Edited By Updated: 31 Jan, 2017 11:37 AM
पंजाब में 1977 से लेकर अब तक हुए 8 विधानसभा चुनावों में अधिक मतदान का फायदा कांग्रेस विरोधी पार्टियों को ही मिलता रहा है। फायदा मोटे तौर पर हर बार शिअद-भाजपा गठबंधन ही उठाता रहा है।
चंडीगढ़ (अनिल भारद्वाज): पंजाब में 1977 से लेकर अब तक हुए 8 विधानसभा चुनावों में अधिक मतदान का फायदा कांग्रेस विरोधी पार्टियों को ही मिलता रहा है। फायदा मोटे तौर पर हर बार शिअद-भाजपा गठबंधन ही उठाता रहा है। वहीं, जब-जब कम मतदान हुआ तब-तब कांगे्रस फायदे में रही। इस बार मतदान प्रतिशत का क्या रुख रहेगा और किस पार्टी के भविष्य को प्रभावित करेगा, यह वक्त ही बताएगा। बड़ा कारण इस बार आम आदमी पार्टी का भी मैदान में होना है।
1977 से अब तक हुए विधान सभा चुनावों की बात करें तो मतदाता 2012 से पहले तक हर चुनाव में मन बदलते रहे। 1977 से 2007 तक एक बार शिरोमणि अकाली दल तो दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनती रही। केवल 2012 में ही शिअद-भाजपा गठबंधन लगातार दूसरी बार सत्ता में आया। अब फिर सियासी मैदान गर्माया हुआ है।
इस बार शिअद-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस सहित ‘आप’ भी सत्ता प्राप्ति की दौड़ में शामिल है। 2014 के प्रदर्शन के मद्देनजर ‘आप’ की पंजाब के चुनावी परिदृश्य पर मौजूदगी काफी मायने रखती है। वजह यह है कि 2014 लोकसभा चुनाव में प्रदेश की राजनीति में पहली बार मैदान में उतरी ‘आप’ बड़ा फेरबदल करने में कामयाब रही थी। तब कांग्रेस 13 में से केवल वह 3 लोकसभा सीटें ही जीत पाई थी। वहीं शिअद-भाजपा गठबंधन को 6 और ‘आप’ को 4 सीटों पर जीत मिली थी। इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी।
कुछ यूं घूमता रहा मत प्रतिशत का पहियापहले एक-एक बार मौका देती रही जनता
1977 के विधानसभा चुनाव में 65.37 फीसदी मतदान हुआ और शिअद-जनता पार्टी गठबंधन को जीत मिली। 1980 में मतदान कम होकर 64.33 फीसदी रह गया और सरकार कांग्रेस की बन गई। 1985 में 67.53 फीसदी मतदान हुआ और शिअद भारी बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रहा। 1992 में शिअद (बादल) के बहिष्कार के बीच हुए 23.82 फीसदी मतदान ने कांगे्रस की सरकार बनवा दी। 1997 में मतदान फिर बढ़ा और प्रतिशत 68.73 फीसदी तक पहुंच गई। इसमें शिअद-भाजपा गठबंधन को भारी बहुमत मिला। 2002 में मतदान फिर गिरा और 65.14 फीसदी रह गया। सरकार कांग्रेस की बनी। 2007 में मतदान बढ़कर 75.45 फीसदी हो गया और शिअद-भाजपा गठबंधन सत्ता में आ गया। 2012 में मतदान बढ़कर 78.20 फीसदी हो गया। नतीजा शिअद-भाजपा गठबंधन को फायदा मिला और इतिहास बनाते हुए गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की।
अलग-अलग पार्टियों में यूं बंटी सीटें
वर्ष शिअद भाजपा कांग्रेस बसपा जनता पार्टी लैफ्ट अन्य
1977 59 17 24 15 02
1980 37 01 63 14 02
1985 73 06 31 01 06
1992 बहिष्कार 06 87 09 05 08
1997 75 18 14 01 02 07
2002 41 03 62 02 09
2007 49 19 44 05
2012 56 12 46 03