Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Aug, 2017 12:55 PM
पंजाब के उद्योगों को 14 वर्ष बाद एक बार फिर से केन्द्र सरकार द्वारा पहाड़ी राज्यों को टैक्स रियायतें दिए जाने से बड़ा झटका लगा है।
लुधियाना (बहल): पंजाब के उद्योगों को 14 वर्ष बाद एक बार फिर से केन्द्र सरकार द्वारा पहाड़ी राज्यों को टैक्स रियायतें दिए जाने से बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार द्वारा लिए गए ऐसे ही फैसले के कारण पंजाब की इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। चुनावी वर्ष आते ही केन्द्र सरकार ऐसा खेल खेलना शुरू कर देती है, जिसका सीधा असर उद्योगों पर पड़ता है। वर्ष 2003 भी हिमाचल के लिए चुनावी वर्ष था और वर्ष 2017 में भी हिमाचल चुनावों की दहलीज पर खड़ा हुआ है लेकिन ऐसे राजनीतिक फैसलों से भारत में संघीय व्यवस्था चरमरा सकती है और प्रभावित राज्यों का केन्द्र से विश्वास उठ सकता है।
केन्द्र सरकार के फैसले का पंजाब की इंडस्ट्री पर असर
केन्द्र सरकार के इस फैसले का पहाड़ी राज्यों को 2020 से लेकर 2027 तक लाभ मिलेगा। पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल के लिए यह अवधि मार्च 2020 तक की है, जिसमें वहां पर स्थापित उद्योगों को जी.एस.टी. पर पूरी छूट मिलेगी, जिसका दुष्प्रभाव पंजाब के उद्योगों पर पड़ेगा। वर्ष 2003 में मिले पैकेज के बाद पंजाब से आटो पार्ट्स, स्टील, कैमीकल, स्पिनिंग मिल्स, फार्मास्यूटिकल, इलैक्ट्रोनिक्स एवं इलैक्ट्रीकल व स्पोर्ट्स आदि इकाइयों ने हिमाचल प्रदेश में पलायन किया था। इसके चलते पंजाब में 14 वर्षों से न तो कोई बड़ा निवेश आया और न ही यहां के उद्योगों की तरक्की हुई।
पंजाब की इंडस्ट्री को तीसरा बड़ा झटका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले से उद्योग अभी उबर भी नहीं पाए थे कि सरकार ने जी.एस.टी. लागू करके पंजाब के उद्योगों को दूसरा बड़ा झटका दे दिया। इससे भी इंडस्ट्री उबर नहीं पाई है कि मोदी सरकार ने पहाड़ी राज्यों को टैक्सों में भारी छूट का फरमान जारी करके पंजाब की इंडस्ट्री को तीसरा बड़ा झटका दे दिया है, जिसकी भरपाई लंबे समय तक हो पाना भी संभव नहीं है। केन्द्र सरकार के इस फैसले का असर गुरदासपुर के होने वाले उपचुनाव में भी प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिलने की पूरी संभावना है।
पहले ही 50% उद्योग बंद
लोहा मंडी गोबिंदगढ़ और पंजाब की आॢथक राजधानी लुधियाना की सैकेंडरी स्टील फर्नेस और स्टील रोलिंग इंडस्ट्री 50 प्रतिशत से ज्यादा बंद हो गई हैं। पहले नोटबंदी और फिर जी.एस.टी. लागू होने से पंजाब की इंडस्ट्री सहज भी नहीं हो पाई कि केन्द्र सरकार द्वारा पहाड़ी इंडस्ट्रीयल यूनिटों को फायदा पहुंचाने के लिए दी गई टैक्स रियायतों से पंजाब की इंडस्ट्री को लंबे समय तक इसके दुष्परिणाम झेलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।