भाजपा का मिशन-2019: संकट में उत्तर भारत की 24 सीटें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 10:06 AM

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भाजपा के मिशन-2019 को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से जोरदार झटका लग सकता है।

जालंधर (राकेश बहल, सोमनाथ कैंथ): भाजपा के मिशन-2019 को पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से जोरदार झटका लग सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ सहित इन राज्यों की कुल 34 लोकसभा सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगियों ने 24 जीती थीं, जिनमें भाजपा की 17 सीटें थीं।  4 सीटें अकाली दल, 3 सीटें पी.डी.पी. ने जीती थीं। 
अकाली दल ने भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ा था, जबकि पी.डी.पी. ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनाई थी। इन 34 सीटों में से कांग्रेस को 4, आम आदमी पार्टी को 4, इनैलो को 2, एन.सी.पी. को एक सीट मिली थी। भाजपा की एक सीट पहले भी कम हो चुकी है क्योंकि गुरदासपुर सीट के उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को करारी मात दे कर सीट छीन ली है। 


पंजाब
पंजाब की कुल 13 सीटों में से 2014 में भाजपा-अकाली दल गठजोड़ ने 6 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 3 और ‘आप’ को 4 सीटें मिली थीं। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस की सरकार है। गुरदासपुर के उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को बुरी तरह से हराया है। निगम चुनाव में भी कांग्रेस ने गठजोड़ का सूपड़ा साफ कर दिया है। 2014 के चुनाव में भाजपा-अकाली दल को 6 सीटें मिलने के पीछे सबसे बड़ा कारण आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच वोटों का विभाजन था। इसका लाभ गठजोड़ को मिला था लेकिन अब पंजाब में सीधी लड़ाई की  स्थिति बनती जा रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा-अकाली गठजोड़ के लिए अपनी सीटें बचाना कठिन होगा। 

प्रदेश में लोकसभा सीटों की 2014 की स्थिति
कुल सीटें    13
‘आप’-4 
*   फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर, पटियाला
अकाली दल-4
* आनंदपुर साहिब, बङ्क्षठडा, खडूर साहिब, फिरोजपुर
कांग्रेस-3
*    अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, 
भाजपा-2 
*    होशियारपुर और गुरदासपुर। अब गुरदासपुर सीट कांग्रेस के पास है।

पंजाब की इन 6 सीटों पर ‘आप’ और कांग्रेस के वोट जोड़ लिए जाएं तो सभी सीटें हार सकता है गठजोड़  


1 आनंदपुर साहिब सीट 
कांग्रेस    459943
‘आप’    80463
अकाली दल     354768
2  बङ्क्षठडा
कांग्रेस     495332
‘आप’    87901
अकाली दल    514727
3  फिरोजपुर
अकाली दल    487932
कांग्रेस     456512
‘आप’    113412
 4  गुरदासपुर 
भाजपा    482114
कांग्रेस    346008
‘आप’    173325
5 होशियारपुर 
भाजपा    346643
कांग्रेस    333961
‘आप’     213388
6  खडूर साहिब 
अकाली दल    467332
कांग्रेस      366763
‘आप’     144521

इस बार गुरदासपुर के उपचुनाव में कांग्रेस आम आदमी पार्टी के वोट बैंक को अपनी तरफ  कर बड़ी जीत दर्ज करने में सफल रही है। कांग्रेस इसी रणनीति पर काम कर रही है। लोकसभा चुनाव में ‘आप’ की टिकट पर चुनाव लडऩे वाले कई नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस तरह से कांग्रेस ने अभी से मिशन-2019 पर काम करना शुरू कर दिया है। 


हरियाणा
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से इस समय भाजपा के पास 7 सीटें हैं। 2 सीटें इनैलो, 1 सीट कांग्रेस के पास है। भाजपा के 7 सांसदों में से कुरुक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने खुलेआम बगावत कर दी है। भाजपा काडर में सरकार के प्रति गुस्सा है। कर्मचारी वर्ग सरकार से वादे पूरे न होने के कारण नाराज है । कानून व्यवस्था की हालत खराब है। डेरा सच्चा सौदा जिसने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव में भाजपा का साथ दिया था, राम रहीम के जेल चले जाने के कारण भाजपा को दोषी माना जा रहा है। 
डेरे का 4 सीटों सिरसा, अम्बाला, कुरुक्षेत्र व करनाल पर सीधा प्रभाव है। ऐसे में डेरा फैक्टर भाजपा के खिलाफ  जाने की संभावना है इसलिए यहां सीटें खतरे में हैं। यहां खतरा केवल 2019 तक का नहीं बल्कि इसके बाद होने वाले चुनाव में भी है। हरियाणा में भाजपा ने पहली बार 90 में से 47 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी।  विधानसभा चुनाव भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। भाजपा के कुछ सांसद खुलेआम बगावत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर के खिलाफ  बयानबाजी जारी है, जिसका नुक्सान भाजपा को 2019 के चुनाव में होना तय माना जा रहा है। 


हरियाणा का चुनावी डाटा


लोकसभा चुनाव 1999
पार्टी        सीट
भाजपा    5
इनैलो    5    
कांग्रेस    0
लोकसभा चुनाव 2004
पार्टी    सीट    
भाजपा    1    
इनैलो    0    
कांग्रेस      9
लोकसभा चुनाव 2009
पार्टी    सीट    
भाजपा    0
एच.जे.सी.    1    
कांग्रेस    9
लोकसभा चुनाव 2014
पार्टी    सीट    
भाजपा    7    
इनैलो    2    कांग्रेस     1
विधानसभा चुनाव 2014
पार्टी    सीट    
भाजपा    47
कांग्रेस        15
इनैलो    19

प्रदेश में लोकसभा सीटों  की स्थिति-कुल 10
भाजपा- 7
(अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, भिवानी-महेन्द्रगढ़, गुडग़ांव, फरीदाबाद)
इनैलोद        2(सिरसा, हिसार)
कांग्रेस     1(रोहतक)

माहिरों ने 10 बातें गिनाई हैं जो भाजपा के पक्ष में नहीं जा रही हैं


1    सत्ता में आने के लिए पार्टी ने कर्मचारियों की रिटायरमैंट आयु घटाने की बात कही थी 
लेकिन सरकार अपना यह वायदा पूरा नहीं कर सकी। इस कारण युवा वर्ग की सरकार के 
साथ नाराजगी है। 
1 7वें वेतन आयोग की विसंगतियां दूर करने में सरकार असफल रही।
1 स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं होने से किसानों की सरकार के प्रति नाराजगी पहले से भी ज्यादा है।
1 गैस्ट टीचर पक्के करने का मामला जोकि अभी तक पक्के नहीं हुए।
1    बेरोजगारी ज्यों की त्यों है। सरकार ने 3 साल के कार्यकाल में 16 हजार नियुक्तियां की हैं। कई विभागों में अभी भी कई पद खाली हैं मगर सरकार उन्हें भर नहीं रही है।
1    जे.बी.टी. टीचर्स को ज्वाइनिंग लैटर तो मिले हैं मगर स्कूल नहीं मिलने के कारण वे अभी भी परेशान हैं क्योंकि स्कूल मिलने के बाद ही उन्हें ज्वाइनिंग लैटर का फायदा हो पाएगा।
1 पार्टी कार्यकत्र्ताओं और विधायकों के काम नहीं हो रहे हैं। 
1    विकास योजनाओं पर काम नहीं हो रहा है। विकास के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की परियोजनाओं के नाम बदले जा रहे हैं।
1 जनता में असुरक्षा की भावना
1 महंगाई पर काबू नहीं पाना सरकार की बड़ी असफलता मानी जा रही है।

जम्मू-कश्मीर 


यहां की कुल 6 सीटों में से भाजपा ने 3 सीटें जीती थीं। 2 सीटें पी.डी.पी. को, 1 सीट एन.सी.पी. को मिली थी। इन चुनावों के बाद भाजपा ने विधानसभा चुनाव मेें पहली बार 25 सीटें जीत कर पी.डी.पी. के साथ मिल कर राज्य में सरकार बनाई थी। 2019 में भाजपा के लिए अपनी 3 सीटें बचाना कठिन चुनौती होगा क्योंकि राज्य सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा है। भाजपा का परंपरागत वोट बैंक जो जम्मू का है वह पी.डी.पी. की नीतियों के कारण भाजपा से दूर जा रहा है। पी.डी.पी. से गठजोड़ करना भाजपा को लोकसभा चुनाव में महंगा साबित हो सकता है। 

लोकसभा सीटों की 2014 की स्थिति
कुल सीटें-6
भाजपा    3 (जम्मू, ऊधमपुर, लद्दाख)
पी.डी.पी.    3     (बारामूला, श्रीनगर, अनंतनाग)

हिमाचल प्रदेश


लोकसभा सीटें 4
भाजपा-4 
द्य    मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, शिमला
हिमाचल प्रदेश की चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीत कर वहां पर सरकार बनाई है लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा की लड़ाई सड़क पर आई है उसके बाद भाजपा के लिए 4 सीटों को बचाना कठिन होगा।

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