Edited By Updated: 18 Jan, 2017 10:23 AM
शीत लहर के बीच पंजाब में सियासी माहौल काफी गर्माया हुआ है।चुनाव में हर राजनीतिक दल ने कामयाबी हासिल करने के मकसद से अपनी कमर कसी हुई है।
मसला जब चुनाव का हो तो फिर शह-मात के साथ-साथ सर ‘झुकाने’ की भी रीत कोई नई नहीं है। मगर, यही सर जब जनता के...
सिरसा(संजय): शीत लहर के बीच पंजाब में सियासी माहौल काफी गर्माया हुआ है।चुनाव में हर राजनीतिक दल ने कामयाबी हासिल करने के मकसद से अपनी कमर कसी हुई है।
मसला जब चुनाव का हो तो फिर शह-मात के साथ-साथ सर ‘झुकाने’ की भी रीत कोई नई नहीं है। मगर, यही सर जब जनता के अलावा किसी धार्मिक स्थल पर नवाया जाता है तो इसके मायने न केवल स्थिति को बदलने में सक्षम दिखते हैं बल्कि स्थिति भी पहले से कुछ और ही हो जाती है।
पंजाब में चल रहे चुनावी माहौल की झलक अब चंद दिनों बाद सिरसा में भी दिख सकती है। डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय सिरसा में है। डेरे का न केवल पंजाब में अच्छा खासा प्रभाव है बल्कि पंजाब के सियासतदानों को भी ‘वस्तुस्थिति’ का अहसास है। फिलहाल लंबे समय से डेरा प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां यू.पी., महाराष्ट्र व राजस्थान की ओर गए हुए हैं और वे 19 जनवरी को सिरसा डेरा में लौट सकते हैं। ऐसे में पंजाब के सियासी बड़े चेहरे भी उनके लौटने के बाद सिरसा डेरे में नतमस्तक हो सकते हैं। अहम पहलू यह है कि पंजाब में डेरा सच्चा सौदा फैक्टर हवा बदलने में काफी कारगर होता है ।
राजनीति से डेरे का पुराना नाता
खासकर 11 जिलों वाले मालवा क्षेत्र में डेरा श्रद्धालुओं की तादाद कहीं ज्यादा है। इस क्षेत्र के अंतर्गत 69 विधानसभा हलके हैं। यानी पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के लिए अकेला मालवा ही दूसरे क्षेत्रों पर भारी पड़ जाता है। दरअसल डेरा सच्चा सौदा का राजनीति से नाता पुराना है। 2007 के विधानसभा चुनाव में अपरोक्ष रूप से डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया। मालवा बैल्ट में 69 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2007 के चुनाव में 69 में से 37 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। चुनावी माहौल को अपने फेवर में करने के लिए पिछले चुनाव में कैप्टन अमरेंद्र सिंह, उनकी पत्नी परनीत कौर व बेटा रणइंद्र सिंह डेरा सच्चा सौदा पहुंचे थे। इसके अलावा पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब बनाकर चुनावी मैदान में उतरने वाले मनप्रीत बादल, पूर्व मुख्यमंत्री राजेंद्र कौर भट्ठल सहित करीब 250 प्रत्याशियों ने मदद के लिए डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दी थी।
नवजोत सिद्धू भी आ सकते हैं डेरा
2012 में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उनके परिवार के सदस्य डेरा सच्चा सौदा नहीं पहुंचे थे, मगर इस बार भी राजनीतिक पर्यवेक्षकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं क्या बादल परिवार इस बार भी डेरे से दूरी बनाए रखता है या फिर आशीर्वाद के लिए पहुंच सकता है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के कई नेताओं की आने वाले दिनों में डेरा प्रमुख से मुलाकात की संभावना है तो वहीं कल कांग्रेस में शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्धू जिनके डेरा प्रमुख से काफी अच्छे संबंध बताए जाते हैं, वह भी डेरे में पहुंच सकते हैं।