Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Sep, 2017 11:51 AM
स्थानीय सुल्तानविंड क्षेत्र में थाना सुल्तानविंड की पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर वेश्यावृत्ति के अड्डे का पर्दाफाश कर वहां से एक महिला तथा एक पुरुष को आपत्तिजनक दशा .......
अमृतसर (महेन्द्र): स्थानीय सुल्तानविंड क्षेत्र में थाना सुल्तानविंड की पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर वेश्यावृत्ति के अड्डे का पर्दाफाश कर वहां से एक महिला तथा एक पुरुष को आपत्तिजनक दशा में काबू किए जाने के साथ-साथ वेश्यावृति का अड्डा चलाने वाले जिस प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार करने का दावा किया था, उसकी पत्नी मौके पर मौजूद न होने के कारण गिरफ्तारी से बच गई थी।
हालांकि पुलिस ने उसका नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज कर रखा है जिसने खुद को पूरी तरह से निर्दोष बताते हुए स्थानीय सैशन कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। उसकी सुनवाई करने के पश्चात स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज जसपिन्द्र सिंह हेर की अदालत ने सभी पहलुओं पर गौर करते हुए लगाए गए आरोपों को गंभीर मानते हुए उसकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
मामले के हालात
स्थानीय थाना सुल्तानविंड में 24-7-2017 को इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट (बदकारी एक्ट) की धारा 3,4,5 के तहत दर्ज मुकद्दमा नंबर 160/2017 के अनुसार थाना प्रभारी नीरज कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि गली मुरब्बे वाली, कृष्णा नगर निवासी बलबीर सिंह तथा उसकी पत्नी अपने घर पर बाहर से लड़कियों को तथा ग्राहकों को बुला कर वहां पर वेश्यावृत्ति का अवैध धंधा कर रहा है जो ग्राहकों से पैसे लेकर उसका बड़ा हिस्सा खुद रख कर बाकी के पैसे लड़कियों को दे देते हैं।
इस गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस पार्टी ने उस दिन बताए गए ठिकाने पर छापा मार कर वहां से चाटीविंड, तरनतारन रोड निवासी सुखचैन सिंह को स्थानीय शहीद ऊधम सिंह नगर, सुल्तानविंड रोड निवासी एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में काबू करने का दावा करते हुए कथित आरोपी अड्डे के संचालक बलबीर सिंह पुत्र राम सिंह को भी लिए गए पैसों सहित रंगे हाथों गिरफ्तार करने का दावा किया था।
छापामारी के दौरान नहीं बना कोई स्वतंत्र गवाह
हालांकि ऐसे मामलों को लेकर छापामारी करते समय किसी न किसी स्वतंत्र गवाह को भी शामिल किया जाना होता है, लेकिन इस मामले में पुलिस पार्टी द्वारा बताए गए ठिकाने पर की गई छापामारी के दौरान उसे कोई भी स्वतंत्र गवाह नहीं मिला।
दर्ज मामले के अनुसार पुलिस ने इस मामले में स्वतंत्र गवाह को शामिल करने के लिए भरसक प्रयास किए थे, लेकिन आस-पास का कोई भी शख्स स्वतंत्र गवाह बनने को तैयार नहीं हुआ था जिसके कारण पुलिस को बिना किसी स्वतंत्र गवाह के ही सारी कानूनी कार्रवाई को अंजाम देना पड़ा था। इस लिए जब इस मामले में कानूनी बहस का समय आएगा, तो प्रोसीक्यूशन पक्ष को बचाव पक्ष की तरफ से की जाने वाली कानूनी क्रास बहस के दौरान कई प्रकार के सवालों का सामना भी करना पड़ सकता है।
अड्डे का पर्दाफाश करने के लिए ए.एस.आई. बना था फर्जी ग्राहक
पुलिस द्वारा वेश्यावृत्ति के इस अड्डे का पर्दाफाश करने के लिए अपने ही विभाग में ए.एस.आई. के पद पर तैनात शरणजीत सिंह को एक फर्जी ग्राहक बना कर बताए गए ठिकाने पर भेजा गया था जिसे 500 रुपए का एक नोट तथा 100-100 रुपए के 2 नोट देकर भेजा गया था जिसके नंबर पहले से ही नोट कर लिए गए थे।
बताए गए ठिकाने पर की गई छापामारी के दौरान कथित आरोपी अड्डे के संचालक बलबीर सिंह ने घर का दरवाजा खोलने के पश्चात वहां से फरार होने का प्रयास किया था, जिसे पुलिस ने तुरंत काबू कर उसके कब्जे में से वह नोट भी बरामद करने का दावा किया था, जो वहां पर भेजे गए फर्जी गवाह ए.एस.आई. शरणजीत सिंह से उसने लिए थे जिसका इशारा मिलते ही पुलिस पार्टी ने बताए गए ठिकाने पर छापामारी की थी।