'मनरेगा लागू करने में 2016-17 तक पंजाब सरकार देश में 20वें नंबर पर'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 11:51 AM

punjab government in number 20

देश के देहाती इलाकों में लोगों की जीविका को मजबूत और यकीनी बनाने के लिए केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार ने सोनिया गांधी तथा

बलाचौर (ब्रह्मापुरी): देश के देहाती इलाकों में लोगों की जीविका को मजबूत और यकीनी बनाने के लिए केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार ने सोनिया गांधी तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की सोच को पूरा करते हुए 7 सितम्बर, 2005 में मनरेगा नाम का कानून बनाया था जिस द्वारा किसी भी देहाती परिवार को जिसके गैर-हुनरमंद सदस्य काम करना चाहते हों, के लिए प्रति वर्ष 100 दिन के रोजगार की गारंटी की व्यवस्था लागू की। यह कानून पहले 2 साल कुछ चुनिंदा जिलों में लागू किया गया था परन्तु 2008-09 में यह देश के हर जिले में लागू कर दिया गया।

प्रदेश कांग्रेस के वक्ता प्रेम चंद भीमा ने बताया कि मनरेगा द्वारा गांवों में विकास के कार्य करने और लोगों को 100 दिन का रोजगार देने में पिछली सरकार 2007-08 से लेकर 2016-17 तक पूरे देश में 20वें नम्बर पर रही जबकि पश्चिमी बंगाल जिसका देहाती इलाके का क्षेत्रफल 55.84 लाख हैक्टेयर है जोकि पंजाब के क्षेत्रफल 42.08 लाख हैक्टेयर का सिर्फ सवा गुणा है, हमेशा पहले नम्बर पर रहा है। पंजाब में सिर्फ 7.63 लाख लोगों को मनरेगा द्वारा काम दिया गया जिनको 2014-15 में औसतन 22.36 दिन, 2015-16 में औसतन 30.45 दिन और 2016-17 में औसतन 21.41 दिन काम मिला जबकि इसके मुकाबले पहले नम्बर पर रहने वाले राज्य पश्चिमी बंगाल में 84.14 लाख लोगों को 2014-15 में औसतन 43.14 दिन, 2015-16 में औसतन 46.88 दिन और 2016-17 में औसतन 44.44 दिन प्रति वर्ष काम मिला। भीमा ने पंजाब की पश्चिमी बंगाल से तुलना करते हुए बताया कि पंजाब में 2014-15 में सिर्फ 9.3 करोड़ रुपए, 2015-16 में 300.20 करोड़ रुपए और 2016-17 में सिर्फ 531.16 करोड़ रुपए का काम हुआ जबकि पहले नम्बर पर रहने वाले प्रदेश पश्चिम बंगाल ने मनरेगा द्वारा 2014-15 में 4010.01 करोड़ रुपए, 2015-16 में 4847.71 करोड़ रुपए और 2016-17 में पिछले वर्ष से ज्यादा 2407.03 करोड़ व कुल 7254.74 करोड़ रुपए का काम किया गया।

दूसरे राज्यों बारे भीमा ने बताया कि दूसरे नम्बर से लेकर 10वें नम्बर तक क्रमश: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटका, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट और ओडिशा रहे। मनरेगा द्वारा छोटे किसानों की आमदन बढ़ाना, जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाना, खेतों में पौधे लगाना, फलदार पौधे लगाना और 5 साल तक उनकी संभाल करने की व्यवस्था बनाई गई है परन्तु पिछली सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है।भीमा ने बताया कि अब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कांग्रेस सरकार आने से इसमें सुधार होने की उम्मीद हुई है क्योंकि कांग्रेस सरकार और विशेषकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने मनरेगा के तहत प्रति ब्लाक को 10 करोड़ रुपए का काम देने का लक्ष्य रखा है जिससे गत वर्ष के 531.16 करोड़ के मुकाबले में इस वर्ष 1480 करोड़ का काम होने की उम्मीद है।
 

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