विधायकों की राजनीतिक कूटनीति ने निगम चुनावों में कांग्रेस को दिलाई प्रचंड जीत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 07:58 AM

punjab corporation elections 2017

नगर निगम चुनावों में राजनीतिक कूटनीति के चलते कांग्रेस को चुनावी नतीजों में प्रचंड जीत हासिल हुई है जिससे जहां चारों विधानसभा हलकों के विधायक राजिन्द्र बेरी, सुशील रिंकू, जूनियर अवतार हैनरी व परगट सिंह खासे गद्गद् हैं, वहीं कार्यकत्र्ताओं में भी...

जालंधर(चोपड़ा): नगर निगम चुनावों में राजनीतिक कूटनीति के चलते कांग्रेस को चुनावी नतीजों में प्रचंड जीत हासिल हुई है जिससे जहां चारों विधानसभा हलकों के विधायक राजिन्द्र बेरी, सुशील रिंकू, जूनियर अवतार हैनरी व परगट सिंह खासे गद्गद् हैं, वहीं कार्यकत्र्ताओं में भी खासा जोश देखने को मिला है। कांग्रेसी विधायक व सभी उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं के दिलो-दिमाग में एक बात बिठाने में सफल रहे कि पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र ंिसह की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार है। जालंधर में ससदीय क्षेत्रों व निगम के अंतर्गत आते चारों विधानसभा हलकों में कांग्रेस काबिज है ऐसे में शहर का सम्पूर्ण विकास तभी संभव हो पाएगा जब निगम में भी कांग्रेस का मेयर होगा। विधायकों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान जनता से अनेकों वायदों के साथ-साथ मुख्य तौर पर यह वायदा भी किया जाता रहा कि आप कांग्रेस उम्मीदवार को जितवा कर पार्षद बनवाओ वार्ड के विकास के लिए वह फंड्स की झड़ी लगा देंगे। चूंकि कांग्रेस हाईकमान की तरफ से चुनाव प्रचार के लिए कोई स्टार कंपेनर नहीं उतारे गए थे जिस कारण सारी कमान स्थानीय विधायकों के हाथों में रही। मात्र चंद दिन परंतु बड़े ही व्यवस्थित तरीके से चले प्रचार के दौरान कांग्रेस जनता को अपनी बात समझाने में सफल रही जिसके चलते ही निगम चुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवारों की संख्या सीनियर लीडरशिप की सोच से भी ज्यादा बढ़कर 80 में से 65 तक पहुंच गई, जबकि कांग्रेसी खेमे द्वारा केवल 55-60 की संख्या तक सीटों को जीतने के दावे किए जाते रहे थे। 


कांग्रेस की जनता के प्रति जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ी
नगर निगम में कांग्रेस के काबिज होने के बाद कांग्रेस की जनता के प्रति जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ गई है। कांग्रेस को चुनावों में स्पष्ट बहुमत से कहीं अधिक सीटें हासिल हुई हैं, जबकि 2007 के बाद पहली बार कांग्रेस का मेयर बनने जा रहा है। चूंकि अकाली-भाजपा गठबंधन के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस शहर में विभिन्न प्रोजैक्टों के अधर में लटके होने, सड़कों की दुर्दशा, कूड़ों के ढेर, पेयजल व चरमराई स्ट्रीट लाइट व्यवस्था को लेकर भाजपा मेयर को घेरती आई है। इसके अलावा निगम में अवैध बिल्डिंगों व व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले भी कांग्रेस के टार्गेट पर रहे हैं। अब कांग्रेस को शहर के विकास सहित इन सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना होगा ताकि जनता में कांग्रेस के प्रति बना विश्वास कायम रह सके। 


2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी कांग्रेस पर बनेगा दबाव
नगर निगम चुनावों के दौरान जनता से किए वायदों को पूरा करने और विपक्ष में रहकर गठबंधन पार्टी के मेयर के खिलाफ उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर कांग्रेस को अब जिम्मेदार की भूमिका अदा करनी होगी। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी कांग्रेस के नए मेयर पर दबाव रहेगा कि वह निगम की चिर-परिचित कार्यशैली से हटकर काम करके दिखाए। जिक्रयोग्य है कि 2014 के लोकसभा व 2017 के विधानसभा चुनावों में भी शहर की दुर्दशा मुख्य मुद्दा बना था जिसके चलते भाजपा व अकाली दल को इसका खासा खमियाजा भुगतना पड़ा था। अब चूंकि लोकसभा चुनावों को केवल एक वर्ष बाकी रह गया है और इस एक साल में विकास कार्यों की झड़ंी लगाना कांग्रेसी मेयर की पहली प्राथमिकता होगी। 

निगम की कमाई चवन्नी और खर्चा एक रुपया, वित्तीय हालात करेंगे परेशान 
नगर निगम की कमाई चवन्नी और खर्चा एक रुपया भी खासी दिक्कतें खड़ी करेगा। नए मेयर को इन हालातों से जूझने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। कमाई के साधन बढ़ाने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे और अफसरशाही द्वारा फैलाए भ्रष्टाचार पर लगाम लगानी पड़ेगी नहीं तो विकास कार्यों के फंड्स के लिए पंजाब सरकार का मुंह ताकना पड़ेगा। अब दोनों हालातों में नए मेयर के लिए कुर्सी कांटों से भरे ताज से कम साबित नहीं होगी। 

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