Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 11:31 AM
कैप्टन सरकार बनने के 6 महीने के भीतर ही कांग्रेस के अंदरूनी हालात बेहद खराब हो चुके हैं। पार्टी के भीतर बगावत का ऐसा दौर चल रहा है कि कभी भी पार्टी
चंडीगढ़ः कैप्टन सरकार बनने के 6 महीने के भीतर ही कांग्रेस के अंदरूनी हालात बेहद खराब हो चुके हैं। पार्टी के भीतर बगावत का ऐसा दौर चल रहा है कि कभी भी पार्टी में बड़ा विस्फोट हो सकता है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की कार्यप्रणाली से अभी तक न तो प्रदेश की जनता खुश है और न ही अपने विधायक। न तो विधायकों के हलकों में उनका कोई काम हो रहा है और न ही पार्टी वर्करों की कहीं पूछ हो रही है। ब्यूरोक्रेसी इस कदर हावी हो चुकी है कि लगता है कि प्रदेश की सरकार को ब्यूरोक्रेसी ही चला रही है। ओवरआल देखा जाए तो इस समय पंजाब सरकार में खुद कैप्टन सहित कुल 12 लोग ही खुश हैं, बाकी सारे नाराज चल रहे हैं। इनमें कैप्टन के 9 मंत्री तथा 2 स्पीकर व डिप्टी स्पीकर ही खुश नजर आ रहे हैं।
किस मुंह से जाएं जनता के बीच
विधायकों को कोई भी फंड जारी नहीं हुआ, जिससे कि वह अपने इलाके में विकास करवा सकें। जनता का गुस्सा सरकार के साथ-साथ विधायकों पर निकल रहा है। विधायक अपने इलाके में किसी प्रोग्राम में भाग नहीं ले रहे हैं और न ही कोई घोषणा कर रहे हैं। उनमें रोष है कि मुख्यमंत्री उनसे मिलते तक नहीं हैं। मुख्यमंत्री की जुंडली इस कदर हावी है कि विधायकों को उन तक पहुंचने नहीं देती। ब्यूरोक्रेसी का यह जलवा है कि किसी भी विधायक को न तो कोई एस.एस.पी. पूछ रहा है, न ही पुलिस कमिश्रर और न ही कोई डी.सी.।
लटकाया जा रहा मंत्रिमंडल विस्तार
पार्टी के कई सीनियर विधायक तो इस कारण गुस्से में हैं कि मुख्यमंत्री जानबूझ कर पार्टी की छवि को धक्का पहुंचा रहे हैं और इसी नीति के तहत मंत्रिमंडल विस्तार नहीं किया जा रहा है। कैप्टन ने 16 मार्च को 10 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। इसके बाद से लगातार मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा। ऐसा करने से न केवल विधायकों में असंतोष फैल रहा है, बल्कि साथ ही कई विभागों की फाइलों का अंबार लंबा होता जा रहा है और सरकारी कामकाज लगातार लटक रहे हैं। मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 77 विधायक हैं। इनमें से 10 मंत्री पद पर, तो दो स्पीकर व डिप्टी स्पीकर पद पर हैं। 34 पहली बार विधायक बने हैं।