उद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट की घोषणा कर फंसी पंजाब सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 09:54 PM

punjab government announcing rs 5 per unit of industry

पंजाब सरकार द्वारा करीब 2 महीने पहले उद्योगों के लिए 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली सप्लाई की घोषणा कर उद्योगों में वाहवाही...

खन्ना(शाही): पंजाब सरकार द्वारा करीब 2 महीने पहले उद्योगों के लिए 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली सप्लाई की घोषणा कर उद्योगों में वाहवाही लूटी थी एवं कई औद्योगिक संगठनों ने अखबारों में विज्ञापन देकर पंजाब सरकार का धन्यवाद करना शुरू कर दिया था। क्योंकि पंजाब में सबसे ज्यादा बिजली की खपत लोहा उद्योग में होती है, घोषणा होते ही कुछ समय के लिए लोहे के दाम भी गिरने शुरू हो गए थे लेकिन आज तक इस घोषणा पर अमल कर 5 रुपए प्रति यूनिट उद्योगों के लिए बिजली की दर तय नहीं की गई है। 

बिजली की दरें बढ़ाना नहीं है पंजाब सरकार के हाथ में-
किसी भी राज्य में बिजली की दरें तय करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। बिजली कम्पनियां चाहे निजी क्षेत्र में हों या सरकारी क्षेत्र में अपनी लाभ-हानि, वैलेंस शीट की कॉपी जमा करवा कर रैगुलेटरी कमीशन में पटीशन दायर करती हैं जिसमें उसका बिजली बनाने में इतना खर्च, आमदन व घाटा पूरा करने के लिए दाम बढ़ाने की इजाजत दी जाती है। 

पावरकॉम ने रैगुलेटरी कमीशन में साल 2016-17 के लिए दाम तय करने के लिए पटीशन 10 महीने पहले नवम्बर 2016 को ही कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि पावरकॉम को बिजली निर्माण एवं आपूर्ति में 30,198 करोड़ की लागत आती है एवं उसे मौजूदा दामों पर 25,628 करोड़ की ही आमदन होगी एवं सीधा 4,570 करोड़ का घटा पड़ेगा। सेल बिक्री अंतर में पिछले सालों का 1430 करोड़ जोड़ कर 6000 हजार करोड़ रुपए का घटा पड़ रहा है। इसलिए उसे 2 रुपए प्रति यूनिट दाम बढ़ाने की इजाजत दी जाए। ऐसे में 2 रुपए से ऊपर उद्योगों के लिए दाम घटाने के लिए क्या रास्ता मिलेगा इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अब रैगुलेटरी कमीशन की चेयरपर्सन कुसुमजीत इस पर क्या रास्ता निकालेगी इसका कुछ ही दिनों में फैसला होने वाला है। 

पंजाब सरकार पहले से 7 हजार करोड़ सबसिडी की ऋणी-
राज्य सरकार के पास बिजली के रेट तय करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है लेकिन किसी क्षेत्र को अगर कोई छूट देनी है तो राज्य सरकार अपने पास से बिजली कम्पनी को सबसिडी देकर ऐसी छूट दे सकती है। अगर पंजाब सरकार चाहे तो उद्योगों को 5 रुपए बिजली देने का अपना वायदा पूरा करने के लिए सबसिडी दे सकती है लेकिन दायर पटीशन में पावरकॉम ने तो रैगुलेटरी कमीशन के जो आंकड़े पेश किए हैं उनमें बताया है कि पंजाब सरकार के पास सबसिडी के 7 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं। 

पावर कॉम बिजली के दाम बढ़ाने की मांग पर कायम : चीफ इंजी. परमजीत सिंह  
इस संबंधी पावर कॉम के चीफ इंजी. परमजीत सिंह से सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि पावर कॉम ने जो पिछले साल पटीशन दायर की थी, जिसमें 6 हजार करोड़ रुपए का घाटा पूरा करने के लिए बिजली के दाम बढ़ाने की मांगी की गई थी, उसमें कोई फेरबदल नहीं किया गया है। पावर कॉम अपने घाटे को पूरा करने हेतु बिजली के दाम बढ़ाने की मांग पर कायम है। 

जो रास्ता बचा है उस पर क्यों नहीं चलती सरकार -
पावरकॉम को पहले से 6 हजार करोड़ का घाटा, पंजाब सरकार पर पहले से ही 7 हजार करोड़ सबसिडी का कर्ज, ऐसे में अपना वायदा पूरा करने के लिए पंजाब सरकार के पास एक ही रास्ता है बिजली पर लगाए एक स्टेट टैक्स उद्योगों के लिए माफ कर दे जिसके लिए रैगुलेटरी कमीशन की इजाजत की जरूरत ही नहीं होती। मौजूदा समय में पावरकॉम 13 प्रतिशत की दर से लगभग 80 पैसे प्रति यूनिट इलैक्ट्रीसिटी ड्यूटी, 5 प्रतिशत की दर से 30 पैसे प्रति यूनिट इंफ्रास्ट्रक्चर सैस, 10 पैसे प्रति यूनिट सैस कुल 1.20 रुपए प्रति यूनिट वसूल कर पंजाब सरकार के पास जमा करवाती है। पंजाब सरकार बिना रैगुलेटरी कमीशन की इजाजत के 1.20 प्रति यूनिट उद्योगों के लिए यह कर वापस लेकर 2 महीने पहले ही अपनी घोषणा को किसी सीमा तक पूरा कर सकती थी लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने इस विषय पर क्यों कोई फैसला नहीं लिया इस पर उद्योग सकते में है। 

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