Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Sep, 2017 09:24 AM
पावर काम को उस समय जोरदार झटका लगा, जब लोअर कोर्ट द्वारा एक मासूम बच्ची के पक्ष में पारित की गई 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि को
अमृतसर(महेन्द्र): पावर काम को उस समय जोरदार झटका लगा, जब लोअर कोर्ट द्वारा एक मासूम बच्ची के पक्ष में पारित की गई 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि को बढ़ा कर सैशन कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज शिव मोहन गर्ग की अदालत ने 20 लाख करने का फैसला सुनाया।
हाईटैंशन वायर की लपेट में आकर 55 फीसदी झुलस गई थी दीया
न्यू प्रीत नगर, बटाला रोड निवासी मासूम बच्ची दीया पुत्री रमन कुमार ने अपने पिता रमन कुमार के जरिए 24 फरवरी 2014 को पावर काम के पटियाला स्थित चेयरमैन, बटाला रोड सब-डिवीजन के एस.डी.ओ. तथा एक्स.ई.एन. के खिलाफ पटीशन दायर की थी। इसमें कहा गया था कि 2 जुलाई 2011 को दीया घर की छत पर खेल रही थी। उनके घर की छत से थोड़ी-सी ऊंचाई से गुजर रही 11000 वोल्टेज वाली हाईटैंशन वायर की लपेट में आ जाने से वह 55 फीसदी झुलस गई थी। करंट उसके शरीर में इस तरह से दाखिल हुआ कि उसके हाथ-पांव के साथ-साथ पेट की चमड़ी में सुराख भी हो गए थे। उसका दायां हाथ पूरी तरह से जल कर राख हो गया था। उसके दोस्तों द्वारा की गई आर्थिक मदद की बदौलत उसकी बेटी दीया के 5 बड़े आप्रेशन हुए थे। दीया ने अपनी याचिका में पावर काम से 50 लाख रुपए की मुआवजा राशि दिलवाने की गुहार लगाई थी।
मुआवजा देने की बजाय पावर काम ने विभाग को बताया निर्दोष
मामले की सुनवाई के दौरान पावर काम के अधिकारियों का कहना था कि हाईटैंशन वायर पहले से लगी हुई है। उसके नीचे निर्माण नहीं करवाया जा सकता है लेकिन इलाके में लोगों ने हाईटैंशन वायर के नीचे मकान बना लिए हैं, इसलिए इसके लिए पावर काम जिम्मेवार नहीं है। इस पर दीया की कौंसिल का कहना था कि अगर यह बात है तो पावर काम ने लोगों के घरों में बिजली कनैक्शन कैसे जारी कर दिए और जल व सीवरेज विभाग ने उन्हें जल व सीवरेज के कनैक्शन कैसे जारी कर दिए? होना यह चाहिए था कि पावर काम विभाग को रिहायशी इलाके से हाईटैंशन वायर को हटाना चाहिए था।
नहीं मिली सरकारी मदद, दोस्तों की बदौलत हुआ इलाज
दीया के पिता रमन ने भरे मन से बताया कि जिस तरह से दीया इतने बड़े हादसे का शिकार हुई थी, उसकी बचने की कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन उसके दोस्तों की बदौलत ही वह अपनी दीया का इलाज करवा सका था। उसकी बेटी के 5 बड़े आप्रेशन हुए। उसने कहा कि उसने मानवाधिकार आयोग तथा पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह सहित न जाने कहां-कहां से आॢथक मदद की गुहार लगाई थी लेकिन उसे कहीं से भी सरकारी मदद नहीं मिली। उसने बताया कि वह प्राइवेट तौर पर ड्राइवरी करने के साथ-साथ फैक्टरी में पैकिंग का काम करके अपने परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजारा करता है। उसके लिए तो कानूनी लड़ाई भी लड़ पाना बहुत मुश्किल है लेकिन भला हो उसकी महिला वकील का, जो इंसानी हमदर्दी दिखाते हुए उसकी बेटी का यह केस लड़ रही है।
मोदी जी, प्लीज मेरे पापा की मदद करो : दीया
जब दीया से बातचीत की गई तो उसने बताया कि उसके मम्मी-पापा उसे बहुत प्यार करते हैं। वह गुरुकुल इंटरनैशनल पब्लिक स्कूल में थर्ड क्लास में पढ़ती है और बड़ी होकर कुछ बनना चाहती है लेकिन जब वह अपने पापा को उसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ते हुए देखती है, तो उसे ऐसा लगता है कि उसके पापा कहीं यह कानूनी लड़ाई लड़ते-लड़ते थक न जाएं। वह नहीं चाहती कि उसकी वजह से उसके पापा पर कोई बड़ा बोझ पड़े। वह अपना दायां हाथ गंवाने के बावजूद अपने मम्मी-पापा को कुछ बन कर दिखाना चाहती है। कहीं उसके कारण परिवार की गरीबी बाधा न बन जाए। दीया ने अपने पापा की सारी बातें सुनने के पश्चात प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ यूं कहा, ‘‘मोदी जी! प्लीज मेरे पापा की मदद करो। मेरे पापा मेरी वजह से कहीं डोल न जाएं।’’