Edited By Updated: 26 Apr, 2017 12:53 AM
अमरेन्द्र सरकार ने राज्य में ठेके पर भर्ती करने पर रोक लगा दी है।
जालंधर(धवन,राजेश): अमरेन्द्र सरकार ने राज्य में ठेके पर भर्ती करने पर रोक लगा दी है। राज्य विधानसभा चुनावों के समय कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात करके कहा था कि ठेके पर भर्ती के दौरान मुलाजिमों का शोषण होता है, इसलिए ठेके पर भर्ती पर रोक लगा दी जानी चाहिए। कै. अमरेन्द्र सिंह ने कर्मचारियों से वायदा किया था कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद ठेके पर भर्ती की प्रथा को रोक देगी। इस तरह कांग्रेस ने एक और चुनावी वायदे को पूरा किया है। पंजाब सरकार के पर्सोनल विभाग द्वारा जारी पत्र नं. 12/57/2017-1 पी.पी. 2/960832/1-2 में कहा गया है कि पंजाब मंत्रिमंडल की 18 मार्च 2017 को हुई बैठक में लिए गए फैसले को लागू करने के लिए उपरोक्त पत्र लिखने के निर्देश प्राप्त हुए हैं।
पर्सोनल विभाग द्वारा राज्य के सभी विभागों के प्रमुखों, डिवीजनों के कमिश्नरों, जिलों के डिप्टी कमिश्नरों, उपमंडल अफसरों, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, समूह जिला व सैशन जज तथा राज्य के समूह बोर्डों व कार्पोरेशनों के चेयरमैनों तथा मैनेजिंग डायरैक्टरों को पत्र की कापी भेजते हुए इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में लिखा गया है कि आम चुनाव 2017 में पंजाब कांग्रेस कमेटी द्वारा जारी मैनीफैस्टो को 5 वर्षीय वर्क प्रोग्राम 2017-2022 के रूप में स्वीकार करते हुए इन दिशा-निर्देशों को लागू किया जाए। पत्र जारी होने के बाद अब राज्य में रैगुलर पदों पर एडहॉक या ठेके पर भर्ती नहीं हो सकेगी, बल्कि अब सरकार द्वारा रैगुलर भर्ती ही की जाएगी।
पंजाब कैबिनेट की पहली ही बैठक में इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए थे, जिस पर अब व्यावहारिक रूप से फैसला ले लिया गया है। पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी कर्मचारियों से जुड़े संगठन लगातार ठेके पर भर्ती को बंद करने के मामले को लेकर सड़कों पर आकर संघर्ष करते रहे। कर्मचारी संगठनों का कहना था कि ठेके पर एक तो उन्हें कम वेतन मिलता है तथा दूसरा उनसे ज्यादा कार्य लिया जाता है। उसके बावजूद ठेके पर भर्ती का कार्य चलता रहा था।
मुख्यमंत्री अमरेन्द्र ने बादल के नजदीकी अधिकारी को पैतृक कैडर में भेजने संबंधी फाइल पर हस्ताक्षर किए
पंजाब में सत्ता परिवर्तन होने के बाद मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निकट माने जाते आई.ए.एस. अधिकारी के.जे.एस. चीमा का डैपूटेशन रद्द करके वापस भेजने की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। चीमा पिछले 10 वर्षों से बादल की मेहरबानी से पंजाब में टिके हुए थे। पर्सोनल विभाग द्वारा मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह को चीमा को वापस भेजने संबंधी फाइल भेजी गई थी, जिस पर कै. अमरेन्द्र सिंह ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। उन्हें उनके पैतृक कैडर में वापस भेजा जा रहा है।
केन्द्र सरकार ने भी चीमा को पंजाब में डैपूटेशन पर रखने संबंधी प्रस्ताव को अपनी मंजूरी प्रदान नहीं की थी परंतु उसके बावजूद चीमा लगातार पंजाब में बने हुए थे। 1993 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी चीमा पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष प्रधान सचिव पद पर भी रह चुके हैं। चीमा आई.ए.एस. कैडर रूल्स 1954 के नियमों की पालना नहीं कर रहे थे। अमरेन्द्र सरकार अब यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि चीमा को वेतन पूर्व सरकार द्वारा कहां से दिया जा रहा था।
इस संबंध में पर्सोनल विभाग ने अकाऊंटैंट जनरल को पत्र भी लिखा है। यह भी बताया जाता है कि पर्सोनल विभाग ने कुछ समय पहले चीमा का वेतन रोकने के लिए भी कहा था परंतु तब बादल ने दखल देते हुए पर्सोनल विभाग की बात चलने नहीं दी थी। संभवत: चीमा को अब वापस पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा है, वहीं से वह पंजाब में आए थे। कै. अमरेन्द्र सिंह ने चीमा को वापस भेजने की फाइल क्लीयर करके परोक्ष रूप से पूर्व अकाली सरकार के निकटस्थ रहे समूचे अधिकारियों को चेतावनी भी दे दी है कि वे अब कांग्रेस सरकार के अधीन काम कर रहे हैं। उन्हें सरकार के प्रत्येक आदेश की पालना करनी होगी।