Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Oct, 2017 12:25 PM
पंजाब स्टेट इलैक्ट्रीसिटी रैगुलेटरी कमीशन द्वारा पंजाब में बिजली के रेटों में 9.33 प्रतिशत की औसत वृद्धि से खफा ट्रेड व इंडस्ट्री का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी संदर्भ में आज एशिया की सबसे बड़ी एकल साइकिल कारोबारी संस्था यू.सी.पी.एम.ए. की...
लुधियाना (बहल): पंजाब स्टेट इलैक्ट्रीसिटी रैगुलेटरी कमीशन द्वारा पंजाब में बिजली के रेटों में 9.33 प्रतिशत की औसत वृद्धि से खफा ट्रेड व इंडस्ट्री का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी संदर्भ में आज एशिया की सबसे बड़ी एकल साइकिल कारोबारी संस्था यू.सी.पी.एम.ए. की एक आपात बैठक गिल रोड स्थित संघ काम्प्लैक्स में प्रधान इंद्रजीत नवयुग की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
प्रधान नवयुग ने कहा कि रैगुलेटरी कमीशन द्वारा टू पार्ट टैरिफ के तहत बिजली के रेटों में 9.33 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला उद्योग विरोधी है और इससे पंजाब की इंडस्ट्री तालाबंदी के कगार पर पहुंच जाएगी। इंद्रजीत नवयुग, मंजीत सिंह खालसा, अवतार भोगल, चरणजीत सिंह, प्रदीप वधावन, राजेंद्र सरहली, राजेंद्र पप्पू, अच्छरू राम गुप्ता ने पंजाब सरकार से मांग की है कि बिजली के रेटों में वृद्धि के फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए तथा रैगुलेटरी कमीशन को पत्र लिखकर एंटी इंडस्ट्री फरमान वापस लेने के निर्देश दिए जाएं। साइकिल कारोबारियों ने कहा कि बिजली बोर्ड अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए इसे इंडस्ट्री के सिर पर थोप रही है, जो किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।
नवयुग ने कहा कि एक ओर कैप्टन सरकार अपने चुनाव घोषणा पत्र में सस्ती बिजली देने के वायदे को पूरा करने के लिए 1 नवम्बर से उद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने की घोषणा कर चुकी है। दूसरी तरफ रैगुलेटरी कमीशन ने बिजली के रेटों में वृद्धि के साथ इसे रैट्रोस्पैक्टिव पॉलिसी के तहत 1 अप्रैल से अदा करने का फरमान जारी किया है। इन बढ़ी दरों का पिछली तिथि से भुगतान सरकार खुद सहन करे और कारोबारियों के कंधों पर इसका बोझ न डाला जाए, क्योंकि केन्द्र सरकार द्वारा नोटबंदी और जी.एस.टी. का डाला गया बोझ भी अभी तक ट्रेड एवं इंडस्ट्री सहन नहीं कर पा रही है।