करते हुए चौधरी ने कहा कि सरकार की तरफ से 20 से कम विद्याॢथयों वाले स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में मर्ज किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह भी शिक्षा स्तर सुधारने का प्रयास है और राज्य में कहीं भी बच्चों को एक किलोमीटर से अधिक दूर प्राइमरी स्कूल के लिए जाना नहीं होगा।