Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 12:08 PM
होशियारपुर की फिजाओं में गुजर बसर करने वाले अधिकांश लोगों को यह पता भी नहीं है कि पॉल्यूशन फ्री सिटीज की लिस्ट में शामिल होशियापुर में वास्तव में तय मानक से दोगुना प्रदूषण है व हवा में तैर रहे जानलेवा पार्टिकल्स (धूलकण) पी.एम.10 ने उन्हें किस तरह...
होशियारपुर (अमरेन्द्र): होशियारपुर की फिजाओं में गुजर बसर करने वाले अधिकांश लोगों को यह पता भी नहीं है कि पॉल्यूशन फ्री सिटीज की लिस्ट में शामिल होशियापुर में वास्तव में तय मानक से दोगुना प्रदूषण है व हवा में तैर रहे जानलेवा पार्टिकल्स (धूलकण) पी.एम.10 ने उन्हें किस तरह धीरे-धीरे जानलेवा बीमारियों की ओर धकेलना शुरू कर दिया है। यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं कि जब लोगों को बिना मास्क लगाए घूमना खतरे से खाली नहीं होगा।
कंस्ट्रक्शन वर्क भी फैलाता है प्रदूषण
होशियारपुर में आबादी के दबाव व लोगों के आर्थिक तौर पर मजबूत होने के कारण लगातार व्हीकल्स की संख्या में इजाफा हो रहा है। खासकर शहर में चल रहे डीजल से चलने वाले खस्ताहाल थ्री-व्हीलर व फोर-व्हीलर (बस-ट्रक) के पॉल्यूशन के साथ ही इस शहर में लगातार जारी कंस्ट्रक्शन वर्क और नई-नई फैसिलिटीज में हुए इजाफे ने यहां पर पॉल्यूशन के पैमानों पर भी असर डाला है।
आखिर क्या है पी.एम.10
होशियारपुर में पिछले एक दशक के दौरान धूलकण यानी पी.एम.10 (पाॢटकुलेट मैटर 10) की मात्रा तय मात्रा की अपेक्षा 2 से 3 गुना बढ़ चुकी है। तय मानक के मुताबिक यह 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए, जबकि इस वक्त इसका स्तर दिन के समय 200 व कभी-कभार तो 300 से अधिक हो जाया करता है।
रात के समय सड़कों पर वाहनों के नहीं चलने की वजह से इसकी मात्रा घटकर 150 से 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक हो जाया करती है। पी.एम. 10 का मतलब 10 माइक्रोमीटर तक के धूलकण। इनमें हवा में मौजूद धूल, धुआं, नमी, गंदगी जैसी चीजें होती हैं। हवा में पी.एम.10 की मात्रा बढऩे से खांसी-जुकाम होता है और कई बार सांस लेने में भी दिक्कत होती है।
सिर्फ फोटो खींचकर ही बना दिया जाता है प्रदूषण प्रमाण पत्र
गौरतलब है कि सड़क पर उतरने के लिए वाहन चालक को प्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाना जरूरी होता है। अधिकतर प्रदूषण जांच केंद्रों पर बिना उपयुक्त जांच किए ही सिर्फ फोटो खींचकर ही 30 से लेकर 100 रुपए में वाहन चालक को प्रदूषण प्रमाण पत्र थमा दिया जाता है। शहर के चौक चौराहों पर खड़े ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी के पास वाहन से निकलने वाले प्रदूषण को जांचने के लिए कोई उपकरण नहीं होते जिस वजह से ट्रैफिक पुलिस प्रदूषण प्रमाण पत्र पर ही निर्भर होने को मजबूर हुआ करते हैं।
क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ
पर्यावरण विशेषज्ञ स्टेट अवार्डी जतिन्द्र तिवाड़ी के अनुसार 0 से 59 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर तक के प्रदूषण को सामान्य, 60 से 89 तक को ठीक, 90 से 120 तक को खराब और 120 से 200 को अत्यधिक खराब व इससे अधिक माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर प्रदूषण का स्तर होने पर लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में कठिनाई सहित कई प्रकार की समस्याएं सामने खड़ी हो जाती हैं।