Edited By Updated: 17 Jan, 2017 01:33 PM
सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से किए गए लाख दावों के बावजूद भी जिले के लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात नहीं मिल सकी है।
भटिंडा(परमिंद्र): सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से किए गए लाख दावों के बावजूद भी जिले के लोगों को बेसहारा पशुओं से निजात नहीं मिल सकी है। बेशक नगर निगम की ओर से गौ सैस की वसूली भी की जा रही है जबकि बेसहारा गऊओं की संभाल के लिए बिजली बिलों के माध्यम से भी टैक्स वसूल किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद पशुओं की संख्या लगातार गंभीर रूप धारण कर रही है। पशुओं की इस समस्या से न केवल शहरी इलाकों के लोग परेशान हैं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी इन पशुओं ने किसानों के नाक में दम कर रखा है।
हादसों का सबब बनते हैं बेसहारा पशु
महानगर में पशुओं की संख्या कम होने की बजाए बढ़ रही हैं। निगम द्वारा कुछ पशुओं को मुहिम चलाकर पकड़ा गया लेकिन उक्त अभियान भी खानापूर्ति ही साबित हुआ। बड़ी संख्या में पशु शहर में घूम रहे हैं जो न केवल यातायात को बाधित करते हैं बल्कि आए दिन हादसों का भी सबब बनते हैं। सांड़ों की भिड़ंत में आकर कई लोग ‘मौत के मुंह’ में भी जा चुके हैं जबकि दर्जनों लोग घायल भी हो चुके हैं। हर सड़क व गली में पशुओं की भरमार देखने को मिल रही है जिनसे लोग बेहद परेशान हैं। लोगों का कहना है कि जब सरकार पशुओं की संभाल हेतु विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाकर पैसा वसूल कर रही है तो लोगों को इनसे पूरी तरह निजात क्यों नहीं दिलवाई जाती है।