Edited By Updated: 08 Jan, 2017 02:21 AM
पंजाब में चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश की सियासत में एक बार फिर डेरावाद का रा...
सिरसा/चंडीगढ़(संजय /सेतिया): पंजाब में चुनाव की घोषणा के साथ ही प्रदेश की सियासत में एक बार फिर डेरावाद का राग गूंजने लगा है। सियासत संग सीधे तौर से जुड़े सिरसा के डेरा सच्चा सौदा की ओर पंजाब के राजनेताओं की टकटकी लगी हुई है।
अब तक डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह से मिलने के लिए पंजाब के विभिन्न दलों के 50 से अधिक सीनियर लीडर्स ने आवेदन किया हुआ है। पर अभी तक डेरा प्रमुख ने मुलाकात का समय नहीं दिया है और न ही पंजाब चुनाव पर किसी दल विशेष को समर्थन देने का ऐलान किया है। मालवा बैल्ट में डेरा के काफी संख्या में अनुयायी हैं और इस बैल्ट के 11 जिलों में उसके प्रभाव और सियासत संग सीधा जुड़ाव होने के चलते पंजाब के राजनेताओं में डेरा के स्टैंड को लेकर बेचैनी है।
सूत्रों के अनुसार डेरा की ओर से गत दिनों से भटिंडा जिला से बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया गया है। डेरा की ओर से पंजाब के 117 हलकों में स्वयं के स्तर पर 138 खंड बनाए गए हैं और अब तक करीब 100 खंडों में बैठकें हो चुकी हैं। इस क्रम में आज तपा-भदौड़ और बरनाला में बैठकें हुईं। सियासी दलों की तरह डेरा भी अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा है। डेरा की राजनीतिक विंग के चेयरमैन राम सिंह बताते हैं कि मीटिंग में अनुयायियों को एकता बनाकर रखने को कहा गया है और फाइनल निर्णय न होने तक किसी को भी समर्थन न देने की सलाह दी गई है। गौरतलब है कि मई 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सीधे तौर पर डेरा ने भाजपा को समर्थन दिया। इसके बाद अक्तूबर 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी डेरा ने भाजपा का समर्थन किया।
सियासत से है पुराना नाता
दरअसल डेरा सच्चा सौदा का राजनीति से नाता पुराना है। 2007 के चुनाव में अपरोक्ष रूप से डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया। मालवा बैल्ट में 65 विधानसभा क्षेत्र हैं। 2007 के चुनाव में कांग्रेस को 65 में से 37 सीटों पर जीत मिली, जबकि शिरोमणि अकाली दल 19 पर सिमट गया, पर 2012 में चौंकाने वाले नतीजे आए। डेरा में कैप्टन अमरेंद्र सिंह, उनकी पत्नी परनीत कौर व बेटा रणइंद्र सिंह पहुंचे। तब अकाली दल से अलग हो पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब बनाकर चुनावी मैदान में उतरे मनप्रीत बादल, पूर्व मुख्यमंत्री राजेंद्र कौर भट्ठल सहित करीब 250 प्रत्याशियों ने मदद के लिए डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दी। मनप्रीत मौड़ व गिद्दड़बाहा दोनों जगहों से पराजित हो गए।
कैप्टन के बेटे रणइंद्र सिंह समाना विधानसभा क्षेत्र से पराजित हो गए। स्वयं डेरा प्रमुख के समधी हरमिंद्र सिंह जस्सी भटिंडा विधानसभा क्षेत्र से शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी बिजनसमैन सरूप चंद सिंगला से 6445 वोटों से हार गए। हरमिंद्र सिंह की बेटी डेरा सच्चा सौदा के संत गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां के बेटे जसमीत इन्सां के संग ब्याही हुई है। इस तरह से शिअद ने 2012 में मालवा बैल्ट में 2007 की तुलना में दमदार वापसी की थी। जनवरी 2012 के चुनाव में मालवा इलाके से शिअद को 33 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार फिर राजनेताओं की निगाहें डेरा सच्चा सौदा की ओर हैं।
डेरा की अपनी सियासी विंग
पंजाब सहित हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश में डेरा की अपनी सियासी विंग हैं, जिसके कुल 35 सदस्य हैं। सिरसा के बेगू रोड पर हजारों एकड़ भूमि पर डेरा सच्चा सौदा का मुख्य धाम है। देश के विभिन्न राज्यों में डेरा के 45 आश्रम हैं और इनमें से चार आश्रम पंजाब में हैं। पंजाब में मुख्य रूप से मानसा के खैरा खुर्द में हरिपुरा धाम है। भटिंडा के सलाबतपुरा में शात सतनाम जी रूहानी धाम है, करंडी में डेरा सच्चा सौदा धाम है, वहीं मलोट में भी एक आश्रम है। इसके अलावा डेरा के लगभग प्रत्येक बड़े शहर व कस्बों में नामचर्चा घर हैं।
‘देखिए यह बेहद संवेदनशील मसला है। बहुत से नेताओं ने अप्वाइंटमैंट ले रखी है, पर किसी का नाम नहीं बता सकते हैं। हम अपनी संगत के साथ बैठकें कर रहे हैं। उन्हें एकता बनाए रखने को कहा गया है। अभी निर्णय होना बाकी है। सभी संगत से यही कहा जा रहा है कि फिलहाल किसी दल विशेष को समर्थन न करें। इसके साथ ही यदि कोई भी डेरे का जिम्मेदार व्यक्ति किसी पार्टी आदि में शामिल होता है तो उसे तुरंत बदला जाएगा। मीटिंग के लिए दो टीमें बनाई गई हैं जो हर रोज करीब 6 खंडों में बैठकें कर रही हैं।’
-रामसिंह, चेयरमैन, राजनीतिक विंग, डेरा सच्चा सौदा, सिरसा।