Edited By Updated: 25 May, 2017 11:41 AM
पैट्रोलियम मंत्रालय द्वारा लिए गए एक अहम फैसले में चाहे पैट्रोलियम पदार्थों की बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से पैट्रोल व डीजल की डोर-टू-डोर
लुधियाना(खुराना): पैट्रोलियम मंत्रालय द्वारा लिए गए एक अहम फैसले में चाहे पैट्रोलियम पदार्थों की बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से पैट्रोल व डीजल की डोर-टू-डोर डिलीवरी ग्राहकों तक पहुंचाने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है अगर सरकार की उक्त योजना जमीनी स्तर पर लागू हो जाती है तो फिर यह सुरक्षा के लिहाज से कितनी घातक सिद्ध हो सकती है। इस ट्रेड से जुड़े माहिरों के अनुसार पैट्रोलियम पदार्थों की होम डिलीवरी गली-मोहल्लों तक पहुंचाने वाले मोबाइल वाहन चलते-फिरते बम के समान साबित हो सकते हैं, जिसमें एक छोटी-सी चूक मौत का तांडव मचा सकती है। माहिरों का मानना है कि पैट्रोल पम्प पर बने पैट्रोल टैंकरों को सुरक्षा के लिए कई नियमों व शर्तों के दौर से गुजरने के बाद करीब विभिन्न 12 सरकारी विभागों से एन.ओ.सी. पत्र प्राप्त करने के साथ ही सबसे अहम एक्सप्लोसिव विभाग के सांचे से गुजरने व अग्निशमन यंत्र जैसे कई सुविधाओं से लैस होना पड़ता है। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि अगर सरकार पैट्रोलियम पदार्थों की होम डिलीवरी देने के लिए मोबाइल वाहनों को सड़कों पर उतारती है तो सुरक्षा के वे सभी नोम्स कैसे पूरे होंगे, जोकि पैट्रो पम्प मालिकों व तेल कम्पनियों द्वारा मौजूदा दौर में बड़ी सतर्कता अपनाकर पूरे किए जा रहे हैं।
कारोबारियों को सताने लगी व्यापार की चिंता
सरकार द्वारा किए गए पैट्रोलियम पदार्थों की डोर-टू-डोर बिक्री के आदेश चाहे भविष्य में लागू हो सकते हैं लेकिन उक्त आदेशों का अभी से पैट्रोलियम कारोबारियों के चेहरों पर गंभीर असर देखने को मिल रहा है और उन्हें अभी से कारोबार की ङ्क्षचता सताने लगी है। कारोबारियों का मानना है कि उन्होंने वर्षों से अपना कारोबार खड़ा करने के लिए जहां करोड़ों रुपए की महंगी जमीनों पर पैट्रोल पम्प लगाने के साथ-साथ कई प्रकार के तामझाम खड़े किए हैं, वहीं सरकार की उक्त योजना शुरू होते ही उनके कारोबार ठप्प होकर रह जाएंगे। कारोबारियों का कहना है कि कम्पीटीशन के दौर में जहां पहले से ही लगभग 80 फीसदी पैट्रो कारोबारी बर्बादी की कगार पर खड़े हैं, वे तो मानो बिल्कुल ही खत्म होकर रह जाएंगे।