Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jul, 2017 09:14 AM
सवा 7 साल पहले शहर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू किया गया था जिसके तहत बनाए गए 14 मॉडर्न पुलिस थानों में से 5 की हालत अभी भी जर्जर बनी हुई है। बरसात के मौसम में ये 5 थाने पानी में डूब जाते हैं जिस कारण पुलिस कर्मचारियों व जनता को भारी मुश्किलों...
जालंधर(पंजाब केसरी टीम) : सवा 7 साल पहले शहर में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू किया गया था जिसके तहत बनाए गए 14 मॉडर्न पुलिस थानों में से 5 की हालत अभी भी जर्जर बनी हुई है। बरसात के मौसम में ये 5 थाने पानी में डूब जाते हैं जिस कारण पुलिस कर्मचारियों व जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पुलिस कर्मचारियों व लोगों को अपने जूते हाथ में पकड़ कर व पैंट फोल्ड कर थानों के अंदर जाना पड़ता हैं। इस संबंधी मिल रही शिकायतों को लेकर जब ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने शहर के थानों का दौरा किया तो जो रिपोर्ट सामने आई वह इस प्रकार है।
इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट की दुकानों में बना है बस्ती बावा खेल थाना
करीब 3 दशक पहले जालंधर पुलिस द्वारा जे.पी. नगर में जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट की स्कीम में बनाई गई करीब 35 दुकानों पर कब्जा करके थाना-5 बना दिया गया। पता चला है कि उस समय तैनात अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि अन्यत्र जगह मिलते ही उक्त दुकानें खाली कर दी जाएंगी लेकिन बाद में न तो पुलिस अधिकारियों ने 35 दुकानें खाली करने की तरफ ध्यान दिया और न ही इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने अपनी जगह खाली करवाने की कोशिश की। साल 2010 में जालंधर में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ तो थाना एरिया की नई हदबंदी के मुताबिक थाना-5 को माडल हाऊस रोड पर नई इमारत मिल गई। उस समय आस रही कि शायद अब जे.पी. नगर में इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट की जगह खाली हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुलिस ने सभी 35 दुकानों को नए सिरे से रेनोवेट किया और चारदीवारी कर पूरी जगह पर पक्के तौर पर काबिज हो गई और थाना बस्ती बावा खेल का नाम दे दिया गया। इस थाने में ड्रेनेज सिस्टम बेहद खस्ता है। हल्की बारिश से ही सारा थाना पानी में डूब जाता है। और तो और कर्मचारियों को एक कमरे से दूसरे कमरे तक जाने में भी परेशानी होती है। थाने में पिछले कई सालों से जब्त वाहनों की संभाल का कोई खास इंतजाम नहीं है। सूत्रों ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा साल 2006 में किए गए ऑडिट में यह पता चला था कि उक्त जगह का पुलिस की तरफ किराए का 70 लाख रुपए बकाया निकलता है लेकिन विभाग के अधिकारियों ने बकाए वसूली पर ध्यान नहीं दिया। जानकारों का मानना है कि अगर साल 2006 में बकाया किराया 70 लाख निकला है तो आज करीब 11 साल बाद बकाया एक करोड़ रुपए से अधिक बन गया होगा।
सभी थानों की आई.एस.ओ. 9001-2008 मान्यता हो चुकी है रद्द
जालंधर के पहले पुलिस कमिश्नर गौरव यादव ने कमिश्नरेट के सभी थानों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान करने के लिए 14 थानों के साथ-साथ ट्रैफिक व एन.आर.आई. थाने को आई.एस.ओ. 9001-2008 सर्टीफिकेट दिलवाया था। साल 2010 में जारी हुए सर्टीफिकेट 3 साल तक वैध थे। 2013 में सर्टीफिकेट निरस्त हो गए। बताना जरूरी है कि आई.एस.ओ. 9001-2008 सर्टीफिकेट दिलवाने के लिए कमिश्नरेट पुलिस द्वारा 5 लाख रुपए खर्च किए गए थे और साल 2013 में सभी थानों की मान्यता रिन्यू करवाने के लिए केवल अढ़ाई लाख का खर्च आना था, लेकिन न तो किसी अधिकारी ने ध्यान दिया और न ही फंड रिलीज हुआ जिस कारण यह मान्यता रिन्यू नहीं करवाई जा सकी।
कंडम हो चुकी है महिला थाने की पुरानी बिल्डिंग
कई साल पुरानी सरकारी बिल्डिंग जो अब कंडम हो चुकी है, वहां पर महिला थाना बनाया गया है। जालंधर में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा की शिकायतों से निपटने वाला महिला थाना सरकारी जमीन पर बना है पर थाने की बिल्डिंग की हालत दयनीय है। महिला थाने के लिए उसके साथ ही लगती सरकारी जमीन अलॉट हो चुकी है जिस पर थाने का निर्माण शुरू होने जा रहा है, जिससे अब थाना नएरूप में नजर आएगा।
किराए की इमारत में चल रहा है माडल टाऊन का थाना नंबर 6जालंधर में माडल टाऊन का थाना किराए की इमारत में चल रहा है। थाने की जमीन नकोदर के रहने वाले व्यक्ति की है जिसको पिछले लंबे समय से सरकार द्वारा किराया दिया जा रहा है। इस जमीन का मालिक अब विदेश में रहता है। इस थाने की जमीन को लेकर किसी ने कुछ समय पहले अदालत में केस भी किया था, पर बाद में उस केस का कुछ नहीं बना। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि थाने की जमीन को खुद अपनी जमीन बताने वाले ने केस अदालत में किया था पर सरकार इस जमीन के असल मालिक को किराया देती है, जिसके साथ किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है।