Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 10:16 AM
सरकारी अस्पताल की हालत काफी चिंताजनक बनी हुई है।
होशियारपुरः सरकारी अस्पताल की हालत काफी चिंताजनक बनी हुई है। एम.बी.बी.एस डॉक्टरों के सहारे अस्पताल में डिलीवरी का काम चलाया जा रहा है। और तो और ये डॉक्टर भी अपनी मर्जी से आते हैं। अकसर नर्से ही डिलीवरी करवा देती हैं। उसी का नतीजा है कि इस लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। कारण, घंटों तक महिला बैड पर कराहती रही। डॉक्टर को बार-बार बुलाने पर भी कोई नहीं आया तो नर्से खुद डॉक्टर बन गई। डिलीवरी करवाते समय रक्त अधिक बह गया तो शाम तो निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। अंत महिला ने दम तोड़ दिया।
13 सितंबर को सुबह साढ़े पांच बजे भगत सिंह नगर की रजनी (22) को सरकारी अस्पताल होशियारपुर में दाखिल करवाया गया था। इमरजैंसी के बाद उसे गायनी वार्ड में शिफ्ट कर दिया। रात की ड्यूटी डा. पुनीत कर रहे थे। उन्होंने चैकअप किया। इसके बाद सुबह की डॉ. शमिंदर आ गए। इवनिंग की ड्यूटी डॉ. रणवीर कौर की थी। वह ड्यूटी पर नहीं आईं। उधर, रजनी की लेबर पेन बढ़ती गई। जैसे-तैसे बिना डाक्टर के नर्स कविता और राजविंदर ने शाम साढ़े पांच बजे दर्द से तड़प रही रजनी की डिलीवरी करवा दी। मगर, रजनी की हालत ठीक नहीं थी जबकि परिवार को स्टाफ नर्स तसल्ली देती रहीं। कड़वी सच्चाई यह भी है कि 13 सितंबर को रजनी के अलावा 17 और महिलाएं एडमिट थीं। इनमें से भी अधिकांश की डिलीवरी नर्सों ने ही की। यूं कहें की उनसे भी खिलवाड़ होता रहा।
रजनी की हालत अत्यधिक खराब होने का खुलासा उस समय हुआ जब नाईट ड्यूटी करने के लिए डॉ. संगीता वहां पर पहुंची। उन्होंने देखा की कि रजनी की पल्स व बीपी गायब था। उन्होंने रजनी को आनन-फानन में रेफर कर दिया। घबराए परिजन उसे शहर के एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां से जालंधर भेज दिया गया और उसकी मौत हो गई।
शुक्रवार को अस्पताल का दौरा करने पर वहां पर मौजूद नर्सें बोली, यहां तो हम ही डिलीवरी करवाते हैं। यह तो रोज का काम है। डॉक्टर तो नाम के होते हैं। यहां पर कोई डॉक्टर नहीं टिकता है, क्योंकि काम ज्यादा है। औसतन यहां पर हर रोज 18 से 20 से डिलीवरी होती है। उनमें से रोज एक-दो को रेफर करना पड़ता है।
हैरान कर देने वाला पहलू यह था कि 13 सितंबर को सिविल सर्जन आफिस से इवनिंग ड्यूटी डॉ. रणवीर कौर की लगाई गई थी जबकि सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड में डॉ. अमरजीत कौर की ड्यूटी दिखाई जा रही है। वह तो दो माह से ट्रेनिंग पर गई हैं। अब सवाल उठता है कि डॉक्टर के मामले में ऐसी लापरवाही किससे और क्यों हुई।
सरकारी अस्पताल में तीन माह से गाइनकॉलजिस्ट नहीं है। गाइनकॉलजिस्ट डॉ. रजिंदर राज एस.एम.ओ. बनने के बाद जिला फैमिली प्लानिंग अफसर की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। कुछ समय पहले डॉ. नेहा ने ज्वांइन किया था। पर वह इस्तीफा देकर चली गई। उसके बाद कोई नया नहीं आया।
रजनी के पिता अमरजीत ने कहा कि रजनी की हालत बाद दोपहर से ही खराब होनी शुरू हो गई थी। वहां पर कोई डॉक्टर भी नहीं था। बेटी की हालत देख वह उसे रेफर करने के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन नर्सों ने उसकी एक न सुनी। बोले, सेहत विभाग की लापरवाही से उसके बेटी रजनी की जान गई है। जब गायनी वार्ड में कोई डाक्टर नहीं था तो उसकी बेटी की डिलीवरी क्यों करवाई गई। अब वह इंसाफ पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
डॉ. रेणु सूद, सिविल सर्जन होशियारपुर का कहना है कि सी.एम.ओ. कार्यालय ने डॉ. रणवीर कौर की ड्यूटी लगाई थी। आगे की व्यवस्था देखना एसएमओ का काम है। डॉ. रणवीर कौर क्यों नहीं इसके बारे में अभी उन्हें कुछ नहीं पता है। मैं निष्पक्ष जांच करवाऊंगी। उसकी लापरवाही पाई गई, उसके खिलाफ कारर्वाई होगी।
डा. ओ.पी. गोजरा, एस.एम.ओ., सरकारी अस्पताल होशियारपुर अनुसार सी.एम.ओ. दफ्तर को उसी दिन ही बता दिया गया था की कि इवनिंग ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं आया है। रजिस्टर में डॉ. अमरजीत कौर की ड्यूटी गलती से लग गई थी। वह इसकी जांच करेंगे। इस लापरवाही के खिलाफ कारर्वाई होगी।