Edited By Updated: 11 Dec, 2016 12:48 PM
कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद खाली हुई अमृतसर लोकसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारना आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती बना हुआ है।
जालंधर(स.ह.): कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद खाली हुई अमृतसर लोकसभा सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारना आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती बना हुआ है। पहले इस सीट पर नवजोत सिद्धू के मुकाबले गुरप्रीत घुग्गी को मैदान में उतारने की चर्चा थी। चेहरों की कमी से जूझ रही आम आदमी पार्टी इस सीट के लिए भी मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है। हालांकि इस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था। पार्टी के उम्मीदवार डाक्टर दलजीत सिंह की जमानत जब्त हो गई थी। 2014 में कांग्रेस के कैप्टन अमरेंद्र सिंह को इस सीट से 4,82,876 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अरुण जेतली को 3,80,106 वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी की तरफ से मैदान में उतारे गए डाक्टर दलजीत सिंह को 82,633 वोट मिले थे। वह जमानत बचाने के लिए जरूरी 1,67,881 वोटों से आधे वोट भी हासिल नहीं कर पाए थे।
इस सीट पर आम आदमी पार्टी की कमजोर स्थिति को देखते हुए भी पार्टी के सामने यहां से मजबूत उम्मीदवार उतारने की चुनौती है। वैसे तो सामान्य तौर पर सियासत में कोई नेता अपनी सीट नहीं छोड़ता लेकिन भाजपा के अरुण जेतली की दोबारा इस सीट से चुनाव लडने की संभावना न के बराबर है। नोटबंदी के कारण लोगों को हो रही परेशानी के लिए अरुण जेतली को भी वित्त मंत्री होने के नाते जिम्मेदार माना जा रहा है लिहाजा वह यहां से दोबारा मैदान में उतरने का जोखिम नहीं लेंगे । भाजपा को भी यहां मैदान में उतारने के लिए कोई मजबूत चेहरा ढूंढना होगा। हालांकि कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने 2 दिन पहले ही साफ किया है कि उनके साथ हुई नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाकात के दौरान सिद्धू ने अमृतसर सीट पर चुनाव लडऩे को लेकर कोई बात नहीं की है। लिहाजा सिद्धू के भी इस सीट से लडने को लेकर सस्पैंस बरकरार है।