Edited By Updated: 26 Apr, 2017 12:26 PM
देश विभाजन के बाद यहां खाली हाथ आ बसे एक परिवार के होनहार बेटे सुरिन्द्र अरोड़ा को इंगलैंड में प्राइड ऑफ पंजाब अवार्ड मिलने से अबोहर में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई है।
अबोहर (भारद्वाज): देश विभाजन के बाद यहां खाली हाथ आ बसे एक परिवार के होनहार बेटे सुरिन्द्र अरोड़ा को इंगलैंड में प्राइड ऑफ पंजाब अवार्ड मिलने से अबोहर में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के स्थानीय प्रशासन व सामुदायिक सचिव साजिद जावेद ने पंजाबी सोसायटी द्वारा हाल ही में आयोजित समारोह में जिन 2 आप्रवासी पंजाबियों को प्राइड ऑफ पंजाब 2017 अवार्ड से सम्मानित किया उनमें लेबर एम.पी. वरिन्द्र शर्मा के साथ मूल रूप से अबोहर निवासी होटल व्यवसायी सुरिन्द्र अरोड़ा भी शामिल हैं।
देश विभाजन के बाद यहां पहुंचे परिवार में 22 सितम्बर, 1958 को जन्म लेने वाले सुरिन्द्र को उसके अभिभावकों ने इंगलैंड जाते हुए जमना देवी चावला के सुपुर्द कर दिया था। इस शहर की गलियों में खेले और स्थानीय स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने वाले सुरिन्द्र को जब 1972 में इंगलैंड भेजा गया तब उसे पता चला कि उसके असली मां-बाप वहां बसे हुए हैं। इंगलैंड पहुंचने पर सुरिन्द्र को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं था लेकिन उसने अपनी योग्यता के बलबूते पर शीघ्र ही इस भाषा में निपुणता हासिल कर ली। प्रारंभिक तौर पर सुरिन्द्र ने एक बड़े होटल में वेटर के रूप में भी काम किया। अभी वह बी.ए. की पढ़ाई कर ही रहा था कि उसे ब्रिटिश एयरवेज में कस्टमर सर्विस अधिकारी के रूप में नौकरी प्राप्त हो गई। 11 वर्ष तक इस पद पर कार्य करने के बाद उसने अब्बेलाइफ कम्पनी में शाखा प्रबंधक के रूप में कार्य करना शुरू किया। उसके जीवन में रोमांचकारी क्षण तब आए जब उसमें वह होटल खरीदने की क्षमता पैदा हो गई जिसमें उसने वेटर के रूप में काम किया था।
अब वह इंगलैंड के मशहूर अरोड़ा होटल का मालिक है जिसके अधिकांश होटल हवाई अड्डों पर स्थित हैं। बीते दिनों जब सुरिन्द्र अरोड़ा अपनी पत्नी सुनीता के साथ अपनी दूसरी माता जमना देवी चावला से मुलाकात करने आया तब उसने पंजाबी सभ्याचार मंच द्वारा सम्मानित किए जाने पर यह कहा था कि वह उन गिने-चुने भाग्यशालियों में शामिल हैं जिसे 2 माताओं का असीम स्नेह व मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ और इन्हीं की दुआओं के कारण वह इस मुकाम पर पहुंचा है। अब उसे प्राइड ऑफ पंजाब अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर न केवल जमना देवी चावला व अन्य सगे-संबंधियों बल्कि इस छोटे से शहर में मौजूद उसके अनेक प्रशंसकों का गौरवान्वित होना स्वाभाविक है।