अश्लील वीडियो वायरल मामलाःचड्ढा के खिलाफ मुंह खोलने वाले CKD से होते थे बाहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 09:12 AM

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चीफ खालसा दीवान के पदाधिकारियों की बैठक में डा. सूबा सिंह ने कहा कि चड्ढा ने दुष्टों वाली हरकतों से न केवल इस शैक्षणिक संस्था का नाम बदनाम किया बल्कि सिख पंथ को भी कलंकित किया है।

अमृतसर (ममता): चीफ खालसा दीवान के पदाधिकारियों की बैठक में डा. सूबा सिंह ने कहा कि चड्ढा ने दुष्टों वाली हरकतों से न केवल इस शैक्षणिक संस्था का नाम बदनाम किया बल्कि सिख पंथ को भी कलंकित किया है। पदाधिकारी सुरिन्द्र सिंह ने कहा कि वह चड्ढा की हरकतों से लम्बे समय से अवगत थे लेकिन उसके खिलाफ मुंह खोलने का अर्थ सी.के.डी. से बाहर होना था।

उन्होंने कहा कि सी.के.डी. के पूर्व सचिव भाग सिंह अणखी, अवतार सिंह, हरभजन सिंह सोच जैसे बुद्धिजीवियों ने जब-जब चड्ढा की मनमानियों के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें उसी समय सदस्यता से बर्खास्त करके बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि भाग सिंह अणखी को पुन: सी.के.डी. में वापिस लाया जाए। प्रमुख सदस्य निर्मल सिंह ने कहा कि चरणजीत सिंह चड्ढा और उसके बेटे इन्द्रप्रीत सिंह के बादल परिवार के साथ पारिवारिक संबंध थे। बादल सरकार के समय बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी चड्ढा से अपने काम करवाते थे। यही वजह थी कि चड्ढा पर मामला दर्ज करने में उन्होंने देरी की।

उन्होंने चड्ढा की सुच्चा सिंह लंगाह एवं बाबा राम रहीम से तुलना की। नरिन्द्र सिंह खुराना ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने यह फैसला चड्ढा के इस्तीफा न देने और स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए अड़े रहने पर लिया। उन्होंने कहा कि अब वह पंजाब सरकार द्वारा चड्ढा के खिलाफ चल रही जांच में पूरा सहयोग देंगे। 

रविन्द्र कौर के खिलाफ एक्शन पर साधी चुप्पी
वायरल हुई वीडियो में शामिल महिला प्रिं. रविन्द्र कौर बमरा के बारे में जब कोई फैसला लेने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इससे पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इस संबंध में वह मैंबर इंचार्ज की रिपोर्ट अनुसार ही निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि मैंबर इंचार्जों के अंतर्गत स्कूलों का कामकाज चलता है। ऐसे में सोसायटी इस बारे में स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकती। 

‘सी.के.डी. का अर्थ चड्ढा खुराना, धनराज’ 
कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता मनदीप सिंह मन्ना ने चीफ खालसा दीवान (सी.के.डी.) का अर्थ एस.ए.डी. (शिअद) की तर्ज पर निकालते हुए इसे ‘चड्ढा, खुराना, धनराज’ बताते हुए पंजाब सरकार से मांग की है कि वह इस धार्मिक शैक्षणिक संस्था का प्रबंध अपने हाथों में लेते हुए इसके चुनाव भी खुद करवाए व इसे चड्ढा एवं इसके परिवार के सदस्यों से मुक्ति दिलाए। उन्होंने कहा कि चड्ढा ने बादल परिवार के पद-चिन्हों पर चलते हुए जिस तरह बादलद्वारा एस.ए.डी. (शिअद) को ‘साडी अपनी दुकान’ बना लिया था उसी तरह से उन्होंने सी.के.डी. का नामकरण केवल अपने सहित 3 पदाधिकारियों के नाम करके उन्हें अपने काले कारनामों में शामिल किया। इसकी बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए।

मन्ना ने कहा कि सी.के.डी. पर पिछले लगभग 15 साल से चड्ढा परिवार ही काबिज है। इसमें न केवल चरनजीत सिंह चड्ढा बल्कि उनके परिवार के लगभग 100 के करीब सदस्य एवं मित्र सी.के.डी. की कार्यकारिणी में शामिल हैं। मन्ना ने कहा कि सी.के.डी. के अध्यक्ष के केवल सैक्स स्कैंडल की ही नहीं बल्कि बड़े स्तर पर किए घोटालों की भी जांच होनी चाहिए, जैसे कि सी.के.डी. के स्कूलों की फीस में से कितना पैसा बादल परिवार के स्कूलों में जाता रहा। इसके अतिरिक्त एयरपोर्ट रोड स्थित सी.के.डी. द्वारा वृद्ध आश्रम के लिए खरीदी जमीन के दुरुपयोग की जांच भी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि शुभम एंक्लेव की जमीन जोकि जी.टी. रोड दुबुर्जी के पास स्थित है, का सौदा बेटे के मार्फत सी.के.डी. के पैसे से किया जिसमें से चड्ढा को मोटी कमिशन मिली। गोल्डन एवेन्यू ब्रांच के साथ वाली जगह खरीदने के लिए बच्चों के मां-बाप से बिलिंडग फंड के नाम पर पैसे इकट्ठे किए और जमीन खरीदी ही नहीं। सी.के.डी. की वॢदयों, किताबों और कैंटीन की सौदेबाजी में ली जाने वाली डोनेशन के नाम पर कमीशन भी जांच का विषय है।

पुलिस की देखो कार्रवाई : जुर्म कहीं और मुकद्दमा कहीं !
चीफ खालसा दीवान के प्रधान चरणजीत सिंह चड्ढा के अश्लील वीडियो प्रकरण में हालांकि स्थानीय पुलिस कमिश्नर के निर्देशानुसार तथा डी.ए. लीगल के सुझाव के अनुसार स्थानीय थाना इस्लामाबाद में चड्ढा तथा उनके बेटे इन्द्रबीर सिंह चड्ढा के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, लेकिन स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की शुरूआत ही गलत तरीके से कर दी है क्योंकि वायरल हुई अश्लील वीडियो रणजीत एवेन्यू क्षेत्र में स्थित चड्ढा के ही एक होटल में बनी बताई जा रही है, इसलिए यह रणजीत एवेन्यू इलाका स्थानीय सिविल लाइन के अधिकार क्षेत्र में आता है जिस कारण यह मामला थाना सिविल लाइन में दर्ज होना चाहिए था। 

 

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