Edited By Updated: 15 Dec, 2016 04:20 PM
जब से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पूर्व केन्द्रीय सरकार ने देश में फूड एक्ट लागू किया है तब से देश में इस एक्ट को लेकर बांटे जा रहे अनाज की प्रणाली दिन-प्रतिदिन राजनीतिक
मुकेरियां (सिक्का): जब से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पूर्व केन्द्रीय सरकार ने देश में फूड एक्ट लागू किया है तब से देश में इस एक्ट को लेकर बांटे जा रहे अनाज की प्रणाली दिन-प्रतिदिन राजनीतिक रंगत लेती जा रही है। इस अनाज की बांट प्रणाली चुनाव नजदीक आते ही राजनीति का अखाड़ा बन जाती है जिसको लेकर सत्ता पक्ष व विपक्ष एक-दूसरे पर तीखे हमले करते हैं। नेताओं की इस लड़ाई में जरूरतमंद लोगों को इन कार्डों को फिर हासिल करने हेतु लाचार होना पड़ता है जिसको लेकर लोगों में सरकार खिलाफ रोष पनप रहा है।
लोगों में है रोष
एन.एस. ठाकुर, दर्शन लाल, एस.आर. भगत ने बताया कि हमको कभी भी समय पर राशन नहीं दिया गया और अगर हमारे संघर्ष के पश्चात कई-कई माह का राशन दिया जाता है तो वह भी नेताओं के समक्ष जलील करके। जो कहते हैं कि अगर वोटें न दी तो राशन कार्ड काट दिया जाएगा। लोगों का कहना है कि यह नेता कौन-सा राशन अपने घर से देते हैं जो जनता पर रौब जतलाते हैं। यह जनता के पैसे का राशन ही जनता में बांटा जाता है। लोगों ने रोष भी जतलाया है कि अब पुराने कार्डों का रूप बदलकर फिर से हमको अपने पास बुलाया जा रहा है और अपनी बात मनवाने हेतु उकसाया जा रहा है लेकिन लोकतंत्र प्रणाली में हम अपनी मर्जी करने में आजाद हैं।