Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 05:46 PM
किसानों का कर्ज माफ कर और इंडस्ट्री को 5 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली देने का ऐलान करके जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने खूब वाह वाही लूटी, वहीं बजट सैशन दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को करारा झटका दिया।
पटियाला (राजेश): किसानों का कर्ज माफ कर और इंडस्ट्री को 5 रुपए यूनिट के हिसाब से बिजली देने का ऐलान करके जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने खूब वाह वाही लूटी, वहीं बजट सैशन दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल को करारा झटका दिया।
बादल द्वारा पेश किए गए बजट दौरान मुख्यमंत्री विधानसभा से नदारद रहे जबकि इस से पहले वह लगातार विधानसभा में आ रहे थे। गत सोमवार को कैप्टन 11 बजे तक विधानसभा में रहे परन्तु मंगलवार को बजट दौरान उनका विधानसभा में न आना कई तरह के राजनीतिक सवाल खड़े करता है।
साल 2012 विधानसभा चुनाव से पहले पी. पी. पी. पार्टी का गठन कर चुनाव मैदान में उतरे मनप्रीत बादल बेशक कोई सीट नहीं जीत सके थे परन्तु उन्होंने कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई थी, जिस कारण अकाली -भाजपा सरकार फिर से जीत गई थी।
आल इंडिया कांग्रेस के उपप्रधान राहुल गांधी मनप्रीत बादल से बेहद खुश थे। उनके साथ कई बैठकें करने के बाद राहुल गांधी ने मनप्रीत को कांग्रेस में शामिल कर लिया था। सूत्रों अनुसार राहुल बादल को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाना चाहते थे परन्तु कैप्टन के बगावत के डर कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया।
2017 विधानसभा चुनाव दौरान राहुल गांधी ने मनप्रीत बादल को उसकी पसंदीदा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा । श्री गांधी मनप्रीत को उप मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे परन्तु सिंह ने ऐसा नहीं होने दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, कै. अमरेंद्र सिंह के बाद मनप्रीत सिंह बादल का कद पंजाब की राजनीति में बड़ा हो रहा है परन्तु अमरेंद्र ने 2017 के चुनाव जीतने के बाद मनप्रीत बादल के कद को घटाने के लिए उन्हें दूसरे नंबर पर शपथ नहीं दिलाई ।
प्रोटोकोल अनुसार जिस तरह कैबिनेट मंत्री शपथ लेते हैं, उस अनुसार ही सरकार में सम्बन्धित मंत्री का कद बनता है। मनप्रीत बादल और नवजोत सिंह सिद्धू को दूर रखने के लिए ही कैप्टन ने ब्रह्म महेन्दरा को नंबर दो पर शपथ दिलवाई जिससे उप मुख्यमंत्री वाला टंटा खत्म किया जाए। तीन महीने के कार्यकाल दौरान मनप्रीत बादल तथा नवजोत सिद्धू ने काफी प्रैस कांफ्रैंसे की और मीडिया में हाइलाईट रहे। शायद यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने मनप्रीत बादल को झटका देने के लिए विधानसभा से दूरी बनाई रखी। आम तौर पर बजट पेश करने समय मुख्यमंत्री सदन में मौजूद होते हैं परन्तु कैप्टन सिंह ने सदन से अनुपस्थित रह कर मनप्रीत बादल को एक तरह के साथ राजनैतिक झटका दिया है।