Edited By Updated: 20 Jan, 2017 11:00 AM
सियासी दलों ने महिलाओं को टिकट देने के मामले में बेशक कंजूसी बरती हो लेकिन जब उम्मीदवारों के सामने कवरिंग कैंडीडेट का मसला खड़ा हुआ तो
जालंधरः सियासी दलों ने महिलाओं को टिकट देने के मामले में बेशक कंजूसी बरती हो लेकिन जब उम्मीदवारों के सामने कवरिंग कैंडीडेट का मसला खड़ा हुआ तो उन्हें सबसे ज्यादा विश्वास अपनी पत्नी पर ही नजर आया। अब तक दाखिल किए गए नामांकनों में अधिकतर उम्मीदवारों की कवरिंग कैंडीडेट उनकी पत्नियां ही हैं।मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपनी बहू हरसिमरत कौर को कवरिंग कैंडीडेट बनाया है तो कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने परनीत कौर को कवरिंग कैंडीडेट बनाया।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने 8, आम आदमी पार्टी ने 9, शिरोमणि अकाली दल ने 5, भाजपा ने 2, अपना पंजाब पार्टी ने 6 और बसपा ने 4 महिलाओं को मैदान में उतारा है। इसके अलावा लोकसभा, विधानसभा और सार्वजनिक मंचों पर नारी सशक्तिकरण का ढोल पीटने वाले राजनीतिक दल पंजाब चुनाव में टिकट बंटवारे के समय महिलाओं को ही भूल गए। टिकट बांटते समय उनके लिए जीत का लक्ष्य महिला सशक्तिकरण के नारे से दूर चला गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि 33 प्रतिशत महिलाएं चुनाव ही नहीं लड़ेंगी तो सरकार में भागीदारी किस प्रकार होगी। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस बार भाजपा ने 23 में से 2 महिलाओं को भोआ और दसूहा से ही टिकट दिया। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल ने 94 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए। जिनमें से केवल सुल्तानपुर लोधी, शामचौरासी, जगराओं, घनौर, शुतराना 5 विधानसभा हलकों में महिलाओं पर विश्वास जताया। हालांकि पंजाब में राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं को टिकट तो दिया है परंतु वह सही आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई।
कांग्रेस ने निहाल सिंह वाला, मानसा, मुक्तसर, फिरोजपुर (रूरल), बुढलाडा, लहरागागा, महल कलां और मालेरकोटला जैसे 8 विधानसभा हलकों से महिलाओं
पर दाव खेला है। इससे कुछ आगे बढ़ते हुए आम आदमी पार्टी ने 9 महिलाओं को टिकट दिया। ये महिलाएं दसूहा, बंगा, जगराओं, भटिंडा (रूरल), तलवंडी साबो, डेरा बस्सी, घनौर, सनौर व शुतराना से किस्मत आजमाएंगी।
महिलाओं को टिकट नहीं मिलने के लिए राजनीतिक दलों के साथ-साथ महिलाएं भी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। महिलाओं को भी राजनीति में भागीदारी करने के लिए पहल करनी चाहिए। राजनीति में महिलाएं आएंगी तभी उनके हित में फैसले लिए जा सकेंगे। -डा. सतवंत कौर भुल्लर (नैशनल अवार्डी), डी.ए.वी. स्कूल, लुधियाना
पंजाब में 8 प्रतिशत महिलाओं को ही टिकट दिए जाने के लिए पूरी तरह से राजनीतिक दल और सिस्टम जिम्मेदार है। वे महिलाओं को आगे आने ही नहीं देते। जब तक नेताओं की सोच नहीं बदलेगी तब तक महिलाएं सत्ता में भागीदारी नहीं कर सकतीं। महिलाएं ही स्वच्छ राजनीति में भागीदारी निभा सकती हैं।’’ -प्रिंसीपल डा. अजय सरीन,हंसराज महिला महाविद्यालय, जालंधर
चुनाव के लिए 33 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देना चाहिए था, परंतु केवल 8 प्रतिशत महिलाओं को ही टिकट मिला है। यदि विधानसभा में 33 प्रतिशत महिलाएं ही नहीं पहुंचेंगी तो महिलाओं के हित में किस प्रकार फैसले हो सकेंगे। राजनीतिक दलों की करनी और कथनी में अंतर नहीं होना चाहिए। -रश्मि विज, पुलिस डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, जालंधर।