Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 10:10 AM
लगभग साढ़े 3 माह पूर्व कर्ज के बोझ को सहन न करते हुए कथित रूप से आत्महत्या करने वाले गांव बजीतपुर कट्टियांवाली के छोटे किसान बनवारी लाल का परिवार अब भी सरकारी सहायता मिलने का इंतजार कर रहा है।
अबोहर(भारद्वाज/रहेजा): लगभग साढ़े 3 माह पूर्व कर्ज के बोझ को सहन न करते हुए कथित रूप से आत्महत्या करने वाले गांव बजीतपुर कट्टियांवाली के छोटे किसान बनवारी लाल का परिवार अब भी सरकारी सहायता मिलने का इंतजार कर रहा है। 48 वर्षीय बनवारी लाल 29 अगस्त को परिजनों से बातचीत किए बिना लापता हो गया। 2 दिन बाद उसका शव आजमवाला गांव के पास बीकानेर नहर से बरामद हुआ।
उसका आश्रित परिवार बताता है कि बनवारी लाल ने कुछ वर्ष पूर्व 11 एकड़ कृषि भूमि ठेके पर लेकर खेतीबाड़ी शुरू की थी लेकिन 2015 में जब लंबी-मुक्तसर क्षेत्र से सेमनालों का पानी अबोहर के सेमनालों में छोड़ा गया तो उसकी चपेट में इस परिवार की ठेके पर ली गई कृषि भूमि भी आ गई। निकटवर्ती गांव रूहडियांवाली की तरह बजीतपुर कट्टियांवाली में भी सैंकड़ों एकड़ भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं लेकिन सरकार ने मुआवजा नहीं दिया। बनवारी लाल की आर्थिक स्थिति में कमजोरी आने का एक कारण यह भी रहा कि उसका बड़ा बेटा राजकुमार बचपन से ही बीमारी से ग्रस्त है। पिछले वर्ष उसके दिमाग के ट्यूमर का ऑपे्रशन करवाने के लिए भी परिवार के पास आॢथक साधन उपलब्ध नहीं थे।
परिवार वाले बताते हैं कि बीते वर्ष बनवारी लाल ने 3 एकड़ जमीन पर कपास की बिजाई की थी लेकिन आमदन इतनी नहीं हुई कि बड़ी बेटी के विवाह का खर्च और गांव के ही कुछ सम्पन्न लोगों से लिया गया कर्ज उतार सके। घरेलूपरिस्थितियों के कारण उसकी छोटी बेटी चन्द्रकला 10वीं कक्षा की परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से नहीं कर पाई। जब कंपार्टमैंट सूचि में उसका नाम डाला गया तो वह अपने पिता की अकाल मृत्यु के कारण परीक्षा केन्द्र में जाने की स्थिति में नहीं थी। बनवारी लाल के छोटे बेटे सचिन ने जैसे-तैसे 10वीं की पढ़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है लेकिन पूरा परिवार कर्ज और उसके कारण हुई परिवार के मुखिया की मृत्यु के सदमे से अब तक नहीं उभर पा रहा।