Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 11:38 AM
पंजाब में हो रहे निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक दल अब अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं। राजनीतिक दलों से कहीं ज्यादा मैदान में उतरे उम्मीदवारों को अपनी जीत को लेकर ङ्क्षचता है लेकिन यह पहली बार है जब भारतीय जनता पार्टी जैसा राष्ट्रीय दल उम्मीदवारों...
जालंधर(अनिल पाहवा): पंजाब में हो रहे निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक दल अब अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं। राजनीतिक दलों से कहीं ज्यादा मैदान में उतरे उम्मीदवारों को अपनी जीत को लेकर ङ्क्षचता है लेकिन यह पहली बार है जब भारतीय जनता पार्टी जैसा राष्ट्रीय दल उम्मीदवारों की जीत को लेकर कोई अधिक गंभीर नहीं दिख रहा है। शुरू से लेकर अब तक पार्टी की गंभीरता इस बात से देखी जा सकती है कि टिकटों की घोषणा में बड़े स्तर पर ड्रामेबाजी की गई। यहां तक कि नामांकन दाखिल होने के अंतिम दिन से एक रात पहले तक उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाती रही। ऊपर से भाजपा के स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं में इन चुनावों को लेकर कुछ खास जोश नजर नहीं आ रहा है जिस कारण भाजपा के कई उम्मीदवारों को नुक्सान भी हो सकता है।
अपने दमखम पर उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी ने निगम चुनावों में 51 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इन उम्मीदवारों की घोषणा के बाद से पार्टी में कोई खास ऐसा काम नहीं हो रहा है जिससे कि भाजपा के उम्मीदवारों को बल मिल पाता। मरता क्या न करता वाली स्थिति में भाजपा के उम्मीदवार खुद ही अपने दम पर मैदान में डटे हुए हैं तथा विरोधियों को चित्त करने में जुटे हैं। दिलचस्प बात है कि आला नेता रा’य के इस चुनाव में दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे।
गायब हैं स्टार प्रचारक
निकाय चुनावों में वह सारे स्टार प्रचारक गायब हैं जो गाहे-बगाहे पार्टी के वर्करों को उत्साहित करने का काम करते थे। विधानसभा चुनावों में भाजपा की बुरी तरह से हुई हार के बाद यह पहला चुनाव है जिसमें न तो केंद्रीय तथा न ही प्रदेश स्तर का कोई बड़ा नेता इन निकाय चुनावों में भाजपा के उम्मीदवारों/वर्करों से सहयोग करने आ रहा है। भाजपा सूत्रों से यह समाचार मिला है कि अगले कुछ दिनों के भीतर किसी बड़े नेता के पंजाब आने की कोई उम्मीद भी नहीं है। कारण यह है कि पंजाब के इन निकाय चुनावों से कहीं अहम भाजपा के लिए गुजरात चुनाव हैं।
सरैंडर कर गई भाजपा?
भारतीय जनता पार्टी जिस मूड के साथ चुनाव लड़ रही है उससे तो यही आभास होता है कि पार्टी ने सरैंडर कर दिया है। वर्ना पार्टी में चुनाव का माहौल हो और रैलियों, बड़ी-बड़ी जनसभाओं, स्कूटर रैलियों इत्यादि का शोर न हो, संभव ही नहीं है। मामूली-सा अवसर मिलने पर भी जो पार्टी ढोल-नगाड़े बजाने से पीछे नहीं हटती वह निकाय चुनाव में इस कदर शांत क्यों है, यह बात आम जनता से लेकर उम्मीदवारों तक की समझ से परे है।
नो रैली ओनली डोर-टू-डोर
भारतीय जनता पार्टी के सशक्त सूत्रों का कहना है कि इस बार के निकाय चुनावों में पार्टी ने फैसला लिया है कि कोई भी बड़ी जनसभा या रैली का आयोजन नहीं किया जाएगा। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है वह यह है कि कोई भी केंद्रीय स्तर का आला नेता बड़ी जनसभा को संबोधित करने के लिए उपलब्ध नहीं है। ऊपर से सभी भाजपा के उम्मीदवारों को कहा गया है कि वे लोग अधिक से अधिक गली-मोहल्लों में घूमें तथा बैठकें करने की बजाय लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं।
सरैंडर कर गई भाजपा?
भारतीय जनता पार्टी जिस मूड के साथ चुनाव लड़ रही है उससे तो यही आभास होता है कि पार्टी ने सरैंडर कर दिया है। वर्ना पार्टी में चुनाव का माहौल हो और रैलियों, बड़ी-बड़ी जनसभाओं, स्कूटर रैलियों इत्यादि का शोर न हो, संभव ही नहीं है। मामूली-सा अवसर मिलने पर भी जो पार्टी ढोल-नगाड़े बजाने से पीछे नहीं हटती वह निकाय चुनाव में इस कदर शांत क्यों है, यह बात आम जनता से लेकर उम्मीदवारों तक की समझ से परे है।
नो रैली ओनली डोर-टू-डोर
भारतीय जनता पार्टी के सशक्त सूत्रों का कहना है कि इस बार के निकाय चुनावों में पार्टी ने फैसला लिया है कि कोई भी बड़ी जनसभा या रैली का आयोजन नहीं किया जाएगा। इसके पीछे जो कारण बताया जा रहा है वह यह है कि कोई भी केंद्रीय स्तर का आला नेता बड़ी जनसभा को संबोधित करने के लिए उपलब्ध नहीं है। ऊपर से सभी भाजपा के उम्मीदवारों को कहा गया है कि वे लोग अधिक से अधिक गली-मोहल्लों में घूमें तथा बैठकें करने की बजाय लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं।