Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jun, 2017 09:44 AM
बेरोजगार युवाओं का सरकारी पदों पर नौकरी करने का सपना आज पंजाब सरकार की अपनी ही एक्सटैंशन पॉलिसी पूरी तरह से चकनाचूर कर रही है। जब तक पंजाब सरकार विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने व सेवानिवृत्ति के उपरांत बढ़ाई जाने वाली सेवा वृद्धि के समय पर पूर्ण...
अमृतसर(संजीव): बेरोजगार युवाओं का सरकारी पदों पर नौकरी करने का सपना आज पंजाब सरकार की अपनी ही एक्सटैंशन पॉलिसी पूरी तरह से चकनाचूर कर रही है। जब तक पंजाब सरकार विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने व सेवानिवृत्ति के उपरांत बढ़ाई जाने वाली सेवा वृद्धि के समय पर पूर्ण विराम नहीं लगाती तब तक राज्य में अपने पैर पसारे बैठी बेरोजगारी से लडऩा मुमकिन नहीं है।
उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद जब राज्य की युवा पीढ़ी को नौकरी लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है तो उसे अपनी काबिलियत पर शंका ही नहीं, बल्कि मानसिक तनाव के हालातों से भी गुजरना पड़ता है। अक्सर देखने में आया है कि जब-जब सरकारी नौकरियां निकाली जाती हैं तो पद की योग्यता व अपनी काबिलियत की तुलना किए बिना ही युवा नौकरी हासिल करने की दौड़ में शामिल हो जाता है। होश तो उसे तब आती है, जब वह नौकरी पर तैनात होकर अपने आस-पास व ऊंचे पदों पर बैठे कुछ ऐसे लोगों को देखता है, जो शैक्षणिक तौर पर उसके मुकाबले के नहीं होते।
यह समस्या तब तक यूं ही राज्य की युवा पीढ़ी को परेशान करती रहेगी, जब तक सरकार सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को दी जा रही समय अवधि व सरकारी विभागों में पड़े रिक्त पदों को भरने के लिए ठोस कदम नहीं उठाती। पंजाब केसरी द्वारा जब सरकार की एक्सटैंशन पॉलिसी व सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों संबंधी जानकारियां जुटाने का प्रयास किया गया तो बहुत से चौंकाने वाले पहलू सामने आए। इनमें कहीं न कहीं पंजाब सरकार की अनदेखियां दिखाई दीं। यही नहीं सरकार की इस पॉलिसी में जहां भ्रष्टाचार के संकेत दिखाई दिए, वहीं इस पॉलिसी के कारण बेरोजगार युवकों को हो रही परेशानी भी सामने आई।
शिक्षा विभाग में रिक्त पड़े पदों को जानने का प्रयास किया गया तो वहां सैंकड़ों पद खाली दिखाई दिए, स्कूलों में हों चाहे कालेजों में। स्टाफ की कमी के कारण दाखिला लेने वाले को भी सीट नहीं मिल रही है। वहीं दूसरी ओर उन्हें प्राइवेट स्कूलों व कालेजों का सहारा लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। जहां एक ओर उन्हें आॢथक मार पड़ती है, वहीं कई बार अपनी मनपसंद पढ़ाई से भी हाथ धोना पड़ता है। शिक्षा विभाग में बहुत से स्पोर्ट्स कोचों की भी कमी देखने में आई। सिंचाई विभाग में भी इंजीनियरों की ही नहीं, बल्कि इसके साथ जुड़े अन्य कई विभागों में भी स्टाफ की कमी है।
सिंचाई विभाग को 2 भागों में बांटा गया है, जिसमें डे्रनेज व यू.बी.डी.सी. विभाग शामिल हैं। दोनों ही विभाग पंजाब में अपनी एक विशेष भूमिका निभा रहे हैं, जबकि दोनों ही विभागों में स्टाफ की कमी है। दूसरी ओर सिविल इंजीनियरिंग कर युवा पीढ़ी आज नौकरी की तलाश में है। स्वास्थ्य विभाग में तो स्थिति इस कदर बनी हुई है कि बहुत से विशेष पद रिक्त पड़े हैं और बहुत से पदों पर सेवा अवधि बढ़ाए गए अधिकारी बैठे हैं। स्वास्थ्य विभाग में जहां लैबोरेटरियों में काम करने वाले स्टाफ की कमी है, वहीं अस्पतालों के बाहर चल रही लैबोरेटरियां मोटा पैसा कमा रही हैं।
पंजाब की निगमों व नगर सुधार ट्रस्टों में भी आज स्टाफ की कमी के कारण बहुत से पद खाली पड़े हैं, जबकि लम्बे समय से सेवा वृद्धि लेने वाले अधिकारी कुॢसयों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। पंजाब सरकार का कोई भी विभाग एक्सटैंशन पॉलिसी से अछूता नहीं है। यह पॉलिसी जहां हर विभाग में बेरोजगारी पर अपना गहरा प्रहार कर रही है, वहीं बहुत से हकदारों को मिलने वाली पदोन्नतियों को भी रोक रही है। अकाली-भाजपा सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल दौरान एक्सटैंशन पॉलिसी पूरी तरह काम करती रही है। इस कारण न तो राज्य में बेरोजगारों को नौकरियां ही मिल पाईं और न ही बहुतों को पदोन्नतियां। अब देखना है कि पंजाब में सत्तासीन हुई कांग्रेस सरकार बेरोजगारी को दूर करने के लिए कहां तक कामयाब हो पाती है।
भ्रष्टाचार के संकेत देती है एक्सटैंशन पॉलिसी
सरकारी विभाग में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को मिलने वाली सेवा वृद्धि भ्रष्टाचार के भी संकेत देती है। लाखों रुपए वेतन लेने वाले अधिकारी पर सेवा वृद्धि की मेहरबानी करने वाले अपने आप में ही भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे हैं। पंजाब सरकार को इस ओर ठोस फैसला लेने की जरूरत है।
क्या है सरकार की एक्सटैंशन पॉलिसी?
पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान पंजाब के सभी विभागों में एक्सटैंशन पॉलिसी लागू कर रखी थी, जिसमें सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को सेवा वृद्धि देकर उसी पद पर आसीन रखा जाता था। इस कारण न तो रिक्त पड़े पद भरे गए और न ही विभागों को नए कर्मचारियों की जरूरत महसूस होने दी। एक्सटैंशन लेने वाला अधिकारी राजनीतिज्ञों की मेहरबानियों के नीचे इस कदर दब जाता कि उसे आम लोगों के हक भी दिखाई देने बंद हो जाते हैं। अधिकारी को अपनी एक्सटैंशन का डर भी बना रहता है।
बजट में रखी नौकरियों को नहीं पहनाया जाता अमलीजामा
सरकार की सेवा वृद्धि की पॉलिसी कहीं न कहीं युवा पीढ़ी को अपराध की ओर धकेल रही है। सरकार सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों की सेवा वृद्धि कर जहां नई भर्ती नहीं कर पा रही, वहीं सरकार का यह सिस्टम नौजवान युवा पीढ़ी पर अपना गहरा प्रभाव डाल उन्हें तनाव की स्थिति में किसी गलत रास्ते पर चलने पर भी मजबूर कर रहा है। बहुत से युवाओं को माता-पिता द्वारा कर्ज उठाकर इस सोच के साथ उच्च शिक्षा दिलवाई जाती है कि वह नौकरी हासिल कर जहां बुढ़ापे में उनका सहारा बनेंगे, वहीं कर्ज को भी उतार देंगे।
मगर स्थिति जब इसके उलट हो जाए और नौकरी न मिलने के कारण कर्ज का बोझ बढऩे लगे तो युवा पीढ़ी प्राइवेट अदारों में प्रताडि़त होने को भी मजबूर हो जाती है। पंजाब सरकार ने अपने 2017-18 के बजट में युवाओं को नौकरियां देने का प्रावधान तो रखा है, मगर जब तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जाता, जब तक सरकार की नीयत के प्रति कुछ भी कहना ठीक न होगा।