Edited By Updated: 21 Jan, 2017 02:10 AM
पंजाब विधानसभा के लिए 4 फरवरी को होने वाले मतदान को देखते हुए सियासी दलों की निगाहें
जालंधर(धवन): पंजाब विधानसभा के लिए 4 फरवरी को होने वाले मतदान को देखते हुए सियासी दलों की निगाहें 40 लाख प्रवासी श्रमिकों पर टिकी हुई हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रवासियों का असर राज्य की 28 सीटों पर पड़ता है। ये प्रवासी श्रमिक शहरी व देहाती दोनों क्षेत्रों में रहते हैं। चुनावी रैलियों में भी प्रवासी बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं।
ये प्रवासी उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से संबंध रखते हैं। प्रवासी श्रमिकों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने अपने प्रयास शुरू कर दिए हैं। पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कै. अमरेन्द्र सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा लालू प्रसाद यादव से पंजाब आने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों नेता जल्द ही कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने के लिए आएंगे। कैप्टन ने बिहार दौरे के दौरान नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी।
प्रवासियों में सत्ताधारी दलों के खिलाफ रोष है। उनका मानना है कि अभी तक सत्ता में आने वाली पार्टी ने उनकी सुध नहीं ली। उनके कल्याण के लिए कोई कार्यक्रम तैयार नहीं किया गया। अकेले लुधियाना में ही शहरी व देहाती क्षेत्रों में 6 लाख प्रवासी श्रमिकों की वोटें हैं। ये वोटें जिस भी उम्मीदवार को पड़ेंगी उसे निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा।
यद्यपि अतीत में प्रवासी श्रमिक अपने कौंसलर भी बना चुके हैं परंतु अभी तक प्रवासियों में से कोई भी विधानसभा में पहुंचने में सफल नहीं हो सका। प्रवासी श्रमिक अब यह मांग कर रहे हैं कि राजनीतिक दल उन्हें बताएं कि सत्ता में आने के बाद वे उनके कल्याण के लिए क्या कदम उठाएंगे? प्रवासी श्रमिक अब यह भी देखना चाहते हैं कि उनके प्रवासी नेता राज्य में आकर क्या ऐलान करते हैं?