Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 01:32 PM
यहां का गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज और अस्पताल सरकार के हजारों करोड़ रुपए अब तक खर्च करवा चुका है परन्तु प्रबंधकों की लापरवाही के कारण इस समय अस्पताल ऐसी हालत में पहुंच चुका...........
फरीदकोट (हाली): यहां का गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज और अस्पताल सरकार के हजारों करोड़ रुपए अब तक खर्च करवा चुका है परन्तु प्रबंधकों की लापरवाही के कारण इस समय अस्पताल ऐसी हालत में पहुंच चुका है कि यहां से किसी को प्राथमिक सहायता भी नसीब नहीं होती। पिछले 3 सालों से अस्पताल की हो रही दुर्दशा और मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर शहर की अलग-अलग समाज सेवी संस्थाओं ने अस्पताल के प्रबंध सुधारने के लिए इसके प्रबंधकों के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है, जिस संबंधी अगले सप्ताह रणनीति तैयार की जाएगी।
जानकारी के अनुसार पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्व. पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने फरीदकोट निवासियों को मैडीकल कालेज का एक तोहफा 70वें दशक में दिया था। उस समय उत्तरी भारत का यह सबसे आधुनिक तकनीकों वाला अस्पताल था परन्तु धीरे-धीरे यह अस्पताल प्रबंधकों और सरकारी नीतियों की भेंट चढ़ता रहा। अंत में 90वें दशक में इसको बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हैल्थ साइंसिज के अधीन कर दिया गया। यहां से चाहे इसके सुधार की कई संभावनाएं बनीं और 1998 तक इसकी स्थिति यह थी कि इसके आधे से अधिक वार्डों को डाक्टर न होने के कारण ताले लग गए थे।
इसके बाद 2014 तक इस पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर आलीशान बिल्डिंगें बनाईं गई, आधुनिक मशीनरी लाई गई और विश्व स्तरीय अस्पतालों में से मोटा वेतन देकर अलग-अलग रोगों के माहिर डाक्टर यहां लाए गए। उस समय तक इस अस्पताल की रोजाना की ओ.पी.डी. 1300 तक पहुंच गई थी। इसके बाद इसका ग्राफ एक बार फिर गिरना शुरू हुआ और अब फिर अपनी पुरानी स्थिति में पहुंच गया है, जिसको लेकर शहर के गंभीर लोग अब इसकी इस हालत पर चिंतित हैं। अलग-अलग जत्थेबंदियों से संबंधित नेता और शहरवासी गुरप्रीत सिंह चंदबाजा, मंगत अरोड़ा, विपन तायल, गुरप्रीत सिंह चौहान, बलकरन सिंह नंगल और गगनदीप अरोड़ा ने बताया कि 40 साल पहले मालवे के 10 जिलों के लिए स्थापित किए अस्पताल में मौजूदा समय में लोगों को प्राथमिक सहायता भी नहीं मिलती जबकि इस अस्पताल के डाक्टरों को पंजाब में सबसे अधिक वेतन दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सड़क हादसे के पीड़ित 2 घायलों को अस्पताल में दाखिल करवाया परंतु 3 घंटे तक किसी भी डाक्टर ने इनको प्राथमिक सहायता नहीं दी। उन्होंने बताया कि एमरजैंसी में आने वाले मरीजों के वारिसों को खास दुकानों से दवा खरीदने की हिदायत दी जाती है जहां दवा कई गुणा महंगी बेची जा रही है। स्वर्ण सिंह, शविन्द्रपाल सिंह संधू और गुरदित्त सिंह सेखों ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह मैडीकल कालेज और अस्पताल का एमरजैंसी विभाग रैफर केंद्र बनकर रह गया है। उन्होंने बताया कि डाक्टर मरीजों को इलाज देने की जगह चंडीगढ़ और लुधियाना के निजी अस्पतालों में रैफर कर देते हैं। कुछ दिन पहले दुष्कर्म पीड़ित एक महिला को 3 दिनों बाद मैडीकल सहायता मिली और उसकी मैडीकल रिपोर्ट तक नहीं काटी गई। उन्होंने बताया कि एमरजैंसी में डाक्टरों का व्यवहार मरीजों प्रति बेहद बुरा और निंदनीय होता है।
एमरजैंसी विभाग में आधुनिक मशीनें होने के बावजूद पीड़ितों को इसका कोई लाभ नहीं दिया जा रहा। मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. राजीव जोशी ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह मैडीकल कालेज के अस्पताल और एमरजैंसी विभाग की सेवाओं में सुधार लाने के लिए उनके प्रयास जारी हैं। एमरजैंसी विभाग के बाहर उन्होंने अपना मोबाइल नंबर लिखा हुआ है जिस पर उनको काफी लोगों की शिकायत मिलीं हैं।
उन्होंने कहा कि अस्पताल और एमरजैंसी विभाग की सेवाएं सुधारने के लिए वह जल्द ही उच्च स्तरीय मीटिंग बुला रहे हैं और जल्द ही मरीजों और वारिसों की समस्याओं का हल हो जाएगा। अस्पताल के खराब प्रबंधों बारे विधायक कुशलदीप सिंह ढिल्लों ने कहा कि काफी शिकायतें मिलीं हैं और वह इस मामले के पक्के हल के लिए जल्द ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और सेहत मंत्री को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि मैडीकल सेवाएं दुरुस्त करने के लिए अस्पताल की कमियों और कुप्रबंधों को दूर कर दिया जाएगा।