Edited By Updated: 16 Jan, 2017 09:15 AM
पिछले कई सालों से आर्थिक तंगी झेल रहा नगर निगम कुछ महीनों से अपने आपको मालामाल महसूस कर रहा है, क्योंकि विधानसभा
जालंधर (खुराना): पिछले कई सालों से आर्थिक तंगी झेल रहा नगर निगम कुछ महीनों से अपने आपको मालामाल महसूस कर रहा है, क्योंकि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पंजाब सरकार ने सरकारी सम्पत्तियों को गिरवी रखकर बैंकों से अरबों रुपए का जो ऋण लिया उसमें से 200 करोड़ रुपए जालंधर निगम को विकास कार्यों हेतु दिए गए हैं जिसके तहत शहर में धड़ाधड़ विकास कार्य चल रहे हैं। पंजाब सरकार की इसी ग्रांट के तहत शहर को सजाने-संवारने हेतु नगर निगम को 18 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं परंतु निगम नासमझी का परिचय देकर इन 18 करोड़ रुपयों की बर्बादी करने पर तुला हुआ है और जमकर फिजूलखर्ची की जा रही है। कोड आफ कंडक्ट लगने से कुछ ही समय पहले 18 करोड़ रुपए का यह प्रोजैक्ट जल्दबाजी में शुरू कर दिया गया।
इस प्रोजैक्ट के तहत मुख्य डाकघर चौक से श्रीराम चौक की ओर आते डिवाइडर को तोड़ दिया गया है जबकि यह डिवाइडर बिल्कुल ठीक हालत में था और इसमें लगे पौधे इत्यादि बदलकर इस क्षेत्र को सुंदर बनाया जा सकता था। अब डिवाइडर तोड़कर नया डिवाइडर बनाने से पैसों की ही बर्बादी होगी। इसी प्रोजैक्ट के तहत के.एम.वी. कालेज वाली रोड पर बने डिवाइडर पर सफेद रंग किया जा रहा है जबकि इस डिवाइडर पर कुछ ही समय पहले पीला व काला रंग किया गया था जिस पर लाखों रुपए खर्च हुए थे और अभी यह रंग ठीक हालत में था। फिजूलखर्ची का आलम यह भी है कि डिवाइडर पर छोटी-छोटी ग्रिल लगाई जा रही है जिसका कोई फायदा नहीं बल्कि नुक्सान ही होगा क्योंकि ग्रिल लग जाने के बाद डिवाइडर में लगे पौधों की कटाई और साफ-सफाई के काम में अड़चन आएगी। इस प्रोजैक्ट के तहत कई और ऐसे काम करवाए जा रहे हैं जिनमें फिजूलखर्ची साफ झलकती है। जालंधर नगर निगम के अधिकारियों पर लापरवाही और फिजूलखर्ची के आरोप अक्सर लगते रहते हैं परंतु 18 करोड़ रुपए की बर्बादी का यह प्रोजैक्ट शहर में चर्चा का विषय बन रहा है क्योंकि शहर में दर्जनों ऐसी कालोनियां हैं जहां लोगों को सड़क, सीवर, वाटर सप्लाई या स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। नगर निगम को चाहिए था कि पहले इन कालोनियों में 18 करोड़ रुपए लगाकर लाखों लोगों को राहत दी जाती न कि ग्रिल और पेंट इत्यादि पर 18 करोड़ रुपए खर्च करके फिजूलखर्ची की जाती।