आवारा कुत्तों से आतंकित लोग, निगम बेबस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 02:47 AM

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शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 40 हजार के लगभग हो गई है। शहर और आस-पास के क्षेत्रों में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र कुछ भी कर पाने में बेबस है। एस.पी.सी.ए. सोसाइटी पर सरकारी तंत्र काबिज होने के बावजूद व्यवस्थाएं लाइन पर...

अमृतसर(रमन): शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 40 हजार के लगभग हो गई है। शहर और आस-पास के क्षेत्रों में कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र कुछ भी कर पाने में बेबस है। एस.पी.सी.ए. सोसाइटी पर सरकारी तंत्र काबिज होने के बावजूद व्यवस्थाएं लाइन पर आती नहीं दिख रही नतीजा कुत्तों पर तो रोकथाम लग नहीं रही। आए दिन लोग कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं। 

शहर में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां से रात में गुजरना मौत को दावत देने के समान है। डॉग स्क्वायड बनाकर और कुत्तों के चीरा रहित नसबंदी के कई बार प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन उपयुक्त नतीजा नहीं मिला है। कुत्तों की नसबंदी करने का अभियान ठंडे बस्ते में है। सरकारी आंकड़ों नजर दौड़ाएं तो कुत्तों की आबादी 30 हजार के आस-पास है मगर गैर सरकारी आंकड़ों में यह संख्या 40 हजार को पार कर चुकी है। हर साल 17 से 20 लोग कुत्तों के काटने से मौत का ग्रास बन रहे हैं। आवारा कुत्तों पर विधिवत योजनाएं बनती हैं लेकिन चार दिन अखबारों में नाम आने के बाद उस योजना को बंद कर दिया जाता है।

पहले कुत्तों की ‘नसबंदी’ और ‘कुत्तों की रजिस्ट्रेशन’ जैसे अभियान चलाए तो गए लेकिन उतना असर नहीं छोड़ सके जितनी कि उम्मीद थी। इसके लिए निगम प्रशासन खुद जिम्मेदार है क्योंकि इन अभियानों को सफल बनाने के लिए सही नीयत से काम नहीं किया गया। एक चीफ सैनेटरी इंस्पैक्टर को लगाकर रजिस्ट्रेशन के काम में तेजी लाने का प्रयास किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई। विभाग के संबंधित अधिकारियों का कहना था कि वरिष्ठ भाजपा नेत्री मेनका गांधी के एतराज करने पर इस अभियान को बंद कर दिया गया, जबकि रजिस्ट्रेशन अभियान पर तो मेनका गांधी ने कोई बाधा नहीं डाली थी।

जो अपने घर में से आवारा कुत्ते नहीं उठा सकता शहर से क्या उठाएगा  
वहीं निगम के मुख्य कार्यालय रणजीत एवेन्यू में सुबह से शाम तक दर्जनों आवारा कुत्ते अधिकारियों के आफिस एवं बाहर कोरीडोर में घूमते रहते हैं। सुबह से शाम तक अधिकारी उन्हें देखते रहते हैं, लेकिन कोई भी उन्हें वहां से उठवाता नहीं जिससे सिद्ध होता है कि जो अपने घर में से आवारा कुत्तों के नहीं उठवा सकता वह शहर से कहां उठवाएगा।

सुबह सैर करने वालों को होती है मुश्किल
शहर में सुबह जब लोग सैर करने निकलते हैं तो आवारा कुत्ते उन पर झपटते हैं, अत: लोग सुबह सूरज निकलने के बाद ही सैर के लिए निकलते हैं। शहर के प्रमुख पार्कों कम्पनी बाग, आनंद पार्क, 40 खूह आदि पार्कों के पास भी इन कुत्तों का जमावाड़ा लगा रहता है। शहर वासी कई बार निगम को इसकी शिकायत कर चुके हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ है। रात के समय जो लोग दोपहिया वाहनों पर गलियों, बाजारों में से गुजरते हैं, ये आवारा कुत्ते उन पर टूट पड़ते हैं।

शिकायतों के लगे ढेर, निगम बेबस 
नगर निगम में आवारा कुत्तों को लेकर शिकायतों के ढेर लगे हुए हैं, पर निगम भी कुछ करने में बेबस है। नियमों के अनुसार इन आवारा कुत्तों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। अगर किसी कुत्ते को निगम द्वारा पकड़ कर लाया जाता है तो उस कुत्ते की नसबंदी के बाद वहीं छोड़ा जाएगा जहां से उसे लाया गया था। निगम अधिकारी यही कहते हैं कि आवारा कुत्तों को किसी और इलाके में भी नहीं छोड़ा जा सकता है, बस नसबंदी से इनकी संख्या में कमी आएगी।  

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