Edited By Updated: 22 Feb, 2017 02:25 PM
बेशक जिला पुलिस प्रशासन आम जनता को पुख्ता सुरक्षा प्रबंध मुहैया करवाने के बड़े-बड़े दावे करता नहीं थकता है परन्तु जिले में निरंतर घट रही वाहन चोरी व झपटमारी की वारदातों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जहां पुलिस पस्त हो चुकी है, वहीं चोर लूटपाट करने...
भटिंडा (परमिंद्र): बेशक जिला पुलिस प्रशासन आम जनता को पुख्ता सुरक्षा प्रबंध मुहैया करवाने के बड़े-बड़े दावे करता नहीं थकता है परन्तु जिले में निरंतर घट रही वाहन चोरी व झपटमारी की वारदातों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जहां पुलिस पस्त हो चुकी है, वहीं चोर लूटपाट करने में व्यस्त हैं। चोर गिरोह पुलिस को धत्ता बताते हुए दिन-दिहाड़े विभिन्न जगहों से वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम देने में जुटे हुए हैं। झपटमार भी निरंतर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
कोई भी जगह नहीं सुरक्षित
मौजूदा समय में जिले में ऐसी कोई जगह नहीं है, जो चोरों से सुरक्षित हो। हाल ही में घटे मामलों को देखने पर पता चलता है कि चोरों ने जहां भीड़-भाड़ वाले बाजारों से कार/मोटरसाइकिल उड़ाए, वहीं उन्होंने प्रशासनिक प्रबंधों वाले मिनी सचिवालय व सरकारी अस्पताल से भी वाहन चुराने में गुरेज नहीं किया। रात्रि के समय वाहन चुराना शायद आसान हो लेकिन चोरों द्वारा दिन में भी वाहन चुराने की घटनाएं पुलिस के सुरक्षा प्रबंधों पर सवालिया निशान खड़े करती है। यही नहीं, चोरों द्वारा एक ही दिन में विभिन्न जगहों से 3 से 4 वाहन चुराए जाने के मामले भी प्रकाश में आए हैं, जिससे लोगों में जहां असुरक्षा की भावना पनप रही है।
घर के आगे से चोरी हो रहे वाहन
वाहन चोर गिरोहों के हौसले कुछ इस कदर बढ़ चुके हैं कि उन्होंने घरों के आगे से ही वाहन चुराने शुरू कर दिए हैं। पहले जहां अधिकांश तौर पर सुनसान जगहों से ही वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जाता था, वहीं अब दिन-दिहाड़े घरों के आगे खड़े वाहनों पर ही हाथ साफ किए जा रहे हैं। शातिर चोर बड़ी चालाकी से कुछ ही पलों वाहन चोरी करके ले जाते हैं और उनसे कुछ ही कदमों की दूरी पर घर में मौजूद लोगों को इसकी कानों-कान खबर नहीं हो पाती।
अधिकारी अलापते हैं पुख्ता प्रबंधों की बात
इस मामले में जब भी पुलिस प्रशासन से बात की जाती है तो अधिकारी सदैव पुख्ता प्रबंधों का राग ही अलापते हैं। हर बार कड़ी व्यवस्था करने, चोरों को पकडऩे, गिरोहों पर नकेल कसने के दावे किए जाते हैं और इसके तहत कुछ समय तक पुलिस गश्त व सख्ती भी देखने को मिलती है परन्तु कुछ ही समय बाद हालात फिर जस के तस हो जाते हैं, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
'न दिन में सुरक्षा न रात को
महानगरवासी न दिन के समय सुरक्षित हैं और न ही रात्रि के समय। यह स्थिति पुलिस की कारगुजारी को सवालिया घेरे में खड़ा करती है। रात्रि समय विभिन्न जगहों पर दुकानों के ताले तोड़कर चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है जबकि दिन के समय भी झपटमार लोगों के पर्स, मोबाइल आदि झपटकर दहशत फैला रहे हैं परन्तु पुलिस है कि हाथ पर हाथ धरे बैठी है।