Edited By Updated: 23 Jan, 2017 10:23 AM
किसान प्रधान प्रदेश पंजाब खुशहाल तो है ही लेकिन इसे खुशहाल बनाने वाले किसान अाज मौत की लड़ाई लड़ने में जुटे हैं।
जालंधरः किसान प्रधान प्रदेश पंजाब खुशहाल तो है ही लेकिन इसे खुशहाल बनाने वाले किसान अाज मौत की लड़ाई लड़ने में जुटे हैं। कारण हैं सरकारें । किसानों को उनके काम के हिसाब से जब अामदनी नहीं मिलती तो वे कर्ज के बोझ तले दब अपने अाप को खत्म करने की सोचता है।
पिछले साल 100 से ज्यादा खुदकुशी की घटनाओं के बाद इस चुनाव में सभी दल किसानों पर ज्यादा ही मेहरबान दिखने की होड़ में हैं। कांग्रेस-आप के बाद भाजपा ने भी छोटे किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया है। सरकारी एजैंसियों के अनुसार, पंजाब के किसानों पर 87 हजार करोड़ रु. का कर्ज है। इसमें से 20 हजार करोड़ तो आढ़तियों का है, जो 18-20% की ब्याज दर पर लिया गया। इतना कर्ज कैसे माफ होगा, राज्य का बजट ही 86 हजार करोड़ है, जवाब में कोई भी कुछ साफ कहने की स्थिति में नहीं है।
दूसरी ओर, नेता जो खुद को गर्व से किसान कहते हैं, करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं और हर 5 साल में लगभग दोगुनी संपत्ति बना रहे हैं। इस बार शिअद, भाजपा, कांग्रेस और आप के कुल 350 से 131 कैंडिडेट्स ने खुद को किसान बताया है। इनमें 2 अरबपति और 114 करोड़पति हैं। 90% किसान ऐसे थे, जिनकी जमीन अढाई एकड़ या इससे भी कम थी, जिन्होंने खुदकुशी की। 78% ऐसे, जिन्होंने आढ़तियों के कर्ज का हिसाब नहीं रखा, कर्ज का पहाड़ बनने पर जान दे दी। 95% ऐसे थे, जिन्होंने कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लिया, यही खुदकुशी का कारण बना।