Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Oct, 2017 03:00 PM
सरकारी सैक्टर के थर्मल प्लांटों को बंद करके मुलाजिमों का विरोध झेल रहे पावर कॉम का स्पॉट बिलिंग के काम में भी नया कारनामा सामने आया है।
बठिंडा(परमिंद्र): सरकारी सैक्टर के थर्मल प्लांटों को बंद करके मुलाजिमों का विरोध झेल रहे पावर कॉम का स्पॉट बिलिंग के काम में भी नया कारनामा सामने आया है।
इसके तहत विभाग में 5 से 10 सालों से काम कर रहे ठेका मुलाजिमों का शोषण किया जा रहा है। विभाग में लंबे समय से स्पॉट बिलिंग पर तैनात ठेका आधारित मुलाजिमों को प्रति बिल 2.50 रु. ही दिए जा रहे हैं जबकि स्पॉट बिङ्क्षलग का यही काम करने वाली निजी कंपनियों को प्रति बिल 8 से लेकर 8.47 रु. प्रति बिल भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में विभाग द्वारा बराबर का काम करने वाले अपने मुलाजिमों को निजी कंपनियों से लगभग 6 रुपए प्रति बिल कम मेहनताना दिया जा रहा है। विभाग की ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी खजाने को भी चपत लग रही है।
एक ही समय एक ही काम, पैसे अलग-अलग
2011 में शुरू की गई स्पॉट बिलिंग के तहत निजी कंपनियों को बिल काटने का काम मुलाजिमों के मेहनताने से लगभग दोगुने रेटों पर सौंप दिया गया है। स्पॉट बिलिंग के तहत उक्त निजी कंपनियों के मुलाजिमों को एक मशीन दी जाती है जिसमें वह मीटर की रीडिंग देखकर मौके पर ही बिजली का बिल दे देते हैं। मौजूदा समय में पंजाब में यह काम 3 बड़ी निजी कंपनियों को सौंपा गया है जो पावर कॉम से प्रति बिल 8 रुपए से लेकर 8.47 रुपए तक वसूल कर रही हैं। मजे की बात यह है कि 2013 से लेकर मौजूदा समय तक पावर कॉम के अपने ठेका मुलाजिम भी शहरों व ग्रामीण इलाकों में उक्त कंपनियों के समान ही स्पॉट बिलिंग का काम कर रहे हैं।
सरकार को भी लग रहा करोड़ों का चूना
पावर कॉम की निजी कंपनियों को प्रफुल्लित करने की इन नीतियों के कारण पंजाब सरकार के खजाने को भी प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। पावर कॉम में लंबे समय से मीटर रीङ्क्षडग व बिल वितरण का काम करने वाले पुराने मुलाजिमों को छोड़कर निजी कंपनियों को दोगुने रेट देने का यह काम करीब 6-7 सालों से चल रहा है जिससे अब तक सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा चुका है। यही नहीं मीटर रीङ्क्षडग करके बिल काटने जाते निजी कंपनियों के मुलाजिमों को मीटर या अन्य विभागीय कार्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती।
लंबे समय से झेल रहे हैं आर्थिक शोषण
विभाग में मेहनताना देने में अपने ही मुलाजिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। सैंकड़ों ठेका मुलाजिम 10-12 सालों से बतौर मीटर रीडर व बिल वितरक का काम कर रहे थे व लंबे समय से वे यह आर्थिक व मानसिक शोषण झेल रहे हैं। स्पॉट बिलिंग शुरू होने से पहले उक्त मुलाजिमों में शामिल मीटर रीडरों को शहरी इलाकों में 2.50 रुपए प्रति मीटर तथा बिल वितरकों को 1.50 रुपए प्रति बिल मेहनताना दिया जाता था। इसी प्रकार ग्रामीण इलाकों में मीटर रीडरों को 3.50 रुपए प्रति मीटर तथा बिल वितरकों को 2.50 रुपए प्रति बिल मेहनताना मिलता था। 2011 में स्पॉट बिलिंग शुरू हो गई व निजी कंपनियों को मीटर चैक करने व बिल काटने का काम सौंप दिया गया। हैरत की बात है कि उस वक्त शहर में मीटर रीडर व बिल वितरक को मात्र 4 रुपए दिए जाते थे व गांव में 6 रुपए मेहनताना दिया जाता था लेकिन निजी कंपनियों को इससे दोगुने यानि 8 रुपए देने शुरू कर दिए गए।