अकाली दल को झटके पे झटका:अरविंद मिश्रा, धामी सहित भाटिया कांग्रेस में शामिल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 07:35 AM

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नगर निगम चुनावों में टिकट वितरण और अनदेखी से नाराज यूथ अकाली दल के नेताओं द्वारा पार्टी को झटके पे झटका दिया जा रहा है। इसके तहत पहले तो विजय सहोता ने वार्ड नंबर 42 से सुशील रिंकू विधायक की पत्नी के पक्ष मेें बैठते हुए अकाली दल छोड़ कर कांग्रेस का...

जालंधर (बुलंद): नगर निगम चुनावों में टिकट वितरण और अनदेखी से नाराज यूथ अकाली दल के नेताओं द्वारा पार्टी को झटके पे झटका दिया जा रहा है। इसके तहत पहले तो विजय सहोता ने वार्ड नंबर 42 से सुशील रिंकू विधायक की पत्नी के पक्ष मेें बैठते हुए अकाली दल छोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वहीं अकाली दल के तीन बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ते हुए कांग्रेस का हाथ थाम लिया। 

पार्टी को बड़ा झटका देते हुए यूथ अकाली दल दोआबा जोन के प्रवासी विंग के प्रधान अरविंद मिश्रा ने सुबहर व यूथ अकाली दल के आई.टी. विंग जालंधर के प्रधान व दफ्तर सचिव खुशवंशदीप सिंह धामी ने दोपहर को पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। रामा मंडी इलाके से वार्ड नंबर 12 से शिअद नेता गुरिंद्र सिंह भाटिया जो कि पार्टी की हैल्थ एडवाइजर कमेटी के सदस्य रहे हैं, ने शाम को अकाली दल छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है।

शिअद भाजपा के दबाव में सिखों को कर रहा इग्नोर : धामी
मामले बारे अकाली पार्टी के आई.टी. विंग के जिला प्रधान रहे खुशवंशदीप सिंह धामी ने कहा कि अकाली दल में सारे निर्णय भाजपा के दबाव में लिए जा रहे हैं। निगम चुनावों में सारी टिकटें मनोरंजन कालिया के दबाव में दी गई हैं। कालिया भाजपाई हैं और किसी भी हाल में अकाली दल में सिख चेहरे आगे नहीं आने देना चाहते। उनके ही दबाव में पार्टी ने वार्ड 8 और 12 से एक ही परिवार में 2 टिकटेंं दीं और मेरे जैसा वर्कर जो दिन-रात पार्टी के लिए काम करता रहा, उसे सिर्फ सिख चेहरा होने के कारण इग्रोर किया।वह कांग्रेस में बिना किसी शर्त के या बिना किसी पद के लालच के गए हैं। 

अकाली दल में हिंदुओं को कोई अहमियत नहीं : मिश्रा
पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए अरविंद मिश्रा ने कहा कि अकाली दल में हिंदुओं को कोई अहमियत नहीं मिल रही है। मिश्रा ने कहा कि उन्होंने अकाली दल में रहकर आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल खैहरा, भगवंत मान और कुमार विश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी पर इसमें अकाली दल के किसी नेता ने उनका कोई साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि गुरचरण सिंह चन्नी की प्रधानगी के दौरान किसी पार्टी मीटिंग में उन्हें बुलाया नहीं जाता था। मिश्रा ने कहा कि जब मन्नण प्रधान बने तो उन्होंने दलजीत चीमा से मांग की कि बतौर हिंदू चेहरा उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया जाए पर इस मांग को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। शिअद में हिंदुओं को किनारे करके रखा जाता है इसलिए मजबूरन उन्होंने पार्टी को अलविदा कहा।

टकसाली अकालियों की पूछ-पड़ताल नहीं: भाटिया
गुरिंद्र सिंह भाटिया ने भी अकाली दल को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की। इस बारे जानकारी देते हुए भाटिया ने कहा कि उन्होंने छोटी उम्र में ही अकाली दल के लिए कई मोर्चों में भाग लिया और जेल भी काटी पर पार्टी ने टकसाली अकालियों को दरकिनार किया। पार्टी ने टिकट वितरण में भी सिफारिशों पर ही जोर दिया जिस कारण उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा है। इस मौके सैंट्रल हलके के कांग्रेसी नेता राजिंद्र बेरी, सांसद संतोख चौधरी सहित अन्य कांग्रेसी नेता भी मौजूद थे।

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