Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 01:57 PM
एक तरफ जहां पंजाब सरकार ने राज्य भर के जिला ट्रांसपोर्ट दफ्तरों को खत्म कर लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त सेवाएं देने की घोषणा की है वहीं दूसरी तरफ मोगा डी.टी.ओ.....
मोगा (पवन ग्रोवर): एक तरफ जहां पंजाब सरकार ने राज्य भर के जिला ट्रांसपोर्ट दफ्तरों को खत्म कर लोगों को भ्रष्टाचार मुक्त सेवाएं देने की घोषणा की है वहीं दूसरी तरफ मोगा डी.टी.ओ. दफ्तर का काम फरीदकोट में तबदील करने के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी तरह की बनी स्थिति कारण रोजाना जिले भर तथा दूरदराज के लोग चालान भरने के लिए मोगा आते हैं लेकिन यहां सरकारी स्टाफ न होने के कारण पिछले 4 दिनों से लोगों को बिना चालान भरकर घरों को वापस लौटना पड़ रहा है।
दफ्तर के समक्ष रोष जाहिर करते हुए जगदीप सिंह कोकरी वैहनीवाल, साधु सिंह डाला, कुलदीप सिंह जैतो आदि ने आरोप लगाया कि सरकार कोई फैसला लेने से पहले जमीनी स्तर पर पडऩे वाले फैसले के प्रभाव संबंधी अग्रिम तौर पर पहले सारी जानकारी एकत्रित करे। वे पिछले 4 दिनों से रोजाना चालान भरने के लिए दफ्तर में आ रहे हैं लेकिन कोई भी अधिकारी न होने के कारण उनको निराश होकर घरों को लौटना पड़ता है। उन्होंने कहा कि व्हीकलों के पहले के चालान तो उनके अभी तक भरे नहीं गए लेकिन अब ऊपर से नए चालान हो रहे हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि लोगों की इस समस्या का जल्द हल करवाया जाए।
रोजाना दफ्तर से खाली हाथ लौटना पड़ता है घर: बोहड़ सिंह
मोगा में चालान भुगतने आए बोहड़ सिंह का कहना है कि रोजाना दफ्तर से निराश होकर खाली हाथ घर को लौटना पड़ता है। मोगा डी.टी.ओ. दफ्तर सुविधा की बजाय असुविधा केन्द्र बनकर रह गया है। उन्होंने मांग की कि लोगों की इस समस्या का जल्द हल हो। बड़े शहरों की तर्ज पर मोगा में भी मौके पर चालान भरने की प्रक्रिया शुरू करवाई जाए।
रोजाना 40 किलोमीटर का सफर तय करके आता है बलदेव सिंह कोटकपूरा
मोगा में पिछले 3 दिनों से चालान भुगतने के लिए आने वाले कोटकपूरा निवासी बलदेव सिंह का कहना है कि वह रोजाना 40 किलोमीटर का सफर तय करके मोगा में चालान भरने के लिए आता है लेकिन दफ्तर में कोई भी कर्मचारी न होने के कारण उसको निराश घर को लौटना पड़ता है।
फरीदकोट में तबदील किए सभी काम मोगा में शुरू करने की मांग
मोगा डी.टी.ओ. दफ्तर में चालान भरने आए एक व्यक्ति ने बताया कि मोगा जिला बनने से पहले फरीदकोट जिले की तहसील होती थी तथा जब 1996 में स्व. मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ ने मोगा को जिले का दर्जा दिलवाया तो उस समय से लोगों के कामकाज मोगा में होते थे लेकिन एल.टी.वी, एच.टी.वी, कमर्शियल सहित सभी गाडिय़ों का काम फरीदकोट में तबदील किया गया है, अगर जिले के सारे काम दोबारा फरीदकोट में ही होने हैं तो फिर मोगा को जिला बनाने का क्या फायदा। उन्होंने मांग की कि फरीदकोट में तबदील किए सभी काम सरकार मोगा में शुरू करवाए।