Edited By Updated: 10 Dec, 2016 10:35 AM
सत्ता में वापसी के लिए सिर्फ जीतने की क्षमता रखने वालों पर ही दाव लगाने का दम भर रहे कांग्रेसियों द्वारा मैदान में उतरकर अकाली दल
लुधियाना (हितेश): सत्ता में वापसी के लिए सिर्फ जीतने की क्षमता रखने वालों पर ही दाव लगाने का दम भर रहे कांग्रेसियों द्वारा मैदान में उतरकर अकाली दल या ‘आप’ के साथ लड़ाई लडऩे से पहले टिकटों के वितरण के मुद्दे पर आपस में उलझने के हालात दिन-ब-दिन गंभीर होते जा रहे हैं। पंजाब के सियासी इतिहास में यह शायद पहला मौका होगा, जब विधानसभा चुनावों का कोड लगने से पहले कांग्रेस द्वारा अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने की तैयारी की जा रही है जिसकी वजह अकाली दल व ‘आप’ द्वारा काफी पहले टिकटों का वितरण करना है जिनके उम्मीदवार इस समय चुनाव मैदान में पूरी तरह सक्रिय हो चुके हैं। इस दौर में कांग्रेस का वर्कर अपनी पार्टी के फैसले का इंतजार कर रहा है और मौजूदा विधायक या दावेदारों के टिकट की लॉबिंग के लिए दिल्ली में डेरे जमाए होने के कारण हलके में गतिविधियां बिल्कुल ठप्प पड़ी हैं। इससे खाली पड़ी फील्ड में ‘आप’ को कांग्रेस के वोट बैंक पर डोरे डालने का मौका मिल रहा है जिसका हवाला देते हुए नेताओं ने हाईकमान को जल्दी टिकटों का ऐलान करने के लिए राजी कर लिया है।
आनंदपुर साहिब से बिट्टू को किया था ट्रांसफर
भले ही इस फैसले से अकाली दल की तरह कांग्रेस में भी अंसतुष्टों द्वारा बड़े पैमाने पर बगावत होनी है लेकिन इससे पहले अंदरखाते काफी विवाद चल रहा है जिसकी बड़ी वजह राहुल के करीबियों के विरोध के बावजूद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा कइयों को टिकट देने पर अड़ा रहना है। इसमें एक मामला लुधियाना के मौजूदा सांसद रवनीत बिट्टू व पूर्व मंत्री मनीष तिवारी से जुड़ा है। तिवारी यहां से एक बार चुनाव हार व एक बार जीत चुके हैं जबकि पिछली बार उन्होंने चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया तो बिट्टू को आनंदपुर साहिब से यहां ट्रांसफर किया गया। हालांकि वह अकाली-भाजपा, बैंस ग्रुप व ‘आप’ ग्रुप से चौकोना मुकाबला होने के बावजूद अपने दादा बेअंत सिंह के नाम पर जीत गए। लेकिन बिट्टू खेमे का आरोप है कि तिवारी ने चुनावों में अंदरखाते उनका विरोध किया और अब भी परेशान कर रहे हैं।
इस वजह से बिट्टू कर रहे विरोध
यही वजह है कि तिवारी द्वारा विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए पूर्वी सीट से टिकट मांगने का बिट्टू सबसे ज्यादा विरोध कर रहे हैं। उनको विधायक भारत भूषण आशु का साथ भी मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो बिट्टू व आशु ने अपने करीबियों को टिकट दिलवाने की लॉबिंग को छोड़ सारा जोर ही तिवारी की टिकट कटवाने के लिए लगा दिया है जो कई दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए बैठे हैं और राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के हर छोटे-बड़े नेता के सामने अपना स्टैंड स्पष्ट कर चुके हैं जबकि कैप्टन द्वारा तिवारी की मदद की जा रही है और उनको दिल्ली में बड़े लेवल पर बैठे कई अन्य नेताओं का भी समर्थन है। जो तिवारी को हिंदू नेता के तौर पर प्रोजैक्ट करके फायदा मिलने का हवाला दे रहे हैं, इस दौर में विरोधी खेमे ने तिवारी को साऊथ सीट पर भेजने को कहा, जहां पार्टी को कोई उम्मीदवार नहीं मिल रहा तो उन्होंने सैंट्रल सीट पर दावेदारी जताकर मौजूदा विधायक सुरेन्द्र डाबर की मुश्किलें बढ़ा दीं। इस दौर में देखना यह है कि हाईकमान क्या फैसला लेती है। अगर तिवारी को टिकट नहीं मिली तो बिट्टू-आशु ग्रुप और हावी हो जाएगी। वर्ना शहर में कांग्रेस की लड़ाई सड़कों पर आ जाएगी।