Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 09:26 AM
पंजाब सरकार द्वारा नववर्ष में टू-पार्ट टैरिफ के तहत 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने की घोषणा के तोहफे का फायदा लार्ज सप्लाई उपभोक्ता इंडस्ट्री के मुकाबले स्माल और मीडियम सप्लाई उपभोक्ताओं को काफी कम होने वाला है। इससे लघु और मध्यम वर्गीय कारोबारियों...
लुधियाना(बहल) : पंजाब सरकार द्वारा नववर्ष में टू-पार्ट टैरिफ के तहत 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने की घोषणा के तोहफे का फायदा लार्ज सप्लाई उपभोक्ता इंडस्ट्री के मुकाबले स्माल और मीडियम सप्लाई उपभोक्ताओं को काफी कम होने वाला है। इससे लघु और मध्यम वर्गीय कारोबारियों को नए साल में भी मायूसी हाथ लगने वाली है।नई पावर पालिसी के अंतर्गत पंजाब सरकार द्वारा उद्योगों को दी जाने वाली 1369 करोड़ की कुल सबसिडी में से 1183 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा पंजाब के 6933 लार्ज स्केल यूनिटों के खाते में जाएगा, जबकि 80,754 स्माल स्केल यूनिटों को मात्र 48 करोड़ रुपए और मीडियम स्केल वाले 24,621 यूनिटों के हिस्से में 138 करोड़ की सबसिडी ही आएगी।
फैडरेशन आफ पंजाब स्माल इंडस्ट्री संघ के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने सैक्रेटरी इंडस्ट्री पंजाब आर.के. वर्मा और एडिशनल चीफ सैक्रेटरी पावर सतीश चंद्रा को पत्र लिखकर सरकार द्वारा लघु और मध्यम इकाइयों को नई पावर पालिसी में पूरी तरह से नजरअंदाज करने पर विरोध दर्ज करवाया है। जिंदल ने कहा कि उद्योगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली पावर सबसिडी का आकलन करने पर स्माल यूनिट को एक महीने में मात्र 594 रुपए और मीडियम इंडस्ट्री को प्रतिमाह 4670 रुपए की सबसिडी ही हिस्से आएगी। वहीं बड़े बिजली खपतकारों को हर माह 1,42,194 रुपए प्रति इकाई सबसिडी हासिल होगी। जिंदल ने सरकार को भेजे सुझाव में कहा कि पूरे सिस्टम को संतुलित करने के लिए लघु और मीडियम इकाइयों पर पावरकाम द्वारा लगाए फिक्स चार्जिस हटा लिए जाएं।
इसमें 80,754 छोटे बिजली खपतकारों को राहत देने से 12 महीनों में मात्र 94 करोड़ रुपए और 24,621 मीडियम खपतकारों को फिक्स चार्ज से राहत देने पर मात्र 168 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जिंदल ने कहा कि स्माल और मीडियम यूनिट कुल बिजली का मात्र 20 प्रतिशत लोड ही खर्च करते हैं। वहीं लार्ज सप्लाई इंडस्ट्री औसतन 60 प्रतिशत बिजली लोड खपत करती है। जिंदल ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में विभिन्न कारणों से पंजाब के 20 हजार एम.एस.एम.ई. उद्योग तालाबंद हो चुके हैं और इस सैक्टर की प्रगति के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सरकार अगर पावर सबसिडी में असंतुलन को खत्म करती है तो पंजाब की 105000 लघु एवं मध्यम इंडस्ट्री अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी। पावर सैक्रेटरी सतीश चंद्रा ने इंडस्ट्री के सुझावों की सराहना करते हुए सबसिडी आंकड़ों पर पुर्नविचार करने का भरोसा दिलाया है।