Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Sep, 2017 12:20 PM
पावर निगम ने अपनी कमाई के ‘तराजू’ को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया है। अब प्राइवेट कर्मचारी जैसे चाहें उस ‘तराजू’ का इस्तेमाल करें, पावर
जालंधर (पुनीत): पावर निगम ने अपनी कमाई के ‘तराजू’ को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया है। अब प्राइवेट कर्मचारी जैसे चाहें उस ‘तराजू’ का इस्तेमाल करें, पावर निगम की कमाई का जरिया बिजली के बिल हैं जोकि प्राइवेट कर्मचारी बनाते हैं। महानगर जालंधर में 4 डिवीजन व 17 सब डिवीजन हैं जिनमें जरूरत के मुताबिक 70 के करीब पक्के मीटर रीडर चाहिए, जबकि इनके पास मात्र 8 पक्के मीटर रीडर हैं, जिनमें कइयों के रिटायर्ड होने में अधिक समय नहीं बचा है। पूरे पंजाब में मात्र 37 पक्के मीटर रीडर हैं।
8 की जरूरत पर हैं मात्र 2 इंस्पैक्टर
विभागीय नियमों के मुताबिक प्रत्येक सब-डिवीजन में 2 इंस्पैक्टरों की आवश्यकता होती है, जिसके हिसाब से महानगर की 4 डिवीजनों में 8 इंस्पैक्टरों की जरूरत, जबकि मात्र 2 इंस्पैक्टर ही काम चला रहे हैं। अधिकारी बताते हैं कि मीटर रीडरों द्वारा ली जाने वाली रीङ्क्षडग को इंस्पैक्टर द्वारा चैक किया जाता है कि उक्त कर्मचारी ने सही रीङ्क्षडग ली या नहीं। यदि गलत रीङ्क्षडग ली गई हो उस पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती है। अधिकारी बताते हैं कि जो कर्मचारी पक्के हैं उन पर तो विभाग द्वारा कार्रवाई की जा सकती है लेकिन इसके विपरीत ठेकेदार के जरिए काम करने वाले मीटर रीडरों पर कार्रवाई नहीं हो सकती।
सैटिंग से कम लिखी जाती है रीडिंग
सूत्र बताते हैं कि ठेके पर रखे गए कई कर्मचारियों द्वारा उपभोक्ता के साथ सैटिंग कर कम रीडिंग ली दी जाती है ताकि उपभोक्ता का बिल अधिक न बने। कथित कर्मचारियों की सैटिंग से कुछ समय के बाद या तो मीटर को आग लगा दी जाती है या फिर मीटर को उतार दिया जाता है या चोरी होने की बात कही जाती है। अब सोचने वाली बात यह है कि अगर मीटर चोरी होता है तो वह किसके काम का है, क्योंकि जो इलैक्ट्रानिक मीटर है उसमें तो चिप सिस्टम के अलावा कुछ भी नहीं होता, जबकि पुराने चक्करी वाले मीटर होते में तो कॉपर इत्यादि होता था जोकि 10-20 रुपए का बिक जाता था। बेहद कम ऐसे केस होते हैं जिनमें खुद ही आग लग जाए या कोई साजिश के तहत किसी का मीटर उतार कर ले जाए।
इंस्पैक्टर की भर्ती करसुलझ सकता है मसला
पावर निगम यदि हजारों की तादाद में मीटर रीडर भर्ती करने से कतरा रहा है तो वह इसका समाधान इंस्पैक्टर भर्ती कर कर सकता है। एक डिवीजन में 4-5 सब डिवीजन होती हैं। प्रत्येक डिवीजन में 2 इंस्पैक्टर भर्ती कर विभाग गलत बिल बनने को बड़े स्तर पर रोक सकता है। कुछ काली भेड़ों के कारण उन मीटर रीडरों की छवि भी खराब हो रही है जो ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाते हैं। यहां बताने योग्य है कि कच्चे मीटर रीडर घरेलू कनैक्शनों व दुकानों इत्यादि के बिल बनाते हैं, जबकि एम.एस. कनैक्शन से लेकर बड़ी इंडस्ट्री के बिल विभागीय कर्मचारियों द्वारा बनाए जाते हैं।