Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 09:50 AM
वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली में मैडीकल एमरजैंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार से वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है, साथ में हैलीकॉप्टर से बारिश करने को भी कहा है ताकि जो एयर लॉक पैदा हो...
जालंधर(बुलंद) : वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली में मैडीकल एमरजैंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार से वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है, साथ में हैलीकॉप्टर से बारिश करने को भी कहा है ताकि जो एयर लॉक पैदा हो गया है वह गतिमान हो सके। धुंध में धुएं के कण मिल जाने के कारण स्मॉग पैदा हो गई है। इसके साथ ही एयर लॉक पैदा हो गया है। यह एयर लॉक बारिश होने से ही खुलेगा। दूसरी तरफ शुक्रवार शाम जालंधर में भी ऐसे ही हालात थे। शाम 8.41 बजे एयर क्वालिटी इंडैक्स 704 हो गया। ऐसे में सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
पंजाब में भी होनी चाहिए कृत्रिम बारिश
इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के जिला जालंधर के प्रधान बी.एस. जौहल और सैक्रेटरी दीपक चावला का कहना है कि इतने वायु प्रदूषण में छाती रोग तो उत्पन्न होंगे ही साथ में हार्ट अटैक की आशंका भी ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से मांग की है कि पंजाब सरकार को वैसे ही निर्देश दिए जाएं जो दिल्ली सरकार को दिए गए हैं और पंजाब के उन जिलों में कृत्रिम बारिश की जानी चाहिए यहां वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है।
रुक नहीं रहा पराली जलाने का सिलसिला
दूसरे कारणों के साथ-साथ धान की पराली जलाने से भी वायु में ऐसे खतरनाक कण दाखिल होते हैं, जिनसे वातावरण को भारी नुक्सान हो रहा है। पराली जलाने बारे जब डाटा इकट्ठा करने हमारी टीम जुटी तो पाया कि पंजाब में तकरीबन 30 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की बिजाई होती है, जिससे तकरीबन 19.70 लाख टन पराली पैदा होती है। इसमें से 2.70 मिलियन टन पराली तो पशुओं के चारे के लिए और 1.60 लाख टन अन्य कार्यों में प्रयोग कर ली जाती है। शेष रहती तकरीबन 15.39 लाख टन पराली पंजाब में जला दी जाती है, जिससे पंजाब के वातावरण में अनेक प्रकार के प्रदूषित कण फैल जाते हैं। इस 15.39 लाख टन पराली जलाने से वातावरण में 12 मीट्रिक कार्बन डाईऑक्साइड मिल जाती है, जिससे 250 करोड़ रुपए की नाइट्रोजन की मात्रा का नुक्सान होता है और जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। इसके साथ ही किसान मित्र अनेक प्रकार के जीव-जन्तु नष्ट हो जाते हैं। नासा से प्राप्त तस्वीरों के अनुसार पंजाब भारत का 1.6 प्रतिशत जमीनी हिस्सा है पर इसकी मिट्टी पूरे देश से ज्यादा उपजाऊ है। जालंधर जिले बारे प्राप्त डाटा के अनुसार यूरोपियन जी.ओ. साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में पराली जलाने के कारण सी.ओ., सी.ओ.2, सी.एच.4, एन.ओ.एक्स., वोलेटाइल आर्गैनिक और हाईड्रोजन कम्पाऊंड निकलते हैं, जिससे ग्लोबल वाॄमग हो रही है।
कृषि विभाग क्या कहता है...
कृषि विभाग के जिला खेतीबाड़ी विकास अधिकारी डा. जसविंद्र सिंह के अनुसार जालंधर में कुल 1,69,000 हैक्टेयर खेतीबाड़ी वाली जमीन जो तकरीबन 4.23 लाख एकड़ रकबा बनता है, में धान की बिजाई होती है, जिससे 11 से 12.5 मीट्रिक टन पराली पैदा होती है। एक टन पराली जलाने से 2 किलो एस.ओ.2, 3 किलो पी.एम., 60 किलो सी.ओ.,1450 किलो सी.ओ.2, 199 किलो राख पैदा होती है। इसके साथ ही हर सीजन में पंजाब में तकरीबन 150 करोड़ के पोषक तत्व जलकर राख हो जाते हैं। डा. जसविंद्र सिंह के अनुसार किसान अगर पराली न जलाएं तो पराली को जालंधर के 2 बॉयो गैस प्लांटों और साथ ही गत्ता बनाने वाली फैक्टरियों को भी बेचा जा सकता है।
स्मॉग से सेहत पर पड़ रहे बुरे प्रभाव : डा. मोदी
-सर्दियां शुरू हो गई हैं जिस कारण अब पराली जलाने के कारण प्रदूषित धुआं वातावरण में ज्यादा ऊपर तक नहीं जा पाता और वातावरण की निचली सतह पर ही इसकी परत जम जाती है जो वातावरण और प्राणियों की सेहत के लिए बड़ा खतरा है।
-पराली जलाने से लोगों में खांसी, जुकाम, अस्थमा जैसी बीमारियां फैलती हैं।
-वातावरण में फैलते धुएं से अस्थमा के मरीजों को भारी नुक्सान पहुंचता है।
- छोटे बच्चों में धुएं से खांसी, बलगम जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
-बुजुर्ग जिन्हें खास करके हृदय के रोग हैं उनके लिए पराली और पटाखों का धुआं बेहद खतरनाक है।
-गर्भवती महिलाओं में प्रदूषण, पटाखों और पराली के धुएं से कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। पेट में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।