Edited By Updated: 24 Jan, 2017 08:49 AM
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश टीम का वहां के अध्यक्ष मोहन तिवारी ने ऐलान किया है, लेकिन उनकी टीम में शामिल कुछ चेहरों
जालंधर (पाहवा): दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश टीम का वहां के अध्यक्ष मोहन तिवारी ने ऐलान किया है, लेकिन उनकी टीम में शामिल कुछ चेहरों को लेकर भाजपा के कुछ केंद्रीय नेता खुश नहीं हैं। मनोज तिवारी की घोषित नई टीम में अपनी तरफ से तो भाजपा तथा संघ के बीच समन्वय बनाने की कोशिश की गई है, लेकिन इसके चलते कुछ आला नेताओं में रोष पनपने लगा है। मनोज तिवारी की तरफ से घोषित टीम में पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के करीबी चेहरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जबकि कुछ ऐसे चेहरों को एंट्री मिली है, जो अधिकतर चुनावों में हार का सामना कर चुके हैं। प्रदेश टीम ने केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, श्याम जाजू तथा विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता अपना स्थान बनाने में सफल रहे हैं। जय प्रकाश जे.पी., मोहन सिंह बिष्ट, पूनम पराशर, गौरव खारी तथा अशोक गोयल जैसे चेहरे सदा ही विजय गोयल के करीबी माने जाते रहे हैं तथा इन चेहरों का दिल्ली भाजपा की टीम में शामिल होना साबित करता है कि विजय गोयल टीम में हावी रहेंगे। दूसरी तरफ शाजिया ईलमी, राजेश भाटिया, कुलजीत सिंह चाहल, शोभा उपाध्याय व राजेश लवणियां को भाजपा के नेता श्याम जाजू का करीबी माना जाता है। सूत्र बताते हैं कि श्याम जाजू प्रदेश के प्रभारी हैं तथा उनके दबाव में ही इन नेताओं को प्रदेश की टीम में स्थान मिला है।
बेशक अध्यक्ष मनोज तिवारी है लेकिन उसके बावजूद टीम में दबदबा श्याम जाजू के लोगों का रहने की संभावना है। यही नहीं बल्कि संघ के कुछ करीबी लोगों को भाजपा दिल्ली की टीम में स्थान दिया गया है। इनमें मीनाक्षी, कमलजीत सिंह सहरावत, शिखा राय जैसे चेहरे प्रमुख हैं, जिन्हें संघ के आदेश पर टीम में शामिल किया गया है। टीम में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के करीबी लोगों की भी काफी संख्या है। सूत्र बताते हैं कि करीब एक दर्जन चेहरे राजेंद्र गुप्ता के करीबी हैं। तिवारी ने अपनी टीम में कई बड़े कद वाले नेताओं की छुट्टी कर दी है, जिन्हें कुछ केंद्रीय नेताओं का आशीर्वाद हासिल था। अब इसके पीछे मुख्य कारण क्या है, इस बात को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं है, लेकिन जिस तरह से तिवारी ने संघ तथा दिल्ली भाजपा के लोगों को खुश करने की कोशिश की है, उससे तिवारी को लगता है कि वह सामान्य तरीके से दिल्ली भाजपा को चला लेंगे। केंद्रीय नेताओं को दरकिनार कर दिल्ली की पार्टी की कमान संभालना टेढ़ी खीर हो सकता है।