Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 11:39 AM
नगर निगम चुनावों को 3 ही दिन शेष बचे हैं। शहर में चुनाव प्रचार पूरे यौवन पर है। इस बार 50 फीसदी टिकटें महिला उम्मीदवारों को दी गई हैं। इसके चलते शहर में महिला समर्थकों की काफी कमी देखने को मिल रही है। ऐसा नहीं कि शहर में महिलाओं की संख्या कम है,...
जालंधर (सुमित दुग्गल): नगर निगम चुनावों को 3 ही दिन शेष बचे हैं। शहर में चुनाव प्रचार पूरे यौवन पर है। इस बार 50 फीसदी टिकटें महिला उम्मीदवारों को दी गई हैं। इसके चलते शहर में महिला समर्थकों की काफी कमी देखने को मिल रही है। ऐसा नहीं कि शहर में महिलाओं की संख्या कम है, परन्तु उम्मीदवार के साथ डोर-टू-डोर प्रचार या बैठकों पर जाने के लिए महिलाएं कम ही निकल रही हैं।
खास तौर पर यह परेशानी पॉश इलाकों में खड़ी उम्मीदवारों को पेश आ रही है, क्योंकि महिला आरक्षित सीट पर महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में उनको अपने साथ चलने के लिए महिला समर्थकों की जरूरत है, परन्तु खासकर पॉश इलाकों की महिलाएं किसी भी उम्मीदवार के साथ चलने को तैयार नहीं होतीं। ऐसे वार्डों की उम्मीदवारों को अपने साथ चलाने के लिए महिला समर्थकों को अन्य वार्डों से बुलाना पड़ रहा है। दूसरे वार्डों से बुलाई इन महिला समर्थकों को अपनी उम्मीदवार के हक में नारे लगाने पड़ रहे हैं, यद्यपि वे उनको जानती तक नहीं। कांग्रेस-भाजपा की उम्मीदवारों के साथ तो कुछ संख्या में महिला वर्कर चल रही हैं परन्तु खासी परेशानी तो आजाद उम्मीदवारों को हो रही है।
इसी तरह कई वार्डों में आजाद जीतने का भ्रम पाले उम्मीदवारों को भी डोर-टू-डोर के लिए पेड समर्थकों का सहारा लेना पड़ रहा है, क्योंकि पाॢटयों से जुड़े समर्थक अंदरखाते चाहे आजाद उम्मीदवार को भी सपोर्ट करते हों, पर खुलकर सामने आने से कतरा रहे हैं। वहीं वार्डों की संख्या बढऩे के कारण भी जो पक्के कार्यकत्र्ता बीते चुनावों में कार्य करते आ रहे थे, वे भी बंट गए हैं।