Edited By Updated: 17 Jan, 2017 11:10 AM
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कै. अमरेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लंबी हलके से विधानसभा चुनाव लडऩे की घोषणा को राजनीति की ‘लंबी’ छलांग के रूप में देखा जा रहा है। इसके जरिए अमरेंद्र ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
चंड़ीगढ़(पराशर): पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कै. अमरेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ लंबी हलके से विधानसभा चुनाव लडऩे की घोषणा को राजनीति की ‘लंबी’ छलांग के रूप में देखा जा रहा है। इसके जरिए अमरेंद्र ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
कांग्रेस रेस में पिछड़ी: ‘आप’ और अकाली दल को मिला मौका
2017 के विधानसभा चुनाव की रेस में आम आदमी पार्टी तथा अकाली-भाजपा गठबंधन के मुकाबले कांग्रेस अभी तक पिछड़ी दिखाई देती रही है। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसकी टिकट आबंटन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। लगभग डेढ़ माह तक प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चुनावी प्रचार छोड़कर अपने-अपने उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली में ही डेरा जमाए बैठे रहे हैं। इससे जहां एक ओर ‘आप’ तथा अकाली दल को अपना चुनाव अभियान चलाने का खुला मौका मिला वहीं दूसरी ओर कांग्रेसियों के मनोबल में गिरावट आ गई।
कैप्टन अपने पैतृक गांव मेहराज से करेंगे चुनावी अभियान की शुरूआत
कैप्टन अमरेंद्र सिंह की ओर से लंबी में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सीधी चुनौती देने से चुनावी मैदान एकदम गर्मा गया है। सभी राजनीतिक दलों मेें हलचल मच गई है। कैप्टन अमरेंद्र का पैतृक गांव मेहराज भटिंडा जिले में ही स्थित है। वह अपने चुनावी अभियान की शरूआत वहीं से कर रहे हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने माझा क्षेत्र के अमृतसर हलके से भाजपा दिग्गज अरुण जेतली को हराया था। आम आदमी पार्टी लगातार कैप्टन पर बादलों के साथ मिले होने का आरोप लगाती रही है। कैप्टन ने लंबी से चुनाव लड़ने की घोषणा कर ‘आप’ को जवाब दिया है।
22 में से लगभग आधे जिले मालवा क्षेत्र में ही
मालवा पंजाब का सबसे बड़ा क्षेत्र है। प्रदेश के कुल 22 जिलों में से लगभग आधे मालवा में ही स्थित हैं। विधानसभा के कुल 117 हलकों में से 68 हलके मालवा में हैं। इसलिए इस क्षेत्र को पंजाब की राजनीति का गेम चेंजर माना जाता है। प्रदेश में सरकार बनाने में भी इसका निर्णायक रोल रहता है।
हलके में कैद: अन्य हलकों पर प्रभाव पडऩा स्वाभाविक
कैप्टन अमरेंद्र लंबी हलके से चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री को उन्हीं के हलके में कैद करना चाहते हैं। प्रकाश सिंह बादल लंबी हलके से 1997 से लगातार 4 बार जीतते रहे हैं। यदि अमरेंद्र बादल सीनियर को उन्हीं के हलके तक सीमित करने में सफल हो गए तो अन्य हलकों पर इसका प्रभाव पडना स्वाभाविक है क्योंकि मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के अन्य उम्मीदवारों के पक्ष में प्रदेशभर में खुलकर चुनावी प्रचार नहीं कर सकेंगे।
2012 में अकाली दल को मालवा में 34 सीटें मिली थीं
मालवा क्षेत्र अकालियों का रिवायती गढ़ है लेकिन वर्ष 2007 में डेरा सच्चा सौदा फैक्टर के चलते अकालियों को यहां बड़ा झटका लगा था। उस चुनाव में अकालियों को केवल 19 सीटों पर ही विजय प्राप्त हुई जबकि कांग्रेस को क्षेत्र से 31 सीटें मिलीं। कांग्रेस की ओर से माझा तथा मालवा क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के चलते अकाली-भाजपा गठबंधन सत्ता में आ गया। वर्ष 2012 में अकाली दल को मालवा में 34 सीटें प्राप्त हुईं लेकिन कांग्रेस का माझा और मालवा क्षेत्र में प्रदर्शन आशानुकूल नहीं रहा और अकाली-भाजपा को पुन: सरकार बनाने का अवसर मिल गया।
परनीत और बेटी के सुपुर्द पटियाला की कमान
पटियाला हलके में कैप्टन अमरेंद्र का मुकाबला अकाली दल के रिटायर्ड जनरल जे.जे. सिंह से है। पटियाला में अपने चुनावी अभियान की कमान कैप्टन ने परनीत कौर तथा बेटी के सुपुर्द की है।