पटियाला विधानसभा सीट: 90% क्षेत्र सीवरेज सुविधा से वंचित

Edited By Updated: 09 Dec, 2016 04:45 PM

punjab election 2017

नाभा जेल ब्रेक के बाद सुर्खियों में आए जिला पटियाला के विधानसभा हलका नाभा को 1755 में राजा हमीर सिंह ने आबाद किया था। आज भी

पटियालाः नाभा जेल ब्रेक के बाद सुर्खियों में आए जिला पटियाला के विधानसभा हलका नाभा को 1755 में राजा हमीर सिंह ने आबाद किया था। आज भी नाभा रियासत का किला यहां सुशोभित है और उसकी रैनोवेशन हो रही है। दूर-दूर से लोग यहां किला देखने आते हैं। यहां के महाराजा हीरा सिंह हरमन प्यारे शासक साबित हुए और यहां के ही महाराजा रिपुदमन सिंह को महान देशभक्त होने के कारण अंग्रेजों ने जिलाबदर कर दिया था। इस सीट से कांग्रेसी व अकाली विधायक जीत कर सरकारों के मंत्री बने पर   सीवरेज जैसी सुविधा भी इस शहर को नसीब नहीं हुई। आज भी 90 फीसदी इलाका सीवरेज सुविधा से वंचित है। इसके अलावा गंदे पानी की निकासी का भी कोई प्रबंध नहीं है। 

 

सीट का इतिहास
1962 से लेकर 2012 तक हुए विधानसभा चुनावों दौरान 7 बार इस हलके से कांग्रेस पार्टी जीती, 2 बार शिरोमणि अकाली दल और 3 बार आजाद उम्मीदवार यह सीट जीतने में सफल रहे। 2012 के चुनावों में कांग्रेस के साधु सिंह धर्मसोत बड़ी लीड 
से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।

 

विधायक का दावा
2012 में लगभग 23 हजार वोटों की लीड प्राप्त करके कांग्रेस के विधायक बने साधु सिंह धर्मसोत का दावा है कि कांग्रेस सरकार के समय हलके का सर्वपक्षीय विकास हुआ। हमने 3 वर्ष पहले नाभा शहर की सीवरेज प्रणाली के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा 63 करोड़ रुपए का प्रोजैक्ट मंजूर करवाया पर मोदी सरकार ने यह प्रोजैक्ट रद्द कर दिया। पिछले 10 वर्षों दौरान हलके को नजरअंदाज किया गया। नगर कौंसिल में करोड़ों रुपए के कथित स्कैंडल हुए। सड़कें, नालियां, पार्कों की दुर्दशा है। वाटर सप्लाई के  नलों में से कीड़े मकौड़े निकलते हैं, जिससे पेट की बीमारियां फैल रही हैं, अलग महिला कालेज सरकार ने कायम नहीं किया। जगह-जगह सरकारी जमीनों पर कथित अवैध कब्जे हो रहे हैं। अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने हलके को लावारिस बना दिया है। 

 

वायदे 
नाभा की आऊटर कालोनियों को नगर कौंसिल में शामिल करना
पीने वाले पानी का संकट दूर करना
शहर को सीवरेज सुविधा मुहैया करवाना
नौजवानों के रोजगार के लिए इंडस्ट्री स्थापित करनी
फायर ब्रिगेड में स्टाफ तैनात करवाना
रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे ओवरब्रिज बनाना

कितने वफा 
गठबंधन सरकार ने पिछले एक दशक दौरान शहर की किसी भी मुख्य समस्या के हल के लिए कोई प्रयास नहीं किया। कौंसिल की बनाई सड़कें 6 महीने बाद ही टूट जाती हैं। रेलवे रोड सड़क निर्माण के 4 महीने बाद ही टूट गई। अवैध कब्जे हटाए नहीं गए पर अवैध कब्जे होने आरम्भ हो गए। गांवों की सड़कों की दुर्दशा देख कर रोना आता है। वाटर सप्लाई के पाइप केवल कागजों में ही तबदील हुए। कूड़ा कर्कट-गंदगी उठाने के लिए 37 लाख रुपए सालाना ठेका दिया गया है पर नियमों व शर्तों के अनुसार गंदगी नहीं उठाई जाती। हलके के कांग्रेसी विधायक साधु सिंह धर्मसोत ने पिछले 20 महीनों दौरान कौंसिल की किसी भी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जिस कारण शहर निवासी कांग्रेस को भी सत्ताधारी पार्टी के बराबर ही लोगों की जिंदगी नर्क बनाने के लिए जिम्मेदार मानते हैं। 


दावों की हकीकत
बेशक पिछले 10 वर्षों से राज्य में अकाली-भाजपा सरकार है पर सरकार ने जो वायदे किए थे उनमें से एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया। समूची समस्याएं आज भी पहले की तरह खड़ी हैं। 

मुख्य मुद्दे 
नाभा हलके में शहर की ए क्लास नगर कौंसिल के 23 वार्ड और 137 गांव शामिल हैं। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन की दुर्दशा है। कोई बड़ी फैक्टरी न होने के कारण बेरोजगारी है। गंदे पानी की निकासी का कोई प्रबंध नहीं और न ही सीवरेज प्रणाली कायम की गई है। अनेक सरकारी स्कूलों की इमारतें असुरक्षित हैं। फायर ब्रिगेड केंद्र में स्टाफ तैनात नहीं है। शहर में जंगलात बीड़, 3 जेलें, मिलिट्री हैडक्वार्टर और एल.पी.जी. गैस प्लांट हैं। रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज कायम नहीं हो सका।


जातीय समीकरण
दलित वर्ग      35%
हिन्दू वर्ग      25 %
सिख           40%

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