Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 10:17 PM
पहले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने और अब गुरदासपुर उप चुनाव में भारी अंतर से हार के बाद भी प्रदेश भाजपा ने कोई सबक नहीं लिया है। हार की समीक्षा में जो कुछ सामने निकल आया है, उससे तो ऐसा लगता है कि पार्टी अपनी गल्तियों से कोई सबक ही नहीं लेना...
जालंधर(रविंदर शर्मा): पहले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने और अब गुरदासपुर उप चुनाव में भारी अंतर से हार के बाद भी प्रदेश भाजपा ने कोई सबक नहीं लिया है। हार की समीक्षा में जो कुछ सामने निकल आया है, उससे तो ऐसा लगता है कि पार्टी अपनी गल्तियों से कोई सबक ही नहीं लेना चाहती।
प्रदेश भाजपा के नेता अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हैं। अपनी कमियां व खामियां निकालने की बजाय हार का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ रहे हैं यानी हार के लिए खुद भाजपा जिम्मेदार नहीं, बल्कि भाजपा प्रत्याशी की हार के लिए कांग्रेस व अकाली दल जिम्मेदार हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश में भाजपा की स्थिति इससे भी बदतर होने जा रही है।
गुरदासपुर सीट भाजपा के विनोद खन्ना ने 2014 में बड़े मार्जन से जीती थी। विनोद खन्ना ने अच्छा खासा वोट बैंक व वर्कर वहां जुटा रखे थे। मगर मात्र 3 साल के भीतर ही भाजपा ने गुरदासपुर में अपनी जमीन गंवा ली। जमीन भी ऐसी गंवाई कि भाजपा का प्रत्याशी तकरीबन 2 लाख वोटों के मार्जन से चुनाव हार गया। हार के कारणों के लिए प्रदेश भाजपा ने समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें प्रमुख तौर पर तीन बातों पर डिस्कशन होना था। पहली बात थी कि क्या केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों (जिनमें खास तौर पर नोटबंदी व जी.एस.टी.) के कारण भाजपा हारी।
दूसरी बात थी कि क्या प्रदेश में पार्टी का नेतृत्व कमजोर है, जिसकी वजह से लगातार भाजपा का वोट बैंक छिटक रहा है और तीसरा था कि क्या स्वर्ण सलारिया के तौर पर पार्टी ने गलत प्रत्याशी को मैदान में उतारा। पूरी मीटिंग में न तो मोदी की नीतियों पर कोई चर्चा की गई और न ही इस बात पर कुछ डिस्कशन हुआ कि नोटबंदी व जी.एस.टी. के बाद पैदा हुई स्थिति को जनता के बीच जाकर कैसे समझाया जाए। न ही मीटिंग में इस बात चर्चा हुई कि जब से प्रदेश भाजपा की कमान विजय सांपला के हाथ में आई है, तब से प्रदेश में भाजपा लगातार कमजोर क्यों हो रही है और न ही इस बात पर चर्चा हुई कि कविता खन्ना का टिकट काटकर पार्टी ने स्वर्ण सलारिया को टिकट क्यों दी? काफी देर तक चली मीटिंग के बाद बाहर यह निकल कर आया कि कांग्रेस ने जोर जबरदस्ती कर यह चुनाव जीता है।
भाजपा नेताओं का कहना था कि कांग्रेस ने सारी सरकारी मशीनरी चुनावों में झोंक दी थी, जिस कारण भाजपा प्रत्याशी की हार हुई। शायद यह समीक्षा करने से पहले भाजपा के नेता यह भूल गए कि विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार सत्ता में थी और तब भी क्या सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल हुआ था और अगर हुआ था तो वह इतने बुरे तरीके से चुनाव क्यों हार गए। हार का दूसरा कारण भाजपा ने अकाली दल के सिर मढ़ दिया। भाजपा का कहना था कि सुच्चा सिंह लंगाह का वीडियो वायरल होना भी हार का कारण बना। इस वीडियो के बाद वोटरों में नैगेटिव मैसेज गया और अकाली दल के बड़े नेताओं ने भी चुनाव प्रचार से किनारा कर लिया था यानी कुल मिलाकर भाजपा की समीक्षा बैठक में खुद के लिए सब कुछ अच्छा और दूसरों के लिए सब कुछ बुरा निकल कर बाहर आया।