पंजाब सरकार का स्टैंड और क्या बचा विकल्प?

Edited By Updated: 24 Feb, 2017 10:23 AM

punjab election 2017

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस.वाई.एल. के निर्माण को पूरा करने के नए निर्देश के पश्चात पंजाब सरकार के पास इस विवादित प्रोजैक्ट को और लम्बा लटकाने हेतु कोई नए कानूनी दाव-पेंच नहीं बचे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एस.वाई.एल. के निर्माण को पूरा करने के नए निर्देश के पश्चात पंजाब सरकार के पास इस विवादित प्रोजैक्ट को और लम्बा लटकाने हेतु कोई नए कानूनी दाव-पेंच नहीं बचे हैं।     

2 मार्च को रखा जाएगा पक्ष 

पंजाब सरकार में उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार का काऊंसिल 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखेगा। पंजाब का स्टैंड है कि उसके पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए एक बूंद भी फालतू पानी नहीं है। सच तो यह है कि पंजाब के किसान खुद पानी की तंगी झेल रहे हैं। भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता चला जा रहा है। ऐसे में किसी अन्य राज्य के लिए नहर का पानी स्पेयर करना संभव नहीं है। 

नया वातावरण

अब पंजाब में आलम यह है कि 11 मार्च को मतगणना के पश्चात जो भी राजनीतिक दल सत्ता में आता है उसे सबसे पहले एस.वाई.एल. की समस्या से जूझना होगा। प्रदेश में गत 10 वर्षों से सत्ता में रही अकाली-भाजपा सरकार ने एस.वाई.एल. के लिए एक्वायर की गई जमीन डी-नोटीफाई कर न केवल उसके पुराने मालिक किसानों को लौटा दी है बल्कि सरकारी रैवेन्यू रिकार्ड में भी यह दर्ज कर दी गई हैं। 

केस की पैरवी

पंजाब के एडवोकेट जनरल अशोक अग्रवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में वह इस केस की पैरवी नहीं करते। यह केस अब मुख्य सचिव सर्वेश कौशल की देखरेख में राम जेठमलानी जैसे प्रख्यात वकीलों द्वारा लड़ा जा रहा है। उधर मुख्य सचिव ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कुछ भी कहना है उच्चतम न्यायालय
में कहेगी।

कन्टैम्प्ट ऑफ  कोर्ट 

नई सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का मतलब है कन्टैम्प्ट ऑफ  कोर्ट (अदालत की अवमानना), जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं इसलिए राज्य सरकार में यह धारणा भी पाई जा रही है कि कन्टैम्प्ट कोर्ट का जोखिम उठाने से गुरेज किया जाना चाहिए। यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमलीजामा पहनाया जाता है तो सरकार को सबसे पहले वे सब एस.वाई.एल. विरोधी कदम वापस लेने होंगे जो उसने अब तक इस प्रोजैक्ट के खिलाफ  उठाए हैं। 


राष्ट्रपति शासन लगा तो क्या
कई राजनीतिक हलकों का कहना है कि चुनाव के बाद यदि कोई भी पार्टी 117 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत प्राप्त न कर सकी तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है। उस स्थिति में केंद्र खुद इस प्रोजैक्ट को अमलीजामा पहनाने का प्रयास करेगा। इस संदर्भ में केंद्र द्वारा एक ट्रिब्यूनल बनाई जा सकती है जो एस.वाई.एल. के निर्माण कार्य की देखरेख करेगा। इस प्रोजैक्ट को सुरक्षा प्रदान करने हेतु केंद्रीय बलों का भी प्रयोग किया जा सकता है। 


इनैलोनेता अभय सिंह चौटाला को 19 विधायकों के साथ एस.वाई.एल. नहर की खुदाई करने आ रहे आंदोलनकारियों को शम्भू बॉर्डर पर गिरफ्तार करके पंजाब सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा की है। चौटाला परिवार सस्ती लोकप्रियता हासिल करने व भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण अपनी गिरी हुई साख बचाने के लिए एस.वाई.एल. के मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रहा है। पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार एस.वाई.एल. नहर का निर्माण नहीं होने देगी क्योंकि पंजाब के पास किसी दूसरे राज्य को देने के लिए एक बूंद पानी नहीं है।’’     - तरुण चुघ, राष्ट्रीय सचिव (भाजपा)  

एस.वाई.एल. मुद्दे पर इनैलो नेताओं की आज की कार्रवाई भ्रष्टाचार और कुशासन की वजह से लोगों द्वारा नकारे गए लोगों की लाइमलाइट में आने की असफल कोशिश थी। उन्हें इस तरह की कार्रवाइयों से गुरेज करना चाहिए। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कानून और सिस्टम अपना काम कर रहा है। इसका हल भी आपसी बातचीत से ही होना है। इस तरह की नाटकबाजी का कोई फायदा नहीं है। इनैलो नेताओं ने यह प्रदर्शन करके ऐसा जताने की कोशिश की जैसे कि यह 2 प्रदेशों का न होकर 2 देशों का मसला हो। यह बिल्कुल गलत है। -कमल शर्मा, पूर्व अध्यक्ष पंजाब भाजपा

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