Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 09:27 AM
पार्टी की मजबूती के लिए हर स्टेज पर कांग्रेस का बड़ा-बड़ा नेता महिलाओं व युवाओं को पार्टी के भीतर ज्यादा से ज्यादा तवज्जो देने का बखान करता है। मगर जब इन दोनों कैटेगरी को कुछ देने की बात आती है तो पार्टी महिलाओं व युवाओं को हर तरह से नजरअंदाज कर...
जालंधर(रविंदर शर्मा): पार्टी की मजबूती के लिए हर स्टेज पर कांग्रेस का बड़ा-बड़ा नेता महिलाओं व युवाओं को पार्टी के भीतर ज्यादा से ज्यादा तवज्जो देने का बखान करता है। मगर जब इन दोनों कैटेगरी को कुछ देने की बात आती है तो पार्टी महिलाओं व युवाओं को हर तरह से नजरअंदाज कर देती है। कुछ ऐसा ही हाल नगर निगम चुनाव में घोषित प्रत्याशियों को लेकर भी पार्टी ने किया है।
पार्टी के पिल्लर रहे फ्रंटल संगठनों को हाईकमान ने नगर निगम चुनावों में भी टिकट देते समय पूरी तरह से नजरअंदाज किया। यूथ कांग्रेस से तो एक भी नेता को टिकट नहीं दी गई, जबकि महिला कांग्रेस से सिर्फ जिला प्रधान डा. जसलीन सेठी को ही टिकट दी। पार्टी ने ज्यादातर उन महिलाओं को टिकट देने में तरजीह दी, जिनके पति पार्षद रह चुके हैं या पार्टी में नेता हैं। यहां तक कि टिकट मांगने वाले प्रदेश कांग्रेस महासचिवों को भी पूरी तरह से इगनोर किया गया। कहने को तो कांग्रेस ने राहुल गांधी के प्रोजैक्ट पर चलते हुए यूथ कांग्रेस के संगठन चुनाव करवाने को तरजीह दी थी ताकि भविष्य में यही यूथ नेता पार्टी की रीढ़ की हड्डी बनेंगे।
यही नहीं राहुल गांधी ने यह भी वायदा किया था कि नगर निगम या नगर पंचायत के चुनाव हों, उसमें युवाओं व महिलाओं की भागीदारी संगठन के भीतर से ही सुनिश्चित की जाएगी। मगर जब टिकट देने की बारी आती है तो इन दोनों तबकों को बुरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है। यूथ कांग्रेस के कोटे से तो एक भी टिकट नहीं दी गई, जबकि जिले में आरक्षित 50 प्रतिशत महिला टिकटों में से भी महिला कांग्रेस के भीतर से सिर्फ एक ही टिकट दी गई। कांग्रेस के अन्य फ्रंटल संगठनों की भी पूरी तरह से अनदेखी की गई। पार्टी की इन नीतियों के कारण भविष्य में पार्टी के इन दोनों संगठनों का हाथ थामने से आम जनता परहेज ही करेगी, जिसका पार्टी को खासा नुक्सान हो सकता है।