Edited By Updated: 24 Jan, 2017 02:13 AM
पंजाब में चार फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक कई उम्मीदवारों को बड़ी पार्टियों से टिकट....
चंडीगढ़: पंजाब में चार फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक कई उम्मीदवारों को बड़ी पार्टियों से टिकट नहीं मिलने पर कई रोचक मामले सामने आए हैं जिनमें भाई...बहन, चाचा...भतीजा एक...दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
राज्य में कुछ सीटों पर उम्मीदवारों और उनके ‘‘अपनों’’ के बीच ही मुकाबला है जबकि राज्य में कांग्रेस, शिअद...भाजपा और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। पंजाब के मुख्य औद्योगिक शहर बटाला में कांग्रेस नेता और निवर्तमान विधायक अश्विनी शेखरी का मुकाबला अपने छोटे भाई इंदर शेखरी से है जिन्हें सुच्चा सिंह छोटेपुर की पार्टी अपना पंजाब पार्टी (एपीपी) ने टिकट दिया है। इंदर ने तब विद्रोह कर दिया जब उनके भाई को टिकट दिया गया और फिर अपने ही भाई से लडऩे के लिए वह अपना पंजाब पार्टी में शामिल हो गए।
डेरा बाबा नानक सीट से वर्तमान कांग्रेस विधायक और उम्मीदवार सुखजिंदर सिंह रंधावा को अपने भतीजे दीपेन्दर सिंह रंधावा का सामना करना पड़ रहा है। दीपेन्दर भी एपीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। दीपेन्दर सुखजिंदर के बेटे इंदरजीत सिंह रंधावा के बेटे हैं। प्रदेश कांग्रेस समिति में स्थाई आमंत्रित सदस्य इंदरजीत ने कथित तौर पर अपने बेटे को टिकट नहीं मिलने से इस्तीफा दे दिया था। पंजाब युवक कांग्रेस के सचिव दीपेन्दर अपने चाचा सुखजिंदर को टिकट दिए जाने के निर्णय से ‘‘नाखुश’’ थे। रंधावा परिवार क्षेत्र में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली माना जाता है।
मुस्लिम बहुल मालेरकोटला में दो बार से विधायक और कांग्रेस उम्मीदवार रजिया सुल्ताना का मुकाबला अपने भाई और आप उम्मीदवार अरशद अली तथा अन्य से है। नवांशहर सीट पर आप उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी के विरोध में उनके भतीजे और कांग्रेस उम्मीदवार अंगद सैनी चुनावी मैदान में हैं। सुनाम सीट पर आप उम्मीदवार अमन अरोड़ा के खिलाफ उनके साले राजिंदर दीपा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले दीपा निर्दलीय उम्मीदवार हैं।